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नयी फ़िल्म के रिलीज से पहले उसके प्रमोशन हेतु फिल्मी नायक अपने सह- कलाकारों के साथ दर्शकों के बीच पहुँचता है, ऐसा ही है पुराने वायदों के आईने में भेंट-मुलाकात का फ्लॉप शो

रायगढ़।

नयी फ़िल्म के रिलीज से पहले उसके प्रमोशन हेतु फिल्मी नायक अपने सह- कलाकारों के साथ दर्शकों के बीच पहुँचता है और फ़िल्म के हाइलाइट्स प्रस्तुत करता है। ऐसा लगा कि ठीक उसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार व कांग्रेस के पोस्टर ब्वॉय , सूबे के मुखिया भूपेश बघेल जी आगामी चुनाव से पहले एक तयशुदा स्क्रिप्ट के तहत अपनी फिल्म का प्रमोशन करने निकले हों। इसे आमजन से “भेंट-मुलाकात” के रूप में बहुप्रचारित किया गया है। पुलिस व निजी सुरक्षा प्रहरियों के कड़े बंदोबस्त जब मुखिया तक विशिष्ट लोगों की पहुंच भी सीमित बना रहे हों तब आमजन से “भेंट मुलाकात” कितनी वास्तविक होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

नई घोषणाओं एवं नये वायदों की झड़ी लगाकर नये सपनों के सब्ज़बाग दिखाये गये लेकिन पुरानी घोषणाओं का क्या हुआ ? इस पर बात नहीं हुई।

वास्तविकता यह है कि बात-बात पर किसान हितैषी होने का दावा करनेवाले मुख्यमंत्री जी का केलोबाँध पर नहरों का निर्माण पूर्ण करके किसान के खेतों तक पानी पहुंचाने का वायदा केवल वायदा ही बन कर रह गया ? पूर्वांचल के किसान भी सपनई जलाशय के पूर्ण होने की बाँट जोह रहे हैं। मेडिकल कॉलेज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। पुसौर व सरिया क्षेत्र के बाढ़ पीड़ित उचित व्यवस्थापन तथा फसल व संपत्ति नुकसान के मुआवजे हेतु टकटकी लगाये बैठे हैं। बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा पूर्ण नहीं होने पर अंचल के नवजवान आंदोलित हैं। बेरोजगारी भत्ता घोषणापत्र में कैद है। महिला समूह शराबबंदी की राह देख रही हैं। क्षेत्र की सड़कें नरवा बन गयी हैं, सफाई के आभाव में शहर घुरवा बनते जा रहे हैं, अंचल भ्रष्टाचार व अपूर्ण वादों की बाड़ी बन गया है। सड़क हादसों, चोरी , संगठित अपराधों व पर्यावरण प्रदूषण ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है । रायगढ़ संजय मैदान व लोइंग सहित कई स्थानों पर मिनी स्टेडियम निर्माण की घोषणाएं की गयी थीं वे तो अभी पूरी नहीं हुई हैं और नये सिरे से मिनी स्टेडियम की घोषणाएं कर दी गयीं। रायगढ़ के मुख्य स्टेडियम को राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाने की घोषणा की गयी थी। इस पर काम तो कुछ हुआ नहीं वरन इस कार्यक्रम के लिये इसके मैदान को बीच से खोदकर उसमें कंक्रीट का हैलीपेड बना दिया गया।

नगरीय निकाय चुनाव के समय भी आपने 30 सूत्रीय घोषणापत्र जारी किया था। कहा गया था कि लोगों को घर पहुंच स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध करायी जायेंगी, आम नागरिकों का स्वास्थ्य कार्ड बनाया जायेगा, डाइग्नोस्टिक और पैथोलोजी सेवा के लिये शहरों में सिटी डियग्नोस्टिक सेंटर बनाये जायेंगे। वायदा था कि घने बसाहट वाले क्षेत्रों से बाजार बाहर शिफ्ट किये जायेंगे लेकिन यहां तो संजय मार्केट को इतवारी बाजार में शिफ्ट करने में ही पसीने छूट रहे हैं। जमीन की कीमतों को अफोर्डेबल करने और व्यवस्थित शहर विकास हेतु एफ. ए. आर. बढ़ाने का महत्वपूर्ण वायदा भूला ही दिया गया है। राज्य प्रवर्तित योजनाओं के तहत तालाब जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण, गार्डन आदि के निर्माण की कसमें खाई गयी थी लेकिन कोई नया निर्माण नहीं हुआ। केवल पुराने निर्माणों में सुघ्घर रईगढ़ का बोर्ड लगाकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली गयी। सभी को राशनकार्ड देने की बात भी अधूरी है। स्मार्ट गुमटी कहां है, यह पूछ रहे हैं रेहडी वाले। महिलाओं के स्वावलम्बन हेतु नया महिला समृद्धि बाजार तो बना ही नहीं। मुख्य बाजार व व्यापारिक क्षेत्रों में पुरुषों-महिलाओं के लिये आधुनिक शौचालयों व पिंक टॉयलेट का निर्माण कहां किया गया है ?

स्पष्ट है कि वायदों की एक लंबी फेहरिस्त बघेल जी से उत्तर माँग रही है। जनस्मृति को क्षणिक मानकर “भेंट मुलाकात” के अर्थहीन कार्यक्रमों के जरिये लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करने की बजाय यदि मुख्यमंत्री जी अपनी पूर्व घोषणाओं पर रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते और जमीनी वास्तविकताओं से रूबरू होते तो सही अर्थों में यह “भेंट मुलाकत” सार्थक होती।

*मुकेश जैन*

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