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लाइम स्टोन खदान से महानदी और गोमर्डा अभ्यारण्य पर पड़ेगा प्रदूषण का विपरीत असर …आस पास कई आंगनबाड़ी और स्कूल…. मानव जीवन के साथ जल जंगल जमीन भी होगा प्रदूषित …..8 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खुदाई से ….सबसे घातक सिलकोसिस बीमारी का खतरा ….

 

रायगढ़। सारंगढ के गुड़ेली में लाइम स्टोन खदान खुलने की वजह से न सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों जल जंगल जमीन पर विपरीत असर पड़ेगा बल्कि करीब साढ़े 8 हेक्टयर से अधिक क्षेत्र में जब खुदाई शुरू होगी तब क्षेत्र का प्रदूषण किस स्तर पर होगा इसका लोग अभी सिर्फ अनुमान ही लगा रहे है इसका व्यापक असर समीप से गुजरने वाली महानदी व प्राकृतिक नाले पर भी व्यापक असर पड़ेगा। चुना पत्थर के पार्टिकल्स दूर तक हवा में फैलने से इसका असर गोमर्डा अभ्यारण पर भी पड़ने की बात कही जा रही है।

गुड़ेली में 8 हेक्टेयर से अधिक में तीन लाइम स्टोन की खदान खुलनी है। इसके लिए चंद दिनों बाद जन सुनवाई होनी है। सूत्रों से मिल रही जानकारी में अनुसार प्रभावित गांव के ग्रामीणों को खदान संचालक किसी भी तरह से वातावरण व स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं होने की बात कहकर जनसुनवाई को सफल बनाने की जुगत में लगे हुए हैं। जबकि चुना पत्थर खदान से निकलने वाले सूक्ष्म पार्टिकल्स सिलकोसिस नामक घातक बीमारी को जन्म देने वाला कारक भी बन सकता है। चुना पत्थर खदान से खुदाई व परिवहन के दौरान लाइम स्टोन के सूक्ष्म कण सांस के रास्ते लंग्स में जाकर जमने से सिलकोसिस नामक बीमारी लोगों को घेर सकती है। यह कहना है खान खनन क्षेत्र में प्रभावितों के लिए सालों से काम करने वाले समाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का, इन्होंने बताया कि लाइम स्टोन की खदान को हल्के में बिल्कुल नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इसकी ईआईए रिपोर्ट को देखना होगा कि इसमें क्या क्या दर्शाया व बताया गया।
यह भी बताते चलें कि खदान क्षेत्र के 10 किमी के दायरे में लगभग 20 से 30 आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल स्थित हैं। ऐसे में इसका असर व्यापक होने वाला है। जानकार बताते हैं कि प्रदूषण नहीं होने का लाख दावा किया जाए लेकिन इसका दीर्घकालीन असर बेहद डराने वाला होगा। खान खनन क्षेत्र में काम करने वाले समाजिक कार्यकर्ताओ की माने तो आवासीय रेंज के 10 से 20 किमी के दायरे में इस तरह खदान खुलनी ही नहीं चाहिए। खदान क्षेत्र से कुछ दूरी से स्टेट हाइवे भी लगा हुआ है जबकि खदान क्षेत्र के आसपास स्टेट हाइवे होने पर खदान संचालन की अनुमति नहीं मिल सकती है।
खदान क्षेत्र से गोमर्डा अभयारण्य की दूरी लगभग 10 से 11 किमी बताया जा रहा है इससे जाहिर है कि महानदी प्राकृतिक नाला सहित आबादी क्षेत्र भी प्रदूषण की चपेट में आने से गोमर्डा अभयारण के प्रकृति व जानवर सहित इसका जन जीवन पर व्यापक असर पड़ेगा।

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