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29 को जिला अधिवक्ता संघ का चुनाव, सभी तैयारियां पूर्ण

अध्यक्ष पद पर ओमप्रकाश शर्मा व सचिव में रविशंकर सिंह का जोर, उपाध्यक्ष पद के लिए त्रिकोणीय मुकाबला, अन्य पदो पर प्रत्याशी दे रहे है एक- दुसरे को चुनौती, 48 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे 1359 मतदाता

दक्षिणापथ, दुर्ग। जिला अधिवक्ता संघ के 2 वर्षीय कार्यकाल वाले प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 29 जून, शनिवार को मतदान किए जाएंगे। जिसके लिए सुबह 10.30 बजे से शाम 5 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। मतदान के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी बृजेन्द्र कुमार गुप्ता के अगुवाई में सारी तैयारियाँ पूर्ण कर ली गई है। मतदान के लिए जिला न्यायालय परिसर स्थित ग्रंथालय भवन में 6 बूथ बनाए गए है। मतदान के एक दिन पहले शुक्रवार को विभिन्न पदों के प्रत्याशियों ने अधिवक्ताओं को अपने पक्ष में साधने प्रचार-प्रसार में पूरी ताकत झोंक दी। जिससे न्यायालय परिसर में दिनभर जोरदार चुनावी माहौल बना रहा। इस चुनाव में 8 पदाधिकारी पद और 6 कार्यकारिणी सदस्य के लिए कुल 48 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। जिनके भाग्य फैसला कुल 1359 अधिवक्ता मतदाता करेंगे।
अध्यक्ष पद पर ओमप्रकाश शर्मा की स्थिति मजबूत
चुनावी घमासान के बीच छनकर आ रही खबरों के मुताबिक अध्यक्ष पद के 4 प्रत्याशियों में ओमप्रकाश शर्मा को मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। श्री शर्मा सत्र 2007 व 09 में जिला अधिवक्ता संघ के सचिव भी रह चुके है। इस कार्यकाल में उन्होने अधिवक्ता हित में कई बड़े कार्यो की नींव रखी। जिसका वर्तमान में अधिवक्ताओं को लाभ मिल रहा है, साथ ही उनका चुनावी मुद्दा दुर्ग में हाईकोर्ट की खंडपीठ की स्थापना, जूनियर अधिवक्ताओं को स्टायफंड की सुविधा एवं अन्य मुद्दा मतदाताओं को खासा प्रभावित कर रहा है। यहीं वजह है कि उन्हे अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के रुप में वरिष्ठ व कनिष्ठ अधिवक्ताओं का व्यापक समर्थन हासिल हो रहा है। इस चुनाव में जिला अधिवक्ता संघ के चुनाव की दिशा तय करने वाले अधिवक्ता भी श्री शर्मा के समर्थन में खुलकर सामने आ गए है। जिसका इस चुनाव में अध्यक्ष प्रत्याशी ओमप्रकाश शर्मा को लाभ मिल रहा है।
रविशंकर सिंह का सचिव पद पर जोर
सचिव पद पर प्रत्याशी रविशंकर सिंह और विजय कुमार चौधरी के बीच सीधे मुकाबले के आसार है। रविशंकर पूर्व कार्यकाल में सचिव रह चुके है। वे लगातार दूसरी बार सचिव पद पर चुनाव लड़ रहे। एक बार वे जिला अधिवक्ता संघ के सह सचिव भी रह चुके है। असीम कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह भी सचिव पद के दावेदार है।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति
उपाध्यक्ष पद पर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुर्इँ है। जिसके परिणाम पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। इस चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र सोनी के अलावा प्रकार धंडोरे, रोहित कुमार सिंह, रमेश कुमार साहू व हेमंत गौतम मैदान में है। चुनाव में रोज बनते- बिगड़ते समीकरणो ने इस पद के चुनाव को प्रत्याशी नरेंद्र सोनी, प्रकाश धंडोरे व रोहित कुमार सिंह के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति में लाकर खड़े कर दिया है। प्रत्याशी नरेंद्र सोनी वरिष्ठ व अनुभवी अधिवक्ता है और जिला अधिवक्ता संघ के लिए उनके द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों की बदौलत उनका अधिवक्ताओं से सतत संपर्क रहा है। जिसकी वजह से श्री सोनी को प्रचार-प्रसार अभियान में अधिवक्ताओं का व्यापक समर्थन हासिल हो रहा है। यही वजह है कि श्री सोनी का उपाध्यक्ष पद के चुनाव में अन्य प्रत्याशियों से पलड़ा भारी नजर आ रहा है। नरेंद्र सोनी जिला अधिवक्ता संघ का पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। एक सामान्य अधिवक्ता के रूप में उन्होंने जिला न्यायालय में स्वच्छता का अभियान छेड़ रखा है। उनके इस कार्य के सभी अधिवक्ता कायल हैं, वहीं संघ के कार्यों में भी उन्होंने हमेशा बढ़-चढ़कर अपने दायित्वों का निर्वहन किया है । उनका चुनावी मुख्य चुनावी मुद्दा अधिवक्ताओं का कल्याण, संघ को प्रदेश में नया आयाम देना एवं अधिवक्ता हितेषी अन्य कार्य है। उनका चुनावी मुद्दा अधिवक्ता मतदाताओं को खासा प्रभावित कर रहा है। जो इस चुनाव में उनकी स्थिति को मजबूत बनाए हुए हैं।
कनिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर पूजा मोंगरी का दावा मजबूत
महिला आरक्षित कनिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर प्रत्याशी पूजा मोंगरी व साधना शुक्ला एक-दूसरे के लिए चुनौती बनी हुई है। अन्य प्रत्याशी हेमलता साहू व योगिताबाली सिंह भी मतदाताओं से लगातार संपर्क में है।
किशोर यादव को मतदाताओं का समर्थन
सह-सचिव पद पर प्रत्याशी किशोर कुमार यादव, रविश कुमार राजपूत, शैलेन्द्र गुप्ता व मोनिका सिंह चुनाव लड़ रही है। प्रत्याशी किशोर कुमार यादव को जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व सहसचिव दानिश परवेज एवं अन्य पदाधिकारियों का समर्थन मिल रहा है। जिससे इस चुनाव मे किशोर यादव की स्थिति मजबूत बनी हई
है। अन्य प्रत्याशी रविश कुमार राजपूत व शैलेन्द्र गुप्ता भी सहसचिव पद पर कब्जा जमाने एड़ीचोटी का जोर लगाए हुए है।
कोषाध्यक्ष पद पर संतोष देवांगन आगे
कोषाध्यक्ष पद पर प्रत्याशी संतोष कुमार देवांगन की स्थिति मजबूत बताई जा रही है। वे जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व में कार्यकारिणी सदस्य रह चुके है। इसके अलावा प्रत्याशी आकाश कुमार पंसारी व आशीष कुमार तिवारी भी इस पद के लिए जोर लगाए हुए है।
आशीष सूर्यवंशी की स्थिति बेहत्तर
ग्रंथालय सचिव पद के प्रत्याशी आशीष सूर्यवंशी इस चुनाव में बेहत्तर स्थिति में है। श्री सूर्यवंशी पूर्व में जिला अधिवक्ता संघ के ग्रंथालय सचिव और क्रीड़ा व सांस्कृतिक सचिव रह चुके है। जिसका इस चुनाव में उन्हे लाभ मिल रहा है। इस पद के तामलाल साहू, रोहित कुमार साहू, संजय कुमार विश्वकर्मा भी प्रत्याशी है।
रविशंकर मानिकपुरी की सक्रियता के मतदाता कायल
सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा सचिव पद के प्रत्याशी रविशंकर मानिकपुरी को इस पद के लिए सबसे योग्य प्रत्याशी बताया जा रहा है। संघ के सांस्कृतिक आयोजनों में हमेशा बढ़-चढ़ उनकी भागीदारी रही है। फलस्वरुप इस पद के लिए उन्हे अधिवक्ताओं का व्यापक समर्थन हासिल हो रहा है। इस पद के लिए नीरज सिंह राठौर, रोहित कुमार देवांगन भी जोर लगाए हुए हैं।
कृष्णराज चंदेल का हैट्रिक बनाने मतदाता उत्साहित
कार्यकारिणी सदस्य (पुरुष) के 5 पदों के लिए चुनाव में सर्वाधिक 14 प्रत्याशियों ने अपना दावा ठोका है। प्रत्याशी कृष्णराज चंदेल उर्फ छोटू इस पद पर हैट्रिक बनाने के इरादे से चुनाव मैदान में उतरे है। वे लगातार दो बार कार्यकारिणी सदस्य निर्वाचित होते आ रहे है। इसके पहले वे ग्रंथालय सचिव पद को भी सुशोभित कर चुके है। कार्यकारिणी सदस्य के रुप में कृष्णराज चंदेल इस चुनाव में निर्वाचित होने पर वे लगातार अधिवक्ता संघ का चार चुनाव जीतने का गौरव हासिल करने में सफल होंगेे। कार्यकारिणी सदस्य के इस चुनाव में उनका सरल स्वभाव व उनके प्रचार-प्रसार का अंदाज अधिवक्ता मतदाताओं को खासा प्रभावित कर रहा है। जिससे उन्हे अधिवक्ता मतदाताओं का व्यापक समर्थन मिल रहा है।
महिला आरक्षित कार्यकारिणी सदस्य के लिए कांटे की टक्कर
महिला आरक्षित कार्यकारिणी सदस्य के एक पद के लिए प्रत्याशी किरण गुप्ता, रेखा रॉय व सुलोचना बावरिया के बीच कांटे की टक्कर होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिसके चलते तीनों प्रत्याशियों ने चुनाव जीतने अपनी पूरी ताकत झोक दी है। बहरहाल जिला अधिवक्ता संघ के चुनाव में किस प्रत्याशी के सिर जीत का ताज और किस प्रत्याशी को पराजय का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल यह समय के गर्भ में छिपा हुआ है। इसका फैसला तो 30 जून को मतगणना उपरांत ही हो पाएगा, लेकिन चुनाव में सभी पदों पर प्रत्याशियों के बीच मचे घमासान से परिणाम काफ ी दिलचस्प आने के अनुमान है।

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