कोरिया टाइगर..योगेश शुक्ला:::बस नाम ही काफी है…उनके जन्मदिन पर विशेष…
अनूप बड़ेरिया
योगेश शुक्ला... बस नाम ही काफी है…जिनका नाम सुनते ही जहन में एक दबंग व कुशल नेतृत्वकर्ता लीडर की तस्वीर उभर कर सामने आती है.. वह है कोरिया टाइगर योगेश शुक्ला… योगेश शुक्ला माने कांग्रेस… कांग्रेस के आधार स्तंभ माने जाने वाले योगेश शुक्ला ने विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखकर खून-पसीने से सींच कर आज इस मुकाम पर ला खड़ा किया है कि पूरे जिले में कांग्रेस का ही वर्चस्व है… यदि यह कहा जाए कि सभी को साथ लेकर चलने की कला व ओजस्वी वक्ता के रूप में महारत हासिल करने वाले इस शख्स ने कांग्रेस की नई इबारत लिखने का कार्य किया है तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी।
मास्टर की नौकरी छोड़ राजनीति में आए- कोरिया जिले के रनई जमीदार और कोरिया टाइगर योगेश शुक्ला राजनीति में आने के पहले शिक्षक रहे। लेकिन पूरा परिवार शुरू से ही राजनीतिक रूप से कांग्रेस के लिए समर्पित रहा है और इनके दादा स्वर्गीय हनुमान प्रसाद शुक्ल 30 वर्षो तक रिकॉर्ड लंबे समय तक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। उनके छोटे भाई राजेश शुक्ला कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष रह चुके हैं। यही वजह है कि उन्हें शिक्षक की नौकरी रास नहीं आई और अपनी लाख रुपए की सैलरी वाली मास्टर की नौकरी छोड़कर योगेश शुक्ला राजनीति में कूद पड़े और अपना सर्वस्व जीवन कांग्रेस के लिए समर्पित कर दिया।
रनई क्षेत्र से मिलती है कांग्रेस को भारी लीड- कांग्रेस के कद्दावर नेता और रमेश जमीदार योगेश शुक्ला के ग्रह ग्राम से लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव सभी में भारी भरकम लीड कांग्रेस प्रत्याशी को मिलती है यह योगेश शुक्ला के नेतृत्व का कमाल है… इतना ही नहीं पंचायती चुनाव में कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत और जनपद सदस्य को 90 से 95 फीसदी मत यहीं से मिलते हैं। इसकी वजह यह भी है कि रनई का शुक्ला परिवार पटना 84 क्षेत्र के लोगों के हर सुख-दुख में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं और सभी जरूरतमंदों की हर संभव मदद करते हैं। यही वजह है कि इनका वर्चस्व एक अभेद जिले के रूप में बना हुआ है। यही वजह है कि बीते कार्यकाल में जब भाजपा की सरकार रही तो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह इस अभेद किले को भेजने के लिए अपनी विकास यात्रा रनई से आरंभ किए थे लेकिन इसके बाद भी इस किले में सेंध तक नहीं लगी।
कुशल नेतृत्वकर्ता की जोरदार पहचान- कोरिया कांग्रेसमें योगेश शुक्ला की पहचान एक कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में अमिट छाप छोड़ चुके है। विधानसभा चुनावों में जिस तरह अपनी टीम के साथ उन्होंने पार्टी की बागडोर संभाल कर 10 साल के सूखे के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को मुस्कुराने का मौका दिया वह किसी से छुपा नहीं है। बीते पंचवर्षीय चुनाव में जब शिवपुर-चर्चा नगरपालिका में विपरीत परिस्थिति देख कर कोई कांग्रेसी हाथ डालने को तैयार नहीं था, तब योगेश शुक्ला ने अपनी पूरी टीम के साथ दिन-रात एक कर पूरी ताकत झोंक कर कांग्रेस के अजीत लकड़ा को नगर पालिका अध्यक्ष बनाने में अपना योगदान दिया वह चिरस्थायी है। इतना ही नहीं बीते नगर पालिका चुनाव में जब कांग्रेसी आपसी सिर-फुटव्वल में लगे रहे, तब नगरीय निकाय मंत्री शिवकुमार डहरिया ने योगेश शुक्ला को आगे कर एक बार फिर शिवपुर-चर्चा की कमान सौंप दी। जिसका परिणाम एक बार फिर सामने आया और कांग्रेस की श्रीमती लालमुनि यादव अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुई। यह योगेश शुक्ला के राजनीतिक कौशल का ही परिणाम है।
ओजस्वी वक्ता के रूप में अमिट पहचान- पूरे कोरिया जिले में किसी भी राजनीतिक दल की बात की जाए तो सबसे ओजस्वी वक्ता के रूप में कांग्रेस के योगेश शुक्ला का ही नाम उभरकर सामने आता है। यही वजह है कि पब्लिक उनके भाषण का इंतजार करती है और शेर की दहाड़ के जैसे जब उनका वक्तव्य चालू होता है तो लगातार तालियों की बौछार होती है। जो कांग्रेस के लिए हमेशा प्लस साबित होती है।
योगेश के सैकड़ों समर्थक- यह योगेश शुक्ला के व्यवहार कुशलता वह नेतृत्व क्षमता का ही परिणाम है कि उनके सैकड़ों समर्थक पार्टी में मौजूद हैं उनकी एक आवाज पर पल भर में भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है उनके एक छोटे से कार्यक्रम में इतनी भीड़ इकट्ठा होती है जो किसी मंत्री के कार्यक्रम को भी शर्मिंदा कर दें।
सीएम भूपेश बघेल पुकारते हैं भांचा– अंचल के इस कद्दावर नेता को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब भी मिलते हैं तो और भांचा क्या हाल-चाल है.. कह कर पुकारते हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ औषधि व पादप बोर्ड के अध्यक्ष तथा कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त मल्लू पाठक योगेश शुक्ला के मामा हैं, यही वजह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी योगेश शुक्ला को भांचा कह कर पुकारते हैं।
काम के अनुरूप नहीं मिला दाम- पीढ़ी दर पीढ़ी शुक्ला परिवार ने जिस तरह कांग्रेस में अपने आप को झोंक दिया और योगेश शुक्ला ने कांग्रेस के एक समर्पित नेता के रूप में अपना सर्वस्व पार्टी के लिए न्यौछावर किया उसके अनुरूप कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने उन्हें योगेश शुक्ला को वह वाजिब सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। जबकि सरगुजा महाराजा व छत्तीसगढ़ के कद्दावर कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ योगेश शुक्ला के पारिवारिक संबंध है, वही विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत के साथ भी उनकी प्रगाढ़ता किसी से छिपी नहीं है। इसके बावजूद ना उन्हें विधानसभा टिकट पार्टी ने दी और ना ही किसी आयोग या बोर्ड का अध्यक्ष बनाया, यह बात आज भी उनके कार्यकर्ताओं को खलती है।
अंचल के इस कद्दावर नेता को Page-11 news की ओर से उनके 62 वें जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं व बधाइयां…योगेश शुक्ला के लिए यह कहा जा सकता है कि…
सिकंदर हालत के आगे नहीं झुकता,
तारा टूट भी जाए जमीन पर नही गिरता,
अरे गिरते हैं हजारो दरिया समंदर में,
पर कभी कोई समुंदर किसी दरिया में नहीं गिरता….