♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

संसार के लिए नहीं भगवान के लिए आंसू बहाये —– श्रीश्वरी देवी, मनमोहक संकीर्तन के साथ फूलों की खेली होली

 

*महाआरती में सैकड़ों लोग हुए शामिल*

*राबर्टसन*

*जगद्गुरू कृपालु सतसंग कल्याण समिति अमनदुला* के द्वारा दिव्य दार्शनिक प्रवचन का आयोजन किया गया था । प्रवचन में श्रीश्वरी दीदी जी ने बताया कि गृहस्थी जीवन में हम सदैव संसार के माया मोह के लिए व्यर्थ चिंता व आंसू बहाते हैं | लेकिन परमात्मा मिलन की लालसा व अनंत भक्ती के लिए कभी आंसू नही बहाते हैं |


राधा गोविंद धाम अमनदुला (मालखरौदा ) में 6 अप्रैल से 21 अप्रैल तक दिव्य दार्शनिक प्रवचन एवं मधुर संकीर्तन का आयोजन किया गया था | इस दिव्य दार्शनिक प्रवचन को विश्व के पंचम मूल जगद्गुरू 1008 श्री कृपालु जी महाराज की कृपापात्र प्रिय प्रचारिका वृन्दावन व राधा गोविंद धाम अमनदुला वासिनी परम पूज्य सुश्री श्रीश्वरी देवी जी के मुखारबिंद से 15 दिवसीय धारा प्रवाहित दिव्य दार्शनिक प्रवचन का वर्णन किया गया | दिव्य प्रवचन के *अंतिम दिवस* में दीदी जी ने कहा कि गृहस्थी जीवन में यदि भक्ति के भावों सहित प्रभु के रूप को मन में स्थापित कर ध्यान करते हैं | तो निश्चित ही भगवन प्राप्ति का मार्ग सरल हो जाएगा | क्योंकि साधना के अनंत रूप है |
हमे संसार की माया मोह को त्याग कर प्रभु के लिए अनंत भक्ती कर आंसू को मिलन के लिए बहाते रहना है | जिस प्रकार किमती वस्तु को पाने के लिए मन बेचैन हो जाता है | ठीक उसी प्रकार परमात्मा को पाने के लिए यदि यही बेचैनी के साथ आंसूओं की धार बहने लगी तो उसी दिन से हमारी भक्ती की शुरुआत होगी | महापुरुषों के द्वारा लिखे गए भजनों को गाते हुए हरि नाम का किर्तन करना है | रामायण से उदाहरण स्पष्ट करते हुए बताया कि *’मन क्रम वचन छांड़ि चतुराई’ । ‘भजतहिं कृपा करत रघुराई ।।’* क्योकिं कलियुग में सिर्फ हरिनाम का किर्तन ही सच्चा व सरल साधन हैं | जो यह मार्ग गृहस्थीयों के लिए विशेष लाभदायक है | हमे प्रभु के रूप को सदैव मन में स्थापित करने का अभ्यास करते हुए वैराग्य करना है | और संसार के माया नगरी को मन में बसाने के लिए अभ्यास नहीं करना है |


*0 हो… हो… होली हे… के साथ महाआरती*

दिव्य प्रवचन के अंतिम दिवस में फूलों की होली का कार्यक्रम रखा गया था | जिसमें दीदी जी ने श्रोतागणों के उपर फूल बरसाने लगे, और *नंद गांव का छोरा है बरसाने की छोरी है हो.. हो.. होली है* की मधुर भजनों ने मानों हमे साक्षात ब्रज की होली के दृश्य का दर्शन करा रहे थे | *जगद्गुरु कृपालु जी व युगल सरकार जी* की भव्य महाआरती में सैकड़ों लोगों ने हाथों में सुन्दर आरती की थाली लेकर *पवित्र स्थल राधा गोविंद धाम* में हुए महाआरती का गवाह बन गए है |

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close