“हाल-ऐ-आवाम…” ‘सन्डे’…जिले के इस अधिकारी को सबसे ज्यादा है कोरोना का डर…कलेक्टर-एसपी की जुगल बन्दी से कोरिया है कोरोना मुक्त…
अनूप बड़ेरिया
कलेक्टर-एसपी की जुगलबंदी से कोरोना मुक्त है कोरिया…
जिस तरह छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोविड-19 को लेकर पूरे छग में प्रशासनिक कसावट की, वह पूरे हिंदुस्तान में काबिले तारीफ है। इसी का असर है कि जिले के कलेक्टर डोमन सिंह और पुलिस अधीक्षक चंद्र मोहन सिंह की जुगलबंदी की वजह से पूरा कोरिया अभी तक कोरोना से मुक्त है। इन दोनों अफसरों ने लगातार फील्ड का दौरा कर जमीनी स्तर पर कोरोना को लेकर काफी मेहनत की है, जिसका परिणाम अब देखने को मिल रहा है। पूरे जिले में अंतिम छोर तक इन दोनों अफसरों की उपस्थिति देखने को मिली है। पुलिसकर्मियों ने भी कोरोना योद्धा के रूप में अपनी पूरी ताकत झोंकी है। इस आपदा में कोरिया जिले से कहीं भी पुलिस के दुर्व्यवहार की शिकायत नही मिली है।
नेताओं की भी हो रही घेराबन्दी…
कोविड-19 की घड़ी में कोरिया जिले में भी राजनीति का वो स्तर देखने को मिला, जो अब तक शायद इस जिले में तो नही हुआ था। जिले के एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि कोरोना योद्धा के रूप में में घूम-घूम कर लोगों को सैनिटाइजर-माक्स बांटकर जागरूक कर रहे हैं तो विपक्ष की एक महिला नेत्री ने सोशल डिस्टेंसिंग का आरोप लगाते हुए उनकी शिकायत कर दी। इसी प्रकार एक नेता जी के लिए सैनिटाइजर की क्वालिटी और रेट को लेकर शिकायतबाजी हुई। इतना ही नहीं एक जनप्रतिनिधि आपदा की एक घड़ी में ग्रामीण अंचलों में जाकर लोगों की मदद करने के साथ ही खाद्यान्न बांट रहे थे और सोशल मीडिया में इसको प्रचारित कर रहे थे। सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर उनके ही दल के लोगो ने फेसबुक पर जहां अपनी ही पार्टी के अनुशासन को तार-तार कर दिया। तो वहीं संयुक्त दल के नेताओं ने पुलिस के माध्यम से घेराबंदी करवा दी।
कोरोना के डर से साहब नही छू रहे फाइल…
कोविड-19 की इस विषम परिस्थितियों में जिला प्रशासन ने कोरिया जिले में जिले के अंदर या बाहर जाने के लिए अनुमति देने के लिए जिले के अपर कलेक्टर को नियुक्त किया है। लॉक डाउन की उनकी वजह से अन्य राज्यो के लोग कोरिया में और कोरिया के अनेक लोग बाहर के राज्य में फंसे है। लोगो ने आने-जाने की अनुमति के लिए इन साहब के कार्यालय में आवेदन दे रखे हैं। अब इन अपर कलेक्टर साहब को पूरे जिले में कोरोना होने का सबसे ज्यादा भय है इसी वजह साहब इन फाइलों को छूने से डरते हैं। जिस वजह से आवेदन की फ़ाइलें बड़ी तादात में पेंडिंग हो गयी है। इतना ही नही जब कोई इनके चेम्बर में निवेदन करने के लिए घुसता है तो उसे देख साहब अपनी कुर्सी से ऐसे उछलते हैं जैसे कोई कोरोना का मरीज उनके सामने साक्षात सामने आ गया हो। इतना ही नही एक अधिकारी की गरिमा के विपरीत उससे बड़ी अभद्रता से दूर होने को कहते हैं। यही वजह है कि हाल ही में बिलासपुर के हाईकोर्ट के एक वकील ने अंग्रेजी में और नगरपालिका के पूर्व उपाध्यक्ष ने हिंदी में इन्हें समझाया था। बावजूद इसके स्थिति वैसी ही बनी है। यही वजह चक्कर लगाने वाले लोग बोल रहे हैं इनका नाम दुःख नाथ होना चाहिए।
नही दिख रहा अन्न बैंक…
जिला प्रशासन ने भूखे व जरूररमन्दों के लिए अन्न बैंक आरम्भ कराया। विधायक सहित लोगो ने भी दिल खोलकर इसमे मदद की। खूब फ़ोटो खींची और वायरल भी हुई। लेकिन अब यह अन्न बैंक की गाड़ी नजर नही आ रही। किसी को पता चले तो जरूररमन्दों को जरूर अवगत कराएं..!
सच्ची सेवा के ये है असली हीरो..
लॉक डाउन में प्रशासन ने भूखे इंसानों के लिए तो भोजन का प्रबंध करा दिया। लेकिन मूक जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध कराने के साथ घूम-घूम कर उन्हें खिलाने की भूमिका गौ रक्षक अनुराग दुबे, रिचेश सिंह, विपुल शुक्ला व उनके साथी कर रहे हैं। वाकई में कोरोना की आपदा में पुलिस व स्वास्थ्यकर्मियों के बाद असली हीरो की भूमिका यही नजर आ रहे हैं। इन्ही के प्रयास से रोटी बैंक भी बढ़िया माध्यम है…