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बदकिस्मती की कश्ती पर सवार है बिहारी राजवाड़े… लगातार तीन बार जनपद उपाध्यक्ष पद से चूके ..इस बार भाजपा के चक्रव्यूह में फंसे बिहारी…. 

सोशल मीडिया में भड़ास निकाल कर कहां दोगले नेताओं की वजह से हारा..

बिहारी को जपं उपाध्यक्ष कैसे बनने देते भैयालाल राजवाड़े..

 

अनूप बड़ेरिया

कोरिया जिले की राजनीति में बिहारी लाल राजवाड़े एक जाना माना नाम है कभी कांग्रेस के बड़े चेहरों में एक बिहारी लाल राजवाड़े बीच में जोगी कांग्रेस में सवार रहे हालांकि उन्होंने अभी भी घोषित रूप से उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है। 

यदि कहा जाए कि बिहारी लाल राजवाड़े राजनीतिक बदकिस्मती का शिकार है तो कहीं से कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। दरअसल जनपद सदस्य का चुनाव जीतकर आए बिहारी लाल राजवाड़े इस बार फिर जनपद पंचायत बैकुंठपुर के लिए जनपद उपाध्यक्ष का चुनाव लड़े। लेकिन किस्मत फिर खराब की वह तीसरी बार उपाध्यक्ष का चुनाव 7 वोट पाकर हार गए।
दरअसल बदकिस्मती के शिकार पूर्व सरपंच बिहारीलाल राजवाड़े 2010 में कांग्रेस के समर्थन से जपं उपाध्यक्ष का चुनाव लड़े पर उनके और भाजपा के कमलेश राजवाड़े के बीच टाई हो गया। लाटरी सिस्टम से बिहारी चुनाव हार गए।
2015 मे कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी अनिल जायसवाल को बनाया। तो बिहारी राजवाड़े भाजपा के समर्थन से उपाध्यक्ष का चुनाव लड़े। लेकिन किस्मत एक बार फिर बिहारी लाल राजवाड़े से रूठी रही और वह मात्र एक मत से चुनाव हार गए।

इस वर्ष 2020 में बिहारी राजवाडे ने एक बार फिर अपने भाग्य को आजमाने का प्रयास किया। इसलिए वह भाजपा के समर्थन से एक बार फिर मैदान में नजर आए लेकिन इस बार बिहारी लाल राजवाड़े भाजपा की कुरणनीति का शिकार हो गए। दरअसल भाजपा ने उन्हें बलि का बकरा बनाते हुए उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार तो बना दिया लेकिन भाजपाइयों ने क्रास वोटिंग की जहां अध्यक्ष पद को 13 पद मिले और भाजपा का अध्यक्ष जीत गया वहीं उपाध्यक्ष के लिए बिहारी राजवाडे को मात्र सात मत मिले और वह चुनाव हार गए तो आखिर बाकी की 6 वोट कहां गए।
इसके पीछे  की भी कहानी साफ-सुथरी है दरअसल बीते विधानसभा चुनाव में बिहारी लाल राजवाड़े छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से विधायक के लिए चुनाव मैदान में उतरे। हालांकि चुनाव में हार गए लेकिन राजवाडे मतों में उन्होंने इतनी सेंध लगाई की राजवाडे समाज का बड़ा चेहरा और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मंत्री भैया लाल राजवाड़े इन्हीं मतों के डिफरेंस से चुनाव हार गए।
जाहिर बात है कि भाजपा के भैया लाल राजवाड़े जब बिहारी लाल राजवाड़े की वजह से चुनाव हारे तो उन्हें भाजपा के समर्थन से जनपद उपाध्यक्ष का पद कैसे संभालने देते हैं। यही राजनीतिक चूक बिहारीलाल राजवाडे को भारी पड़ी।
सोशल मीडिया में निकाली भड़ास बिहारी ने
बिहारी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि मैं चुनाव हारा हूँ हिम्मत नही..
“क्षेत्र की जनता मुझे निर्वाचित कर जनपद तक पहुँचाती है,पर चंद दोगले नेता मुझे डाईज़ेस्ट नहीं कर पाते हैं। इसीलिए जनता जहाँ मुझे देखना चाहती है मैं वहाँ पँहुच नहीं पा रहा हूँ। इसके लिए मैं आप सभी से क्षमा चाहता हूँ।”

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