सामायिक आध्यात्मिक साधना है – डॉ.विचक्षण श्री
दक्षिणापथ, दुर्ग। आनंद पुष्कर दरबार में आज प्रवचन श्रंृखला को संबंोधित करते हुए साध्वी डॉ विचक्षण श्री ने कहा- सामायिक जैन साधना का प्राण तत्व है। सामायिक में साधक की चित्रवृत्ति पूर्ण रूप से शांत रहती है। सामायिक आत्मभाव की साधना है, समता की साधना है सामायिक का अधिकारी कौन ? मनुष्य मनुष्य जन्म दुर्लभ है। और सामायिक तो देव दुर्लभ है। सामायिक सम-आय-इक यानी समता की आय हो वह सामायिक है। सामायिक से सावद्ययोग से निवृत्ति होती है। सामायिक का साधन समता के गहन सागर में डुबकी लगाता हे। जिससे विशमता की ज्वालाएॅ, उसकी साधना को नष्ट नही कर पाती। उसे निंदा के बिच्छु डंक नही मारते है। चाहे अनुकुल हो चाहे प्रतिकुल हो सुख हो दुख हो व सदा समभाव में रहता हे। सामायिक आध्यात्मिक साधना है। सामायिक तो आत्मभाव की साधना है समता की साधना है। रागद्धेश की विशमता से चित्र को दूर कर जन से जिन बनना यही सामायिक है। साध्वी रत्नज्योति ने कहा-तप जीवन का तेज है। जो आत्मा से परमात्मा बना दे वह तप है। तप से पुराने पाप नष्ट होते है। भवसागर को पार करने के लिए सम्यक तप का आराधना करना है। श्रीसंघ को गणधर तप करने का आहवान किया।
धर्म चक्र तप का समापन
आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग के आनंद पुष्कर दरबार में श्रद्धालु प्रवचन का हर्ष और उल्लास के वातावरण में धर्म, ध्यान तप, त्याग की लडी चल रही है। महासाध्वी श्री प्रियदर्शना जी की प्रेरणा से धर्म चक्र तप का समापन हुआ तथा तेलेतप, आयबील तप प्रारंभ हुआ है 22 जुलाई से गणधर तप प्रारंभ होगा जिसमें श्रमण संघ के सभी परिवार बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे है। साध्वी श्री प्रियदर्शनी जी तपस्या करने के लिए जन समुह को प्रेरणा दे रही है। सामायिक स्वास्थ्य मंडल के सदस्यों ने आदित्य नाहर के निवास में नवकार महामंत्र की स्तुति की।