बाल दिवस पर नेहरू को भूल गया एसईसीएल.. सेंट्रल हॉस्पिटल के सामने पार्क में धूल खा रही प्रतिमा..लेकिन पार्क में लग रही लाखो की टाइल्स…आखिर पत्रकारों ने ली सुध…जानकारी मिलते ही जीएम ने मोबाइल किया बन्द…
भनक लगते ही जीएम ने मोबाइल किया बन्द…
एसओ सिविल नही उठा रहे फोन
मनेन्द्रगढ़ से ध्रुव द्विवेदी
एक ओर देश के प्रधानमंत्री भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की पहल कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एसईसीएल हसदेव क्षेत्र प्रबंधन मनमानी पर उतारू है। हैरत वाली बात तो यह है कि हसदेव क्षेत्र के अधिकारियों को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती याद नहीं रही ।केंद्रीय चिकित्सालय मनेन्द्रगढ़ के सामने नेहरू उद्यान में पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा धूल खाती पड़ी रही। लेकिन उसी पार्क के बाहर टाइल्स लगाने के लिए प्रबंधन द्वारा ठेका दे दिया गया है। मजदूर गड्ढा खोद रहे हैं। आने वाले दिनों में यहां लाखों रुपए की राशि खर्च कर टाइल्स लगा दी जाएगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब नेहरू पार्क को व्यवस्थित नहीं रखा जा सकता तो वहां टाइल्स लगाने की क्या जरूरत है।
मनेंद्रगढ़ के केंद्रीय चिकित्सालय के सामने बच्चों के लिए नेहरू पार्क बनाया गया है ।यहां पार्क के अंदर नेहरू जी की मूर्ति भी लगाई गई है। लेकिन मूर्ति लगाने के बाद एस ई सी एल प्रबंधन अपने दायित्व को भूल गया। यही वजह है कि 14 नवंबर को जब पूरा विश्व भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा था। वहीं दूसरी ओर मनेन्द्रगढ़ के केंद्रीय चिकित्सालय के सामने नेहरू उद्यान में लगी नेहरू की प्रतिमा धूल खाती हुई पड़ी थी । हसदेव प्रबंधन से इतना भी नहीं हो सका कि वह नेहरू की प्रतिमा के आसपास साफ सफाई करवा सकें। वहां एक फूल चढ़ा सके क्योंकि इस काम में अधिकारियों को कुछ हासिल नहीं होगा। लेकिन एसईसीएल के अधिकारियों ने बिना किसी वजह पार्क के बाहर लाखों रुपए की राशि से टाइल्स लगवाने काम जरूर शुरू कर दिया है ।इस टाइल्स लगाने का फायदा बच्चों को कितना होगा यह समझने की बात है। लेकिन इस टाइल्स लगाने से संबंधित ठेकेदारों अधिकारियों को कितना कमीशन मिलेगा यह आसानी से समझा जा सकता है ।
क्या अधिकारी यह बता सकते हैं कि जब वे नेहरू पार्क को व्यवस्थित नहीं रख सकते, पार्क के अंदर साफ सफाई नहीं करा सकते, बच्चों के लिए झूले नहीं लगा सकते तो फिर बाहर टाइल्स लगाने के लिए इतना उतावलापन क्यों है ।नेहरू पार्क के अंदर एक भी झूला नहीं है जहां बच्चे जा सके, और इस पार्क के अंदर इतनी झाड़ियां लगी हुई है कि इसे खरपतवार का जंगल कहा जाए तो बेहतर होगा ।रही सही कसर आसपास रहने वाले लोग पूरी कर देते हैं जो अपने घरों से निकलने वाला कचरा और मेडिकल वेस्ट भी इसी पार्क के अंदर डाल देते हैं ।साथ ही साथ पार्क के बाहर शराब की कई बोतलें डिस्पोजल ही पड़े हुए हैं इससे समझा जा सकता है कि इस पार्क का किस काम के लिए उपयोग किया जाता है ।इस पूरे मामले में जब हमने एसईसीएल क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक से उनके मोबाइल पर चर्चा कर उनका पक्ष जानना चाहा तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ रहा। एसओ सिविल को भी फोन लगाया लेकिन उनका भी फोन स्विच ऑफ रहा। हां यह अलग बात है कि अगर वह फोन उठाने तो इस मामले में अपना पक्ष देने के स्थान पर वे जरूर कहते कि हमें इसके लिए एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा मना किया गया है ।अगर आपको बात करनी है तो पी आर ओ से पक्ष ले लीजिये। अब देखना है कि इस संवेदनशील मामले में एसई सी एल प्रबंधन क्या रवैया अपनाता है।