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भारत जोड़ो न्याय यात्रा कइयों के बढ़ जायेंगे कद तो कुछ के पर कतरे जाने की सुगबुगाहट …. युवा नेताओं ने किया कमाल …. कार्यक्रम में सर्वाधिक भीड़ युवा वर्ग का … पढ़ें पूरी खबर राजनीतिक चश्मे से

शमशाद अहमद /-

रायगढ़।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का रायगढ़ में सफल आयोजन के बाद से कांग्रेसी गदगद हैं। राहुल गांधी को देखने सुनने बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ा। कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने खासतौर पर युवा कांग्रेस, एनएसयूआई के द्वारा शहर में राहुल गांधी की यात्रा में जबरदस्त शक्ति का प्रदर्शन किया। प्रदेश युवा कांग्रेस महासचिव राकेश पांडेय, युवा कांग्रेस अध्यक्ष आशीष जायसवाल, एनएसयूआई अध्यक्ष आरिफ हुसैन, विभाष सिंह, उस्मान बेग जैसे युवा नेताओं सहित मजदूर कांग्रेस के शाहनवाज हुसैन आदि ने जमकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अपनी धमक दिखाई। शहर युवा नेताओं ने राहुल गांधी की शहर में यात्रा के दौरान जबरदस्त माहौल बनाया इससे यात्रा की सफलता में और चार चांद लग गया। राहुल गांधी को सुनने केवड़ा बाड़ी बस स्टेंड के पास जन नायक चौक पर भारी संख्या में लोग पहुंचे थे। लोगों के दिलो दिमाग में राहुल गांधी की पप्पू वाली जो छवि बनाई गई है नजदीक से सुनने और देखने के बाद यह छवि बदल गई है और लोग कहने लगे हैं इसमें कुछ बात तो जरूर है।

जिस तरह से राहुल गांधी ने सभा को संबोधित किया लोग उनके कायल हो गए। उनकी बातों को लोग समझने पर मजबूर हुए कि आखिर वो ऐसा क्यों बोल रहे हैं की नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकान खोलने आया हूं। कई ऐसे लोग भी मिले जो मोदी भक्त रहे हैं लेकिन राहुल गांधी की लाइव सुनने के बाद राहुल गांधी के चाहने वालों में शुमार हो गए और उनका रुझान कांग्रेस की तरफ हुआ है। राहुल गांधी के कार्यक्रम के बाद देर शाम से शहर में अब इस बात की चर्चा भी शुरू हो गई कि रेंगालपाली की सभा में कांग्रेस की किरकिरी के बाद रायगढ़ में राहुल गांधी की सभा और यात्रा की अपार सफलता का सेहरा किसके सर बंधेगा और कार्यक्रम के बाद आने वाले दिनों में कांग्रेस के अंदर सर्जरी और बदलाव की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है। कहा जा रहा है की कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की वजह से ही रेंगालपाली की सभा में भीड़ नहीं आई जिसका खामियाजा आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है। वरिष्ठ राष्ट्रीय कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्रा का भव्य स्वागत की नैतिक राजनीतिक जिम्मेदारी सरहदी जिले के प्रमुख नेताओं की बनती थी।इस कार्यक्रम के बाद कांग्रेस में कई उलट फेर की सुबुगाहट भी निकल कर बाहर आने लगी है।

राजनीति गलियारों की अगर मानें तो कई नेताओं को जिम्मेदारी विमुक्त किया जा सकता है और कुछ को अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। फिलहाल राहुल गांधी के कार्यक्रम के बाद शहर का माहौल कुछ बदला बदला नजर आ रहा है।

 

किंतु ऐसा कदापि नहीं कहा जा सकता की जिले के सीनियर कांग्रेसी नेताओं की भूमिका को कमतर नहीं आंका जा सकता है। कांग्रेस के रायगढ़ सारंगढ़ जिला मुख्यालय के इनकी पूरी टीम केंद्रीय कमेटी के दिशा निर्देशों का अक्षरशः पालन करने की कोशिश की गई। जिसकी वजह से रायगढ़ का कार्यक्रम सफल रहा। शहर के कार्यक्रम के सफल होने के पीछे एक वजह यह भी है की शहर के लोग स्वमेव राहुल गांधी को देखने सुनने बाहर निकले थे लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता है की कांग्रेस ने कोशिश में कोई कमी की है।

 

किंतु यह भी सत्य है कि राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने पर जिस तरह से स्वागत की अपेक्षा की गई थी वह बेहद चौंकाने वाला और आपसी गुटबाजी का नतीजा साफ देखने को मिला। जिस तरह से मणिपुर असम पूर्णिया सहित सभी जगहों पर स्वागत को देखते हुए छत्तीसगढ़ से कहीं ज्यादा उम्मीद थी और स्थानीय स्तर जिम्मेदारों द्वारा अच्छी और जबरदस्त भीड़ का आश्वस्त कर दिया था परंतु धरातल पर ठीक इसके विपरित देखने को मिला। राजनैतिक चश्मे से अगर देखा जाए तो कांग्रेस के लिए अपने वरिष्ठ नेता के स्वागत के लिए जो जिम्मेदारी बनती थी वह नहीं दिखी। वह भी जिले के सरहदी विधान सभा क्षेत्र का मामला था वहां तो अपनी साख और अपनी लोकप्रियता तो दिखानी थी, जिसे जिम्मेदार नेताओं ने अपने अपने चश्मे देखा। जिसका खामियाजा सुर्खियां का विषय बना और केंद्रीय नेतृत्व को बागडोर संभालनी पड़ी।

 

 

 

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