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पश्चिम बंगाल की घटना को लेकर माहौल बनाया झूठी वाहवाही बटोरने ….विरोध हम कमजोर के खिलाफ करते हैं … मणिपुर उन्नाव मुजफ्फर नगर की घटनाओं को लेकर भी सड़क पर उतरे होते …हत्या दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध के लिए हमने केंद्रीय सत्ता पर दबाव नहीं बनाया ….क्या कहती है हमारी नैतिक जिम्मेदारी ….पढ़े यह पूरी आलेख एक अखबार के संपादक की कलम से

बीजेपी के आईटी सेल के बहकावे में आए मध्यवर्गीय परिवार के लाखों करोड़ों देशभक्तों से निवेदन है,कोलकाता की मरहूम बेटी के न्याय की लड़ाई अगर सड़क से लेकर सोशल मीडिया में लड़ ली हो तो थोड़ा ध्यान बिहार में अपने मां_पिता के सामने सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या और उत्तराखंड की नर्स बहन के अलावा देहरादून की 16 वर्षीय नाबालिग बेटी के सामूहिक दुष्कर्म की बाद नृशंस हत्या के साथ ही राम राज्य (उ प्र) में दो साल की मासूम बिटिया के साथ बालातसंग कर उसे जान से मारने की घटना के विरुद्ध भी सड़क पर उतरा जाए साथ ही शांति पूर्ण ढंग से लम्बा आंदोलन चलाते हुए,सोशल मीडिया पर “स्टॉप रेप एंड मर्डर” नाम का कैंपेन भी चलाया जाए।।

इस तरह का विरोध तब तक जारी रखा जाए जब तक सरकार देश भर में महिला सुरक्षा को लेकर कोई नया और कड़ा कानून न बना दे ।। न कि कोलकाता की तरह अस्पताल या अन्य सरकारी संपत्तियों को क्षति पहुंचाई जाए,,सड़क पर रैलियों निकालते हुए,,घंटो ट्रेफिक जाम किया जाए,या माननीय सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश(दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर किसी भी सूरत में नही होनी चाहिए)का खुला उल्लंघन करते हुए विक्टिम की इमेज वाले पोस्टर बैनर हाथों में लेकर झूठी वाह वाही बटोरी जाए।। जिस तरह का माहौल प बंगाल की घटना को लेकर बनाया गया वह बताता है कि पहले से
हमारी यह फितरत रही है कि हम विरोध सिर्फ कमजोरों के खिलाफ करते रहे हैं। हमारी स्वार्थी भावनाओं को भड़काने के लिए बना बनाया या परोसा हुआ मुद्दा ही मायने रखता है।। ऐसा नहीं होता तो हम मणिपुर,उन्नाव,मुज्जफर नगर की घटनाओं के विरोध में भी हम सड़क पर उतरे होते।। सच तो यह है कि दुष्कर्म और हत्या जैसे संगीन अपराध के लिए भी हमने कभी केंद्रीय सत्ता पर यह दबाव नहीं बनाया कि इस तरह के अपराध को रोकने के लिए सरकार महिला सुरक्षा बिल लाए और ऐसी जघन्य घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए “कड़े से कड़ा” कानून बनाए।। इसका परिणाम यह हुआ कि सरकार और सरकारी तंत्र ने रेप/ गैंगरेप और हत्या जैसी घटनाओं का इस्तेमाल भी सिर्फ राजनीतिक हित साधने के लिए किया। हमने यह भी देखा कि देश की सत्ता में रही पार्टियों ने अपने शासन काल में तमाम तरीकों के जरूरी और गैर जरूरी नियम कानून बनाकर देश की जनता पर जरूर थोपा। परंतु एक ऐसे देश में जहां हर चौथे मिनट में एक रेप की घटना घटती हो वहां रहने वाली महिलाओं के लिए “एक अदद सुरक्षा बिल या कानून” नही बना पाई।। क्युकी सत्ताधारी पार्टी को प.बगांल,मणिपुर की बेटियां अलग उ प्र और उत्तराखंड व बिहार की बेटियां अलग_अलग नजर से देखी गई । इन्होंने रेप,गैंग रैप के बाद की हत्या में राजनीति करने का मौका जरूर ढूंढ लिया, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों की तरफ मुंह नही किया।।

ऊपर से हम पढ़े लिखे मूर्ख लोगों ने आंख बंद कर इनसे सवाल पूछने की जगह इनकी चलाई मुहिम का हिस्सा बन गए।। हम यह भूल गए कि कोलकाता में घटी घटना एक मात्र इकलौती और अंतिम घटना नही है।। हमारे देवतुल्य देश में प्रति चार से पांच मिनट में एक दुष्कर्म की घटना घटती है।। इसके पूर्व भी इससे जघन्य और शर्मनाक कई घटनाएं घटी है और बाद में भी घटती रहेंगी।। तब_तक जब तक दुष्कर्म और हत्या जैसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए जाने के बजाए उसे लेकर राजनीति की जाती रहेगी।।

अब यह जरूरी हो गया है कि इस तरह की घटनाओं के विरोध में हम किसी राजनीतिक दल की परोसी गई सस्ती राजनीति का शिकार न बनकर,, अपने घर देश और समाज की बहन,बेटियों की सुरक्षा और संरक्षण की सामाजिक जिम्मेदारी बखूबी निभाएं। और कही ऐसी घटना घटे तो सवाल सीधे सरकार से करते दिखें। ताकि सरकार और उसका तंत्र सही ढंग से काम करते रहे।।

नितिन सिन्हा
संपादक
खबर सार

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