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कोरिया के इस ग्रामीण अंचल के साहित्यकार की पुस्तक “इस खनकती सभ्यता में” का हुआ विमोचन…अमेजॉन में उपलब्ध..

 

एस. के.”रूप”

बैकुंठपुर-कोरिया/ प्रकृति का दर्द बयान करती कविताओं का संग्रह है बलदाऊ गोस्वामी का काव्य संग्रह “इस खनकती सभ्यता में” जिसमें शामिल है चिरई का दर्द, लगातार कटते जंगल और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मानवीय संवेदना का समाज से निरंतर विलुप्तता की ओर पलायन. उक्ताशय के विचार शासकीय विवेकानंद महाविद्यालय मनेंद्रगढ़ के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर बृजलाल साहू मुख्य अतिथि के आसंदी से व्यक्त किए . उन्होंने कहा कि कविताओं में बिम्ब और प्रतीक शब्द-चित्र के समान प्रतिबिंब है. देशज शब्द गांव, गवंई, डगर ,पनघट ,की सम्मोहक छवि बनाते हैं. कवि की कविताओं में भोगा हुआ यथार्थ और सुकोमल भावनाओं का मणिकांचन संयोग है.


होटल गंगाश्री के सभागार में संभ्रांत नागरिकों एवं साहित्यकारों की उपस्थिति में काव्य संग्रह  इस खनकती सभ्यता में पुस्तक का विमोचन बीते 19 जुलाा ईको संपन्न हुआ.

उक्त अवसर पर मां सरस्वती की आराधना के पश्चात कार्यक्रम आयोजक सम्यक क्रांति के प्रबंधन निदेशक एस. के. “रूप” एवं कोरिया जिले के भाजपा उपाध्यक्ष देवेंद्र तिवारी ने शाल श्रीफल एवं पुष्प गुच्छ भेटकर मंचासीन अतिथियों तथा साहित्यकारों का स्वागत किया.


मंचासीन साहित्यकार बीरेंद्र श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपनी कलम से प्रेम की संवेदना समाज की कुरीतियों को कुरेदने और शब्दों तथा भाषा के माध्यम से कविताओं का स्वरूप देने का बलदाऊ गोस्वामी का यह संग्रह संभावनाओं के उस बीज के अंकुरण की वह पौध है जिसमें साहित्य के आकाश मे छा जाने के गुण विद्यमान हैं.

साहित्यकार श्रीमती अनामिका चक्रवर्ती ने कहा कि हर लेखक के जीवन का सपना होता है, उसके पुस्तक का आना और पहली पुस्तक का प्रकाशन उसकी पहली संतान की तरह प्रिय होती है,आज साहित्य के बाजारीकरण के दौर में ग्रामीण क्षेत्र के गांव का मजदूरी करने वाला लेखक जब अपनी उपस्थिति साहित्य के क्षेत्र में दर्ज कराता है. तब बहुत खुशी होती है .

साहित्यकार सतीश उपाध्याय ने संग्रह की कविताओं का मुंगेली सहित कई चौराहों पर कविता चौराहे पर बोर्ड में प्रस्तुति उनकी रचनाओं की स्वीकार्यता को व्यक्त करता है . सरल शब्दों में छोटी-छोटी रचनाओं में भी बड़े संदेश देने की उनकी विधा पाठकों को आकर्षित करती है.

रुद्र नारायण मिश्रा ने कहा कि रचनाकार की मौलिकता के लिए यह चिंतनीय विषय है कि उसने किन परिस्थितियों और जीवन संघर्षों के बीच रचनाएं लिखी। महत्वपूर्ण है व्यक्ति का संघर्ष और उसकी रचना। हम सभी को समाज के हर बलदाऊ के लिए हाथ बढाना होगा ताकि कोई सरस्वती पुत्र अर्थ की कमी से बिना अनावरण के ना रह जाएं.

ताहिर आजमी ने कहा कि भाई बलदाऊ गोस्वामी की कविताओं को एकाकी होकर पूर्ण मनोयोग से पढ़ने पर सचमुच आनंद की अनुभूति होती है साहित्य में सब कुछ समाहित होता है और गोस्वामी जी का काव्य संग्रह इसका अच्छा उदाहरण है।

योगेश गुप्ता ने कहा कि छोटी-छोटी पंक्तियों में सहज और सरल भाषा में लिखने वाले बलदाऊ लेखनी में देशी शब्दों का प्रयोग करते हैं जिसे आसानी से समझा जा सकता है इनकी रचनाओं में प्रकृति का मानवीकरण दिखता है साथ ही ग्रामीण परिवेश की स्पष्ट झलक भी देखी जा सकती है विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बलदाऊ जी का साहित्य से अटूट लगाव है।

कार्यक्रम संयोजक एस. के.”रूप” ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बलदाऊ जी की इस कृति के विमोचन अवसर पर मैं स्वयं महसूस कर रहा हूं कि हम हिंदी साहित्य के एक उज्जवल भविष्य को प्रस्तुत करने में सफल रहे हैं.
राजनीतिक कैरियर के साथ साहित्य से जुड़े हुए देवेंद्र तिवारी जी ने कहा कि हर व्यक्ति की तरह बलदाऊ की रचनात्मक प्रतिभा उसकी पहचान है और इसी पहचान को निखार कर समाज के सामने लाने का हमारा प्रयास कितना सफल रहा है इसका मूल्यांकन आने वाला समय करेगा.
कार्यक्रम का सफल संचालन शारदा गुप्ता ने किया। इस कार्यक्रम में गणमान्य नागरिकों सहित साहित्यकार कामिनी त्रिपाठी , अनीता चौहान, लीना धुरिया, अनामिका चक्रवर्ती, संजीदा खातून,वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार मृत्युंजय सोनी, वनमाली सृजन कोरिया के संयोजक बीरेंद्र श्रीवास्तव, पर्यावरणविद, योगाचार्य एवं शिक्षक सतीश उपाध्याय, गौरव अग्रवाल, संतोष जैन , रुद्रनारायण मिश्रा, योगेश गुप्ता, ताहिर आजमी, सुप्रसिद्ध कहानीकार नेसार नाज, डॉ. राजकुमार शर्मा, लक्ष्मीनारायण जायसवाल,आयुष नामदेव वीरेंद्र सिंह, मनोज त्रिपाठी भाजपा जिलाध्यक देवेंद्र तिवारी, सम्यक क्रांति दैनिक अखबार के प्रबंध निदेशक एस. के. “रूप” एवं सम्यक क्रांति के संपादक दुष्यंत कुमार धुरिया की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।

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