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जिपं की सोनहत सीट त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी.. प्रचार की तेज रफ्तार में भाजपा की सुशीला..निर्दलीय कमला ने कांग्रेस को डाला मुश्किल में..कांग्रेस से ज्योत्स्ना पुष्पेन्द्र राजवाड़े…सुशीला की पकड़ महिलाओं और युवाओं में..पूर्व केबिनेट मंत्री की है भतीजी….

जिपं की सोनहत सीट त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी..

प्रचार की तेज रफ्तार में भाजपा की सुशीला..

निर्दलीय कमला ने कांग्रेस को डाला मुश्किल में..

कांग्रेस से ज्योत्स्ना पुष्पेन्द्र राजवाड़े…

सुशीला की पकड़ महिलाओं और युवाओं में..

पूर्व केबिनेट मंत्री की है भतीजी….

अनूप बड़ेरिया
 
कोरिया जिलें के जिला पंचायत चुनाव में सोनहत सीट में अब लोगो की निगाहें जम गई हैं। हरे-भरे पेड़ो से घनी पहाड़ियों के बीच सर्द हवाओं में सोनहत का यह चुनाव काफी गर्मिला साबित होने जा रहा है। यह सीट अनारक्षित महिला के लिए है। शनैः शनै: जिला पंचायत सदस्य सोनहत का चुनाव रोचक मोड़ पर आ पहुँचा है। यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने इस बार नए चेहरे के रूप में गैर राजनीतिक परिवार से  तेजतर्रार प्रत्याशी सुशीला राजवाड़े को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने ज्योत्सना पुष्पेन्द्र राजवाड़े और गोंडवांना गणतंत्र पार्टी ने शिवाली सिंह को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस नेता पुष्पेंद्र राजवाड़े पिछली बार यहां से जिपं का चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार इस सीट से उन्होंने अपनी पत्नी को मैदान में उतारा है। पुष्पेंद्र की लोकप्रियता और विधायक गुलाब कमरो के  सक्रिय प्रचार से कांग्रेस लाभ की स्थिति में थी, लेकिन यहां कांग्रेस से बागी होकर लड़ रहीं प्रतिष्ठित परिवार की कमला गुप्ता ने कांग्रेस प्रत्याशी को मुसीबत में डाल दिया है। कमला तेजी से कांग्रेस को परेशान करती नजर आ रहीं हैं।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की आपाधापी के बीच भाजपा प्रत्याशी सुशीला राजवाड़े की लोकप्रियता मतदाताओं के बीच बढ़ती जा रही है। श्रीमती राजवाड़े कुशल वक्ता होने के साथ ही स्वयं नेतृत्व करने और आम लोगों को प्रभावित की कुशलता रखती हैं। वो राजनीति में आने से पहले प्रेरक रही हैं। कुछ दिनों तक डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर भी कार्य कर चुकी हैं। जिसका उन्हें अनुभव के रूप में लाभ मिल रहा है। भाजपा के कार्यकर्ता भी अपने उम्मीदवार के नेतृत्व को देखकर उत्साहित हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में किसानों की नाराजगी का सीधा नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी को झेलना पड़ रहा है। सुशीला राजवाड़े पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े की भतीजी हैं और स्वयं मंत्री जी उनके लिए सभाएं और बैठकें ले रहे हैं। जिसका मतदाताओं पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। जहां एक ओर मितानिनों की नाराजगी कांग्रेस के प्रति उभर कर आ रही है, वहीं युवा वर्ग बेरोजगारी भत्ता का मुद्दा उठाते नजर आ रहे हैं। बुजुर्गों को पेंशन न मिलने, मजदूरी भुगतान न होने की बातें भी चुनावी मुद्दा बनी हुई हैं। कई अन्य प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं जो सामाजिक समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं गोंडवाना प्रत्याशी शिवाली सिंह भी भाजपा व कांग्रेस  को कड़ी टक्कर दे रहीं हैं। बहरहाल इस चुनाव में सुशीला राजवाड़े को प्रत्याशी बनाना ही भाजपा के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। अब देखना यह है कि परिणाम का ऊंठ किस करवट बैठता है। वर्तमान में यह सीट भाजपा के कब्जे में है। यहां से पिछली बार सूबे के कद्दावर नेता देवेंद्र तिवारी ने जीत दर्ज की थी।

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