♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

यादें..’कुमार’ बार-बार नही आते.. आपका जाना सही मायने में ईमानदारी व सादगी के एक युग का अवसान है..द्वितीय पुण्यतिथि पर विशेष..

 

अनूप बड़ेरिया

ईमानदारी और सादगी की मिशाल डॉ रामचन्द्र सिंहदेव की द्वितीय पुण्यतिथि पर आज भी नही लगता है कि  कोरिया का भाग्य विधाता हमेशा के लिए चिरनिद्रा की आगोश में समा गए हैं। बल्कि आज भी वह हम सब के साथ ही हैं।

उन्हें कुमार साहब के नाम से जाना जाता रहा है। कुमार याने ईमानदारी का पर्यायवाची। अविभाजित मध्यप्रदेश में 14 विभाग के एक साथ मंत्री, दिग्विजय सिंह सरकार में जलसंसाधन मंत्री व छग बनने के बाद वित्त मंत्री व आबकारी मिनिस्टर। मतलब काजल की कोठरी में रह कर भी बेदाग। यही ईमानदारी उनकी शैली थी जो लोगो को उनका कायल बनाती थी। सीएम कोई भी रहा हो दिग्गी, जोगी या रमन सब ने कुमार को आदर सम्मान दिया। जिस पद पर कुमार साहब रहे , उस पद की गरिमा अपने आप ही बढ़ गयी। आज कुमार साहब के नही रहने का गम आज सभी को सता रहा है।

बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई।
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया।।

छग के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी ने मुझे एक साक्षात्कार के दौरान बताया था कि कोरिया उत्सव के दौरान जब वह कोरिया महल गए। वहाँ चाय में चीनी डालते वक्त चीनी के कुछ दाने ट्रे में गिर गए तो उस समय के छग वित्तमंत्री रहे सिंहदेव ने चीनी के दाने उठा कर प्याली में वापस डाल दिया था। तब जोगी को लगा की छग का खजाना सही हाथों में है। जनता फिक्र व उनकी भलाई में पैसों का दुरुपयोग रोकते हुए उन्होंने अपनी सरकार की कुर्बानी तक दे दी और लोगो की परवाह भी नही की। आबकारी मिनिस्टर होने के बाद भी किसी शराब माफिया की हिम्मत नही थी कि वह कुमार से बात कर सके। कोरिया के लोग यूं ही नही कहते..

राजा नही फकीर है, कोरिया की तकदीर है

महलों में रहने, मंत्री पद, योजना आयोग के उपाध्यक्ष सहित कई पदों की गरिमा बढ़ाने के बावजूद भी कुमार लालबत्ती या प्रोटोकॉल को दरकिनार ही किया। जल संसाधन मामलों के ऐसे विशेषज्ञ की हिंदुस्तान के कई राज्यो की पानी की समस्या को सुलझाया। आर्थिक मामलों के इतने जानकार की अनेक राज्य के मुख्यमंत्री कुमार से सलाह ले कर उसे अमलीजामा पहनाते।

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा।
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।।

कुमार लगातार कोरिया के लिए चिंतन व मनन करते रहते थे। पद में रहे या न रहे उन्होंने क्षेत्र की जनता के लिए अपना जीवन तक पूरा और पूरा ही समर्पित कर दिया। यहां तक कि उन्होंने विवाह कर अपना परिवार तक नही बसाया। इतना त्याग कोई महापुरुष ही कर सकता है।

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है।
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।।

कमाल के फोटोग्राफर भी थे कुमार साहब

रायपुर के बंगले में उनकी खींची अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री नरगिस दत्त व मधुबाला की तस्वीर आज भी शोभा बढ़ा रही है। इसकी जानकारी मिलने पर नरगिस की पुत्री व फ़िल्म अभिनेता संजय दत्त की बहन व पूर्व सांसद प्रिया दत्त कुमार से मिलने रायपुर उनके बंगले भी आयीं थी। कुमार की अंगुलियां कैमरे पर मानो नाचती सी थी। उनकी खींची हर तस्वीर सजीव सी लगती थी। मुझे याद है जब मोबाइल फोन में कैमरा आना नया नया चालू हुआ था तब उन्होंने कोरिया पैलेस के अंदर मेरा मोबाइल ले कर मेरा व मेरे बेटे संस्कार का शानदार फ़ोटो खींचा था। तब उन्होंने कहा भी था कि फोटो खिंचने में जो बात कैमरे में है वो मोबाइल में नही है।

एक नायाब मोती खुदा के रहम से मेरे इस शहर ए चमन में खिला था ।
वो ही मोती इस चमन को अलविदा कह आज आसमां का सितारा हो गया।।

राजनीतिक जीवन ऐसा की युवावस्था में ही 1967 में चुनाव लड़े व कीर्तिमान मतों से जीते। बैकुंठपुर विधानसभा सीट से 6 बार विधायक रहे। 1992 में कांग्रेस से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ कर जीते।1998 के चुनाव मे पूरे मध्यप्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीतने के मामले में वह दिग्विजयसिंह के बाद दूसरे स्थान पर रहे। उस वक्त कुमार ने लगभग 34 हजार के मतों से चुनाव जीता था। 2003 का चुनाव जीतने के बाद 2008 का चुनाव उन्होंने यह कह कर लड़ने से मना कर दिया कि अब चुनाव मे शराब, कम्बल बंटने लगा। जो मैं कर नही सकता। राजनीति में इतना पवित्र औऱ ईमानदार शख्स मिलना मुश्किल ही नही नामुनकिन है। आज उनकी भतीजी श्रीमती अंबिका सिंहदेव बैकुंठपुर की विधायक छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव के रूप में क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व कर रही हैं कोरिया कुमार के अधूरे सपने को पूरा करने के वादों के साथ वह जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में सफल रही हैं।

कुमार हिंदुस्तान की राजनीति का सशक्त हस्ताक्षर थे। उनको नमन है, वंदन है।। कुमार के बारे मे कुछ भी सूरज को दीपक दिखाने जैसा है।

कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई।
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए।।

 

 

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close