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बीपीए मेटाकलिक्स शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाकर विशाल उद्योग लगाने कर ली गुपचुप तैयारी …99 साल की लीज पर मचा बवाल… हर दिन 5 लाख लीटर से अधिक पानी की खपत .. इन्होंने किया सवाल खड़ा…और अब क्या पढ़ें पूरी खबर

 

रायगढ़। रायगढ़ जिला एक औद्योगिक नगरी में रूप में विख्यात है और औद्योगिक नगरी यानि नौकरियों की भरमार, परंतु दुर्भाग्य है कि जिले में सैकड़ों कल कारखाने और खदानो की भरमार है। पर जो होना चाहिए नौकरी वो है नहीं, और जो नहीं होना चाहिए अर्थात पर्यावरण प्रदूषण वो भयावह स्थिति में हैं। वर्तमान में जिस नए उद्योग को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है वह कोटमार पतरापाली में स्थापित होने वाली बीपीए मेटालिक्स की स्थापना की। इसकी स्थापना को लेकर जिस तरह से भूमि आवंटन से लेकर जो तमाम कार्यवाइयां गुपचुप तरीके से की गई है इस पर कई सवाल उठ रहे हैं। जन मानस में जो बात चल रही है वो ये कि औद्योगिक घरानों के द्वारा शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाते हुए अर्थ के बोझ तले दबा कर सारी औपचारिकता पूरी की गई है जो कतई बर्दाश्त नहीं है और इसकी स्थापना को लेकर कोर्ट में चुनौती दी जाएगी यानि हाई कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।

जिले में चारो ओर से औद्योगिक कल कारखाने स्थापित होते चले जा रहे हैं। अब पतरापाली कोटमार में एक भारी भरकम फैक्ट्री लगने जा रही है। इसकी कार्रवाई भी पूरी तरह से गुपचुप तरीके से की गई है। यह उद्योग वीजा स्टील एंड पावर को अलॉट हुई भूखंड पर स्थापित की जा रही है। खास बात ये है कि वीजा पावर की भूखंड को बीपीए मेटालिक्स प्रा लि नाम के एक औद्योगिक घराने को गुपचुप तरीके से 99 साल की लीज पर आबंटित कर दी गई है।

पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने बताया कि 151.756 एकड़ के विशाल भूखंड जो वीजा स्टील के लिए हायर की गई थी जिसे गैर कानूनी नियम से 99 साल के लिए सीएसआईडीसी रायपुर के द्वारा महज चंद लाख रुपए में आबंटित कर दिया गया है। इसके खिलाफ पर्यावरण मित्र संस्था के द्वारा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाने की बात कही गई है ताकि इस पर रोक लग सके। पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने कहा की रायगढ़ शहर के 20 किमी के चारो दिशाओं में शासन ने प्रदूषण फैलाने की मुहिम चला रही है आम जनता प्रदूषण से बेहाल है इसकी कोई परवाह नहीं है। पतरापाली कोटमार में बीपीए मेटालिक्स के द्वारा विशाल फैक्ट्री लगाए जाने से प्रदूषण और भयावह रूप धारण कर लेगी। जबकि आईआईटी खड़गपुर और भिलाई के केयरिंग कैपिसिटी की रिपोर्ट में रायगढ़, तमनार, घरघोड़ा ब्लॉक को रेड जोन माना है और स्पष्ट किया है कि यहां और उद्योग नहीं लगना चाहिए। यह रिपोर्ट 5 साल पहले की है और इन पांच सालों में कई उद्योगों की स्थापना की अनुमति दे दी गई।


जिले में और उद्योग की स्थापना न हो इसके लिए पर्यावरण विद सामाजिक कार्यकर्ता लगातार इसका विरोध कर रहे हैं बावजूद इसके पर्यावरण विभाग उद्योगपतियों से करोड़ों रुपए लेकर अनुमति पर अनुमति दिए जा रहा है अधिकारियों को क्या है वे आज यहां कल कहीं और चले जायेंगे लेकिन इसका दुष्परिणाम तो रायगढ़ वासियों को भुगतना पड़ेगा। यही वजह है की पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल बीपीए मेटालिक्स के खिलाफ जमीन आवंटन सहित कई बिंदुओं को लेकर हाई कोर्ट में परिवाद दायर करने जा रही है।


बजरंग अग्रवाल ने बताया कि बीपीए मेटालिक्स के द्वारा एक बड़ा प्लांट स्थापित किया जा रहा है जिसमें डीआरआई बेस्ड स्पंज आयरन का उत्पादन 7,17,500 टन प्रतिवर्ष, आई / ओ बेनिफिकेशन 10 लाख टन प्रतिवर्ष, आयरन ओर पेलेट प्लांट की क्षमता 6 लाख टन प्रतिवर्ष, एमएस बिलेट 6 लाख 12 हजार 500 टन प्रतिवर्ष, रिरोल्ड स्टील का उत्पादन 5 लाख 82 हजार टन प्रतिवर्ष, एमएस पाइप 3 लाख हजार टन, कोल वाशरी 10 लाख टन सहित अन्य कई उत्पादन इस फैक्ट्री से होना है। इसकी वजह से पतरापाली कोटमार क्षेत्र की भूजल भी तेजी से प्रभावित होगी क्योंकि इस भारी भरकम फैक्ट्री में हर दिन 5 लाख 10 हजार लीटर पानी की खपत होनी है खास बात ये है की पानी कहां से आएगा इसकी आईआईए रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इससे जाहिर होता है कि यहां बड़े बड़े भारी भरकम बोर से भूजल का दोहन होगा।

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