निर्भया कांड: तारीख पे तारीख..1 फरवरी को भी टल सकती है दरिंदो की फांसी ?..पुरानी लचर कानून व्यवस्था का मजाक..!
निर्भया कांड: तारीख पे तारीख..1 फरवरी को भी टल सकती है दरिंदो की फांसी ?..पुरानी लचर कानून व्यवस्था का मजाक..!
सात साल के लंबे इंतजार के बाद निर्भया के दोषियों को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने का वक्त आया तो इस राह में अब कई तरह की कानूनी अड़चने बाधक बन रही हैं। इन बाधाओं के कारण दोषियों की फांसी लगातार टलती जा रही है। सात साल में पहली बार जब निर्भया के दोषियों की फांसी की तारीख का एलान हुए तो लगा कि अब बिटिया को न्याय मिल जाएगा लेकिन दोषी अब हमारे कानून में दिए प्रावधानों का फायदा फांसी टालने के लिए कर रहे हैं। अब जब फांसी की दूसरी तारीख भी आ गई है तो ये माना जा रहा है कि इस तारीख यानी एक फरवरी को भी दोषियों को फांसी नहीं होगी। आइए जानते हैं कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं और इसके पीछे क्या कारण हैं…
…तो फिर फांसी में हो सकती है देरी
दिल्ली जेल मैनुअल के मुताबिक, अगर एक ही मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा मिली है और इनमें से एक भी अपील करता है तो इस स्थिति में सभी दोषियों की फांसी पर तब तक रोक लगी रहेगी, जब तक अपील पर फैसला नहीं हो जाता। अगर निर्भया के बाकी तीन दोषियों में से कोई एक दोषी भी दया याचिका लगाता है तो फांसी टलती रहेगी।
दिल्ली जेल मैनुअल के मुताबिक, अगर एक ही मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा मिली है और इनमें से एक भी अपील करता है तो इस स्थिति में सभी दोषियों की फांसी पर तब तक रोक लगी रहेगी, जब तक अपील पर फैसला नहीं हो जाता। अगर निर्भया के बाकी तीन दोषियों में से कोई एक दोषी भी दया याचिका लगाता है तो फांसी टलती रहेगी।
वकील ने कहा, चारों पर लूट का मामला लंबित, इसलिए भी फांसी नहीं
दरिंदों के वकील एपी सिंह ने बताया कि मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता का नाम लूट के एक मामले में भी है। यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है, इसलिए उन्हें फांसी नहीं दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि अगस्त, 2015 में दिल्ली कोर्ट ने राम आधार नाम के एक बढ़ई के यहां लूट के मामले में चारों को दोषी ठहराया था और इन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ चारों ने तब हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां यह मामला लंबित है।
दरिंदों के वकील एपी सिंह ने बताया कि मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता का नाम लूट के एक मामले में भी है। यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है, इसलिए उन्हें फांसी नहीं दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि अगस्त, 2015 में दिल्ली कोर्ट ने राम आधार नाम के एक बढ़ई के यहां लूट के मामले में चारों को दोषी ठहराया था और इन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ चारों ने तब हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां यह मामला लंबित है।
दरिंदों के पास अब क्या विकल्प
मुकेश की दया याचिका खारिज होने के बाद अभी बाकी के तीन दोषियों अक्षय, पवन और विनय के पास दया याचिका का विकल्प बचा है। अक्षय और पवन के पास दया याचिका से पहले सुधारात्मक याचिका का भी विकल्प है। जब तक किसी भी दोषी की कोई भी याचिका लंबित रहेगी, तब तक किसी भी दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती। दोषियों वकील एपी सिंह के मुताबिक अन्य दोषियों की सुधारात्मक और दया याचिका के लिए उन्होंने तिहाड़ और प्रशासन को पत्र लिखे हैं, जैसे ही उन्हें दस्तावेज मिलते हैं, तब वह आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
मुकेश की दया याचिका खारिज होने के बाद अभी बाकी के तीन दोषियों अक्षय, पवन और विनय के पास दया याचिका का विकल्प बचा है। अक्षय और पवन के पास दया याचिका से पहले सुधारात्मक याचिका का भी विकल्प है। जब तक किसी भी दोषी की कोई भी याचिका लंबित रहेगी, तब तक किसी भी दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती। दोषियों वकील एपी सिंह के मुताबिक अन्य दोषियों की सुधारात्मक और दया याचिका के लिए उन्होंने तिहाड़ और प्रशासन को पत्र लिखे हैं, जैसे ही उन्हें दस्तावेज मिलते हैं, तब वह आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
मुकेश के पास फांसी से बचने का आखिरी रास्ता भी बंद
राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने के बाद मुकेश के पास अब फांसी से बचने का आखिरी रास्ता भी बंद हो गया। उसने 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से सुधारात्मक याचिका खारिज होने के बाद राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई थी। मुकेश इस मामले के अन्य तीन दोषियों के साथ तिहाड़ जेल के विशेष वार्ड में बंद है। 2012 में 16-17 दिसंबर की रात को दिल्ली में हुई इस दरिंदगी के एक अन्य दोषी विनय शर्मा की दया याचिका भी राष्ट्रपति के पास पहुंची थी, लेकिन उसने बाद में यह कहते हुए अर्जी वापस ले ली थी कि इसके लिए उसकी राय नहीं ली गई थी।आभार-अमर उजाला
राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने के बाद मुकेश के पास अब फांसी से बचने का आखिरी रास्ता भी बंद हो गया। उसने 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से सुधारात्मक याचिका खारिज होने के बाद राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई थी। मुकेश इस मामले के अन्य तीन दोषियों के साथ तिहाड़ जेल के विशेष वार्ड में बंद है। 2012 में 16-17 दिसंबर की रात को दिल्ली में हुई इस दरिंदगी के एक अन्य दोषी विनय शर्मा की दया याचिका भी राष्ट्रपति के पास पहुंची थी, लेकिन उसने बाद में यह कहते हुए अर्जी वापस ले ली थी कि इसके लिए उसकी राय नहीं ली गई थी।आभार-अमर उजाला