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यात्री ट्रेनों के बायो टॉयलेट में पसरी गंदगी व बदबू से नारकीय यात्रा करने यात्री मजबूर… पूर्व डीआरयूसीसी सदस्य ने भेजा पत्र..

 

अनूप बड़ेरिया

मनेंद्रगढ़ डिवीजन बिलासपुर के पूर्व डीआरयूसीसी सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विजय प्रकाश पटेल ने दपू मध्य रेलवे बिलासपुर जोन के नवनियुक्त महाप्रबंधक गौतम बनर्जी एवं मंडल रेल प्रबंधक आर. राजगोपाल को ज्ञापन प्रेषित कर चिरमिरी-मनेन्द्रगढ़ रेलवे सेक्शन से संचालित चिरमिरी-कटनी (51605-51606), चिरमिरी-रीवा (51753-51754) एवं चिरमिरी-बिलासपुर (58219-58220) यात्री ट्रेनों में बायो टॉयलेट की नियमित सफाई-धुलाई नहीं होने से सड़ांध-बदबू भरी नारकीय यात्रा करने से नागरिकों को निजात दिलाने की मांग की है।

तत्संबंध में  पटेल ने अपने ज्ञापन में उल्लेखित किया है कि यात्री ट्रेनों में जबसे बायो टॉयलेट की व्यवस्था प्रारंभ हुई है, चिरमिरी-मनेन्द्रगढ़ रेलवे सेक्शन से संचालित लगभग सभी उपरोक्त ट्रेनों में बायो टॉयलेट की सफाई को रेल प्रबंधन के संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा नियमित रूप से गंभीरतापूर्वक नहीं लिए जाने और उनकी उपेक्षा के कारण यात्रीगण सड़ांध और बदबू भरी नारकीय यात्रा करने को मजबूर हैं, क्योंकि बायो टॉयलेट में लबालब भरी गंदगी के कारण लघुशंका के लिए टॉयलेट के अंदर प्रवेश कर पाना ही संभव नहीं है। ऐसे में यात्रियों के लिए दीर्घशंका की चुनौती का सामना करना हर किसी के लिए अत्यंत दूभर है। टॉयलेट के अंदर की दुर्गति के अलावा टूटा हुआ कुन्दा, वाशबेसिन की गायब टोटियों के कारण यात्रियों का आक्रोशित होना स्वभाविक है। उन्होंने रेलवे के उच्चाधिकारियों को संंबंधित यात्री ट्रेनों के टॉयलेट में फैली गंदगी की तस्वीरें भी भेजी हैं और कहा है कि संलग्न तस्वीरें इन्हीं यात्री ट्रेनों से ली गई हैं जो आपके अवलोकन हेतु इसलिए प्रेषित की जा रही हैं।  ताकि आप यथाशीघ्र चिरमिरी से कटनी, रीवा एवं बिलासपुर के मध्य संचालित उपरोक्त सभी यात्री ट्रेनों के बायो टॉयलेट की नियमित साफ-सफाई, उनका निरीक्षण, टूटे हुए कुन्दों और टोटियों की मरम्मत का कार्य सुनिश्चित करवा सकें, क्योंकि यह अत्यंत आश्चर्य का विषय है कि उपरोक्त मामले में बार-बार रेलवे प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों का ध्यानाकर्षित कराए जाने पर भी यात्री ट्रेनों के बायो टॉयलेट की साफ-सफाई की नियमित व्यवस्था को अब तक गंभीरता से नहीं लिया गया है, जिससे यात्रियों में जो व्यापक असंतोष और तीव आक्रोश है बढ़ रहा है, उससे होने वाली किसी भी अप्रिय घटना की सम्पूर्ण जिम्मेदारी रेलवे प्रबंधन और प्रशासन की होगी।

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