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शानदार व्यवस्था के बीच सम्पन्न हुआ सूर्य उपासना का महापर्व छठ…छठ घाटों में थी शानदार व्यवस्था… विधायक, कलेक्टर सहित अनेक लोग पहुंचे घाट…

अनूप बड़ेरिया
कोरिया जिला में एक बार शानदार व्यवस्था के बीच में सूर्य उपासना का महापर्व छठ संपन्न हुआ बैकुण्ठपुर, शिवपुर-चर्चा, मनेंद्रगढ़, चिरमिरी इत्यादि जगहों पर स्थानीय निकायों द्वारा छठ घाट को आकर्षक रूप से सजाया गया था।
 
 
बैकुण्ठपुर, चर्चा के आसपास विधायक श्रीमती अम्बिका सिंहदेव एवं जिला कलेक्टर डोमन सिंह भी छठ घाट में नजर आए। वही चिरमिरी में विधायक विनय जायसवाल अपनी धर्म पत्नी के साथ प्रसाद ग्रहण करते दिखे। इसके अलावा बैकुण्ठपुर में कांग्रेस नेता योगेश शुक्ला, समाजसेवी संजय अग्रवाल, नपा अध्यक्ष अशोक जायसवाल, अजय सिंह सहित अनेक लोग व्रती माताओं से आशीर्वाद लेने छठ घाट पहुंचे।
 
जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में राम मंदिर स्थित जोड़ा तालाब भी नगरपालिका द्वारा इस बार काफी सुंदर व आकर्षक व्यवस्था की गई थी अलग-अलग पंडालों में हर तरह की व्यवस्था नजर आए इतना ही नहीं मुख्य मार्ग से छठ घाट तक जाने के लिए व्रती महिलाओं के लिए मैट भी बिछाया गया था।
 
 विभिन्न संगठनों द्वारा हजारों श्रद्धालुओं के लिए चाय, कॉफी, फल, फूल इत्यादि की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के नेतृत्व में सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद नजर आई।
छठ पर्व में छठ मैया की पूजा की जाती है। इन्हें भगवान सूर्यदेव की बहन माना जाता है। छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। छठी मैया का ध्यान करते हुए लोग मां गंगा-यमुना या किसी नदी के किनारे इस पूजा को मनाते हैं। जिसमें सूर्य की पूजा अनिवार्य है साथ ही किसी नदी में स्नान करना भी। इस पर्व में पहले दिन घर की साफ सफाई की जाती है। छठ के चार दिनों तक शुद्ध शाकाहारी भोजन किया जाता है। पूरे भक्तिभाव और विधि विधान से छठ व्रत करने वाला व्यक्ति सुखी और साधनसंपन्न होता है। साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी ये व्रत उत्तम माना गया है। इस व्रत को 36 घंटों तक निर्जला रखा जाता है।

जिसके पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन व्रत रख सूर्य को संझिया अर्घ्य और चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया जाता है। ये व्रत इस तरह से 36 घंटे तक निर्जला रखा जाता है और इस व्रत में छठ मैया और सूर्य देव की अराधना की जाती है।

कार्तिक शुक्ल षष्ठी को पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इस दिन व्रती घर पर बनाए गए पकवानों और पूजन सामग्री लेकर आस पास के घाट पर पहुंचते हैं। घाट पर ईख का घर बनाकर बड़ा दीपक जलाया जाता है। व्रती घाट में स्नान करते हैं और पानी में रहकर ही ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर घर जाकर सूर्य देवता का ध्यान करते हुए रात्रि भर जागरण किया जाता है। जिसमें छठी माता के गीत गाये जाते हैं सप्तमी के दिन यानी व्रत के चौथे और आखिरी दिन सूर्योदय से पहले घाट पर पहुंचने के बाद अपने साथ पकवानों की टोकरियां, नारियल और फल भी रखे फिर उगते हुए सूर्य को जल देते हैं। छठी की कथा सुन और प्रसाद बांट आखिर में व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत खोलती हैं।

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