कोरिया कांग्रेस: हरकतें तेजतर हैं मगर सफर आहिस्ता आहिस्ता..! कोरिया जिले के तीनों विधायक के अब तक के कार्यकाल की समीक्षा…
कोरिया कांग्रेस:
हरकतें तेजतर हैं मगर सफर आहिस्ता आहिस्ता!
कोरिया जिले के तीनों विधायक के अब तक के कार्यकाल की समीक्षा
लेखक-महेंद्र दुबे हाईकोर्ट के अधिवक्ता, लेखक व प्रसिद्ध साहित्यकार हैं

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार को काम करते लगभग आठ माह बीत चुके है। इन आठ महीनों में मन्त्रिमण्डल सहित किसी भी सियासी इदारों में न कोई परिवर्तन हुआ है और तमाम अंतर्विरोध और गुटीय समीकरण के बावजूद न ही कोई बड़े फेरबदल की कोई हलचल ही सुनाई दी है। इसका सीधा मतलब यहीं है कि वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व और संगठन को पूरी स्थिरता हासिल हो चुकी है। कांग्रेस में नए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति के बाद भी पार्टी संगठन में सभी पुराने चेहरे जिनमें ज्यादातर ट्विटर योद्धा और सोशल मीडियाबाज भी शामिल है, अभी भी काबिज है। कोरिया जिले में भी जनप्रतिनिधियों और पार्टी संगठन का सूरते हाल कमोबेश ऐसा ही है।
जिले की तीनों असेम्बली सीट कांग्रेस की झोली में आने के बाद मेरे जैसे सैकड़ो कांग्रेस सिम्पेथासाइजर्स (हमदर्दों) को उम्मीद थी कि कोरिया जिले में कांग्रेस, जनता की भाजपा सरकार से मुक्ति की चाह और बदलाव की छटपटाहट के नतीजे में मिली एक्सीडेंटल जीत को अपनी जीत समझने की बजाय, अपने विधायकों के काम और संगठन के कार्यक्रमों से जिले की अवाम को पार्टी ऑडियोलॉजी से मुतासिर करने में अपनी पूरी ताकत झोकेगी और मई 2019 के लोकसभा चुनाव तक आम वोटर को कांग्रेस के पाले में रोके रख कर “मोदी मैजिक” की कोई काट तैयार करेगी मगर अफसोस कि लोकसभा चुनाव की तारीख आते आते जिले के तीनों विधायक अपनी अपनी अलग अलग राजनैतिक निष्ठाओं तक महदूद होकर एक दूसरे से दूर होते गए और उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया और स्थानीय न्यूज लिंक्स में फिजूल की कलाबाजियां करके अपने ही विधायक को सबसे आला और बाकी को नाकारा साबित करने की मुहिम छेड़े हुए थे! इधर संगठन का हाल कुछ यूं रहा कि जो पदाधिकारी या कार्यकर्ता जिस विधायक के क्षेत्र का रहा या जिस विधायक के प्रति निष्ठावान रहा, वो, केवल उसी विधायक के जयकारे लगाने को अपना राष्ट्रीय पार्टी दायित्व समझा हुआ था! निष्ठाएं बटीं तो सामूहिक उत्तरदायित्व का बोध भी जाता रहा नजीतन लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस जिले की तीनों विधानसभा में अपना ग्राफ पांच महीने में ही गिरा चुकी थी जिसका असर लोकसभा में दिखा और कांग्रेस हर क्षेत्र से पिछड़ गयी!
लोकसभा चुनाव में जिले में कांग्रेस को मिली शिकस्त को ट्रेलर समझ कर,कोई सबक लेने की बजाय पार्टी पूरी फिल्म रिलीज करने की तैयारी में लगी हुई है! बैकुंठपुर विधायक श्रीमती अम्बिका सिंहदेव कई मामलों में बेहद सुलझी हुई लगती है, उनकी सादगी और जनसुलभता लोगों को अपील भी करती है, उनकी जिले के प्रति सोच और विकास की अवधारणा में “इन द इंटरेस्ट ऑफ पब्लिक एट लार्ज” दिखता भी है, साथ ही उनकी स्व. राम चन्द्र सिंहदेव(कोरिया कुमार) से जुड़ी विरासत और वैचारिक प्रतिबद्धता उम्मीद भी जगाती है मगर चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद भी उनके करीब समझे जाने वाले “प्लेइंग इलेवन” में शामिल स्थानीय नामों को पब्लिक इंटरेस्ट से शायद ही कोई सरोकार हो! कांग्रेस के स्थानीय क्षत्रप जो खुद को पोलिटिकल प्लेइंग इलेवन से बाहर देखते है वो पार्टी स्तर पर कुछ सकारात्मक काम करके पब्लिक का लीडर बन कर नेतृत्व को उन पर तवज्जो देने पर मजबूर करने की बजाय पिच खोदने की नई नई तरकीब सोचने में अपनी ऊर्जा गवांते रहते है। पार्षद और पंच का चुनाव खुद के अपने ही वार्ड से हार जाने वाले मोहल्लावीरों पर पार्टी संगठन भरोसा करेगा और ऐसे लोगों को विधायक और पब्लिक के बीच की जगह पर कब्जा करने सुविधा देगा तो 28 कर्मचारियों के स्थानांतरण पर कुछ महीने पहले हुए बवाल जैसे भूचाल तो पार्टी में आते ही रहेंगे! आखिर सरकारी ठेके के चाहत रखने वालों, ट्रांसफर में वसूली करने वालों, अधिकारियों कर्मचारियों का भयादोहन करने वालों को अपनी “दीदी” की सादगी और सोच से, कोरिया कुमार के सपने से और इंटरेस्ट आफ पब्लिक से लेना देना ही क्या होगा?
मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल इतने सहज और सादा है कि उनके लिए ये याद रख पाना थोड़ा मुश्किल ही होता होगा कि उन्होंने किस विभाग के किस कार्यालय के लिए किसको विधायक प्रतिनिधि/प्रभारी नियुक्त किया है! उन्हें तो अपने प्रतिनिधियों/प्रभारियों की लिस्ट साथ में लेकर चलना पड़ता होगा ताकि वख्त जरूरत सनद रहे और याद आ सके कि मिस्टर एक्स फलाना कार्यालय के प्रभारी या प्रतिनिधि है! स्थानीय सोशल मीडिया स्पेस, खासकर स्थानीय वेब न्यूज लिंक्स जो आमतौर पर व्हाट्सएप ग्रुपों में शेयर करके पढवाया जाता है, में विधायक जायसवाल की ताबड़तोड़ उपस्थित का अंदाजा लगाने के लिए इतना बताना काफी होगा कि माननीय के समर्थकों ने इनकी हर छोटी बड़ी बात करामात का डिजिटल बतंगड़ बनाना मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने से ज्यादा अहम समझते है। यहां तक कि महोदय मुख्यमंन्त्री की स्व. माताजी दुःखद निधन के बाद अंतिम संस्कार में शामिल होते है तो भी जिले को बाकायदा वीडियो शेयर करके बताया जाता है कि देखिए आपके नेता कद्र कितनी है। ये विधायक साहब केंद्र सरकार या राज्य सरकार को किसी जन सुविधा संस्था जैसे अस्पताल के लिए पत्र भी लिख देते है तो इनका प्रचार तन्त्र उसको इस तरह प्रचारित करता है कि वो सुविधा रातोंरात स्थापित होकर काम करने लगी है।साथ ही स्वेच्छानुदान स्वीकृति के मामलों में खुद उनकी पार्टी के भीतर से विरोध उभरता रहा है! कुल मिला कर विधायक साहब के खाते में इन आठ माह में बतौर उपलब्धि घोषणाओं के अलावा, बताने के लिए कुछ भी ठोस नहीं है हालांकि उनसे उम्मीद अभी भी की जा सकती है। कुल मिलाकर उनकी छवि मिलनसार, जनोन्मुखी और उद्यमी जरूर बनी हुई है मगर विधायक से उठकर आम जनता के बीच भविष्य में कांग्रेस पकड़ मजबूत करने में उनकी भूमिका अभी तक शिफर ही रही है!