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वेतनभोगी कर्मचारियों में बचत एवं निवेश की भावना जागृत करना आवश्यक है- राजेश चटर्जी

 

न्यू टैक्स रेजीम में आयकर अधिनियम 1961की धारा 80 C के छूटों एवं कटौतियों को बहाल करना चाहिये-फेडरेशन

टैक्सेबल इनकम एवं टैक्स स्लैब में सुधार होने चाहिए-राजेश चटर्जी

कर्मचारियों को अपने आय के फलस्वरूप टैक्स देनदारियों को कम करने के लिए आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 C का आकर्षक प्रावधान ओल्ड टैक्स रेजीम में था। यह सेक्शन बचत और निवेश के संभावनाओं में वृद्धि करता था। जोकि न्यू टैक्स रेजीम में नहीं है।उक्ताशय को व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी एवं उप प्रांताध्यक्ष राजेंद्र सिंह दद्दा ने कहा है कि केन्द्र सरकार को अपने बजट 2025 में वेतनभोगी कर्मचारियों को मौजूदा टैक्स स्लैब में छूटों एवं कटौतियों को ओल्ड टैक्स रेजीम अनुसार संशोधन करना चाहिए।इससे कर्मचारियों में बचत एवं निवेश की भावना को बढ़ावा मिलेगा।साथ ही कर्मचारियों को होम लोन लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। उनका कहना है कि इस नीति से बैंकिंग तथा इन्सुरेंस सेक्टर में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा।फलस्वरूप केन्द्र सरकार के विकास कार्यों के लिये राजस्व आमदनी में वृद्धि होगी।
उन्होंने बताया कि न्यू टैक्स रेजीम की शुरूआत केंद्रीय बजट 2020 में की गई थी। बतौर
वित्तमंत्री,निर्मला सीतारमण ने घोषणा किया था। लेकिन न्यू टैक्स रेजीम में छूट एवं कटौतियों के प्रावधान को शामिल नहीं किया गया था। जोकि कर्मचारियों के बचत एवं निवेश की भावना के अनुकूल नहीं था। वेतनभोगी करदाताओं को न्यू टैक्स रेजीम में छूट एवं कटौतियों को शामिल करने की उम्मीद है।आई टी एक्ट 1961 की धारा 80-C में कर कटौती में वृद्धि किये जाने पर विचार करना चाहिए।पेंशनभोगियों के लिए स्लैब में राहत देने पर विचार किया जाना चाहिये। हालांकि बजट 2024 में वित्तमंत्री सीतारमण ने नई कर व्यवस्था के तहत वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए मानक कटौती ₹ 50000 को बढ़ाकर ₹ 75,000 रुपये कर दिया था। न्यू टैक्स रेजीम में कर्मचारियों पर टैक्स देनदारी कम हुआ है।लेकिन उनके बचत और निवेश की प्रवृत्ति प्रभावित हुआ है।
उन्होंने बताया कि वेतन आयोगों के अनुशंसा अनुसार कर्मचारियों के वेतन में निरंतर वृद्धि हुआ है।लेकिन कर योग्य आय तथा इनकम टैक्स स्लैब में परिवर्तन उस अनुपात में नही हुआ है।एम्प्लाइज प्रोविडेंट फण्ड आर्गेनाईजेशन (EPFO) को और अधिक सुदृढ़ करना देश हित में है।मुद्रास्फीति अथार्त वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।अथार्त महंगाई बढ़ रही है। मुद्रास्फीति की वजह से, कर्मचारियों को पहले जितना ही मात्रा में सामान खरीदने के लिए अधिक मूल्य देना पड़ रहा है। वेतनभोगी कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है,क्रय शक्ति कम हुई है। कर्मचारियों को आई टी एक्ट की धारा 80 EE के तहत गृह ऋण की मूल राशि के लिए किए गए भुगतान पर कटौती का दावा करने की पात्रता ओल्ड टैक्स रेजीम में था। आई टी एक्ट 1961 की चार धाराओं 80C, 24,80EE और 80EEA के तहत छूट के प्रावधान से वेतनभोगी कर्मचारियों को लाभान्वित नहीं हो रहे हैं। फेडरेशन ने बजट 2025 में कर्मचारी हित-देश हित के दृष्टिगत केन्द्र सरकार से टैक्सेबल इनकम एवं टैक्स स्लैब में सुधार करने का अपील किया है।

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