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पंचायत सचिवों की मांग जायज, सरकार वादाखिलाफी कर रही है :: गुलाब कमरो “मोदी की गारंटी” सिर्फ़ चुनावी जुमला निकला, भाजपा ने जनता को दिया धोखा..

 

अनूप बड़ेरिया

पंचायत सचिवों के अनिश्चितकालीन हड़ताल को पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने पूर्ण रूप से न्यायसंगत बताते हुए भाजपा सरकार को घेरा है।

उन्होंने कहा कि “मोदी की गारंटी” के नाम पर सत्ता में आई भाजपा सरकार अब अपने वादों से मुकर रही है। चुनाव से पहले पंचायत सचिवों को शासकीयकरण का भरोसा दिया गया था, लेकिन सवा साल बीत जाने के बाद भी सरकार आदेश जारी नहीं कर सकी।

गुलाब कमरो ने कहा कि पंचायत सचिवों की यह हड़ताल सिर्फ़ उनका नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण क्षेत्र का मुद्दा है। सचिव गाँवों में सरकार और जनता के बीच की कड़ी होते हैं, जिनके बिना मूलभूत विकास ठप पड़ा हुआ है। भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता के कारण आवास योजना, पेंशन वितरण, जाति-निवास प्रमाण पत्र जारी करने सहित पंचायतों से जुड़े अनेक कार्य ठप हो चुके हैं। ग्रामीण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार कान में रूई डालकर बैठी है।
“मोदी की गारंटी” से पलटी भाजपा, किसान-मजदूर-कर्मचारी सभी ठगा महसूस कर रहे

गुलाब कमरो ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब भाजपा सत्ता से बाहर थी, तब इसके नेता कर्मचारियों के मंचों पर जाकर बड़ी-बड़ी बातें करते थे, आश्वासन देते थे, लेकिन आज जब वे सत्ता में हैं, तो “गूँगे बहरे” बन गए हैं। पंचायत सचिवों की आवाज़ न सुनना इस बात का प्रमाण है कि भाजपा को जनता की नहीं, सिर्फ सत्ता की चिंता है।

उन्होंने आगे कहा कि यह सरकार “कॉरपोरेट हितैषी” है, जो सिर्फ पोस्टर और फ्लेक्स पर विकास दिखाती है, लेकिन जमीनी हकीकत शून्य है।

“मोदी की गारंटी” के नाम पर वोट बटोरने वाली भाजपा ने किसान, मजदूर, पंचायत सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइया, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी—सभी को ठगने का काम किया है। अब यह सरकार सिर्फ़ झूठे दावे कर रही है, जनता के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।

“भाजपा सरकार बहरी हो चुकी है” – सचिवों की हड़ताल का असर गाँवों पर

गुलाब कमरों ने आगे कहा कि जब भाजपा ने सत्ता में आने के 100 दिन के भीतर कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था, तब जनता ने उस पर विश्वास किया। लेकिन अब सरकार पूरी तरह अनदेखी कर रही है। सचिवों की मांग पूरी न होने से गाँवों का विकास प्रभावित हो रहा है। पंचायतों में नयी योजनाएँ अटकी पड़ी हैं और जनता को ज़रूरी सेवाएँ नहीं मिल पा रही हैं।

“कर्मचारियों की लड़ाई में हम साथ हैं
गुलाब कमरो ने पंचायत सचिवों सहित सभी अस्थायी कर्मचारियों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि उनकी इस न्यायसंगत लड़ाई में वे पूरी तरह उनके साथ हैं। उन्होंने सरकार से माँग की कि सचिवों की मांगों को तुरंत पूरा किया जाए और उन्हें शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

“यह सिर्फ़ पंचायत सचिवों की लड़ाई नहीं है, यह पूरे छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों और गाँवों के हक़ की लड़ाई है। अगर सरकार नहीं चेती, तो जनता इसका जवाब देगी!”

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