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नेतनागर नहर आंदोलन से उभर कर आए इस नेता ने ये बड़ी बात कह डाली …..तर्कों का सहारा लेकर खुल कर लिया डॉ राजू… जयंत ठेठवार …अनिल का नाम …..खास बात ये है कि इनके समर्थन के बिना प्रत्याशी का बेड़ा पार होना संभव नहीं ….पढ़े राजनीत में एक नए मोड़ पर लाने लाने वाली खबर

 

 

रायगढ़. आगामी विधानसभा चुनाव की घड़ियां जैसे जैसे करीब आ रही है,जिले में भी चुनावी गतिविधियां तेज होने लगी है।

इस क्रम में वर्तमान विधायक प्रकाश नायक के अलावा तमाम अन्य दावेदार भी सामने आने लगे हैं। इन नामों में कुछ सर्वमान्य नाम है तो कुछ स्वयंभू भी शामिल है।। कांग्रेस के एक बड़े धड़े का मानना है, कि कांग्रेस विधायक के बीते कार्यकाल से विधान सभा के बहुतेरे लोग सबसे असंतुष्ट है। उनकी मानें तो परफार्मेस के आधार पर पार्टी हाई कमान वर्तमान विधायक प्रकाश नायक की टिकट काट सकता है। इसलिए विकल्प की तैयारी में कुछ नए और दिग्गज नामों पर विचार किया जा सकता है।

लल्लू सिंह के अनुसार सर्वमान्य नाम डॉक्टर राजू अग्रवाल का है,जिन पर सबकी सहमति बन सकती है। हालाकि पिछली बार टिकट कटने से उनकी पार्टी कार्यालय से दूरी बनाए रखना उनके लिए निगेटिव हो सकता है। वहीं निगम के सभापति और दिग्गज कांग्रेस नेता जयंत ठेठवार भी दावेदारी में दूसरा प्रमुख नाम बन कर सामने आया है। जबकि अन्य नामों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निकटतम युवा नेता अनिल अग्रवाल(चीकू), और वासु यादव के अलावा भी लगातार अपनी सक्रियता दिखाने वाले शंकर लाल अग्रवाल का नाम भी लिया जा रहा है।। सभी के साथ उनका पाजेटिव और निगेटिव इमेज भी जुड़ा है।

ये तो रही दावेदारों का नाम लेकिन जमीन से जुड़े कुछ ऐसा नेता भी है जिनके बिना समर्थन के कांग्रेसी उम्मीदवार की भावी जीत लगभग असम्भव होगी। सीधे तौर पर कहने तो इनमे से ही कोई आने वाले दिनों में कांग्रेस का प्रबल और सुनिश्चित दावेदार भी होगा।

कांग्रेस के ऐसे जमीनी पकड़ वाले नेताओं में पहला नाम सुप्रसिद्ध किसान नेता लल्लू सिंह(नेतनागर) का है।  इन तमाम नामों में किसान नेता लल्लू सिंह की सक्रियता और जन समर्थन सबसे अधिक और सबसे ज्यादा है। पार्टी के प्रति किसान नेता लल्लू सिंह की निष्ठा और पार्टी के छोटे बड़े कार्यकर्ताओं से उनका मेल_जोल उन्हे सबसे अलग बनाता है। विशेष कर जिले के ग्रामीण अंचलों में किसान नेता लल्लू सिंह की अच्छी पैठ और सम्मान है। ग्रामीण उन्हे अपने बीच का सर्वमान्य नेता मानते है। यही वजह है कि दोनो प्रमुख पार्टियों(पक्ष/विपक्ष)के नेतागण उन्हे बराबर का सम्मान देते हैं।

 

भावी उम्मीदवार के लिए क्यों जरूरी है,लल्लू सिंह का समर्थन

स्थानीय लोगों की मानें तो जिले के ग्रामीण अंचलों में अपने चित परिचित लोगों की हर छोटी बड़ी समस्या में बिना स्वार्थ खड़े होने वाले लल्लू सिंह जिला पंचायत क्रमांक 5 से लल्लू सिंह उनके लिए किसी जननेता से कम नहीं हैं। ग्रामीणों के बीच उनका अपना सुनिश्चित जनाधार अनूठा अलग स्थान है।जिसे उन्होंने बीते पंचायत चुनाव में सिद्ध भी किया था। आपने अपनी बहु तजिंदर कौर (जो महिला सीट)से चुनाव लड़वाया था।

वहीं उनके विरुद्ध वर्तमान विधायक प्रकाश नायक के समर्थन से श्रीमती वैदेही श्रीराम साव और बीजेपी से गोपिका गुप्ता विजय अग्रवाल के समर्थन से चुनाव लडी थी। श्री सिंह की बहु कड़ी चुनावी प्रतिस्पर्धा में दूसरे स्थान पर रही थी। लोगों का कहना है कि प्रत्यासी वैदेही की ओर से रोहित पटेल विधायक प्रतिनिधि, किशोर कसेर पूर्व नगर पंचायत,अध्यक्ष पुसौर बसंत डनसेना, पूर्व सरपंच देवलसुर्रा लक्ष्मण साव,पुसौर पार्षद लक्ष्मी पटेल,पड़ीगांव के सेक्टर प्रभारी सुखसागर गुप्ता, देवकुमार चौधरी सेक्टर प्रभारी, सफेद गुप्ता ब्लॉक अध्यक्ष, ये सभी लोग विधाय प्रकाश नायक के कहने पर ही किसान नेता लल्लू सिंह की बहु के खिलाफ काम किए थे। मतलब उक्त चुनाव में धन बल और जन बल दोनो प्रत्याशी वैदेही के साथ था। ग्रामीणों की मानें तो इस चुनाव में अगर खुद लल्लू सिंह खड़े होते तो परिणाम ऐतिहासिक आता। इनकी बहु श्रीमती तजिंदर सिंह की कोई राजनीतिक छवि नहीं थी।

साफ सुथरी छवि के बड़े जनाधार वाले स्थानीय नेता है लल्लू सिंह..

 

पूर्वांचल से लेकर पुसौर क्षेत्र के ज्यादातर पिछले लोगों का कहना है कि पिछले 43 वर्ष से कांग्रेस पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा के साथ राजनीति संघर्ष करने वाले जमीनी नेता लल्लू सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में पूरी ईमानदारी के साथ सिर्फ लोग का भरोसा कमाया है। जमीनी स्तर पर जितनी मेहनत आपने कांग्रेस पार्टी के लिए को है,वह उन्हे निष्ठावान पार्टी कार्यकर्ता बनाने के लिए पर्याप्त है। पार्टी में लगातार सक्रियता और बड़े जनांदोलन में तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ लोगों को जोड़ने के अलावा अपने सिर्फ खेती किसानी ही की है। आपने राजनीतिक रसूख की आड़ में कभी कोई व्यवसाय नही किया। लोग कहते है कि आप काजल की कोठरी में रहकर भी बेदाग छबि वाले नेता रहे हैं।

श्री सिंह सही और गलत बात को सीधे मुंह के सामने बोलने का साहस रखते हैं। आपने कभी भी अपने फायदे के लिए पार्टी के बड़े नेताओं की जी हुजूरी नहीं की है। दूसरे शब्दों में आपने राजनीति को लोगो की सेवा भाव का माध्यम माना है,जमीर बेचकर राजनीति करने वालो में से आप नही रहे हैं। आपके इसी स्वभाव के कारण प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व.अजीत जोगी जी से लेकर जन_नायक शहीद नंद कुमार पटेल और तत्कालीन केबिनेट मंत्री स्व.डॉक्टर शकराजीत नायक आपसे बहुत स्नेह रखते थे। इन बड़े नेताओं के करीबी होकर भी श्री सिंह ने इनसे कोई राजनीतिक लाभ नहीं लिया।

राजनीति से ऊपर किसानों की समस्याओं को महत्व दिया….

मूलतः खेती किसानी के पेशे से जुड़े इस कांग्रेसी नेता की छवि पूरे प्रदेश भर में कट्टर किसान नेता की रही है। आपने अपने जीवन में राजनीति से ऊपर किसानों की समस्याओं को ज्यादा महत्व दिया है। इस कारण से सिर्फ छत्तीसगढ़ से ही नहीं बल्कि पड़ोसी प्रांत उड़ीसा के ग्रामीण लोग अपनी खेती किसानी की समस्याओं या प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी बात रखने को लेकर किसान नेता लल्लू सिंह से सलाह मशविरा लेने जरूर आते है। आपने पड़ोसी राज्य उड़ीसा के कई किसान आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। आप तत्कालीन भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के प्रबल विरोधी रहे हैं। यहां तक कि लारा भू_विस्थापित आंदोलन में भी आपने प्रमुख भूमिका निभाई है। इस वजह से आप क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों के अलावा युवाओं में भी गजब की लोकप्रियता रखते हैं। कांग्रेस से जुड़े कुछ ग्रामीण युवा कार्यकर्ताओं का मानना है कि आपका प्रभाव पूरे शहर के 113+,पूर्वांचल 30 +,पुसौर 89+,सरिया के 60 कुल मिलाकर सभी 292 पोलिंग बूथ में देखा जा सकता है।

सच कहें तो किसान नेता लल्लू सिंह को नजर अंदाज कर रायगढ़ और खरसिया विधान सभा का भावी पार्टी प्रत्यासी कांग्रेस की तरफ से चुनाव नही जीत सकता है। जिले भर के किसानों और उनके परिवारों के बीच अपनी अच्छी पैठ की वजह से आप रायगढ़ विधानसभा ही नही बल्कि जिले के पूरे पांचों विधानसभा सीट सीट प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं।
बावजूद इसके बेहद शांति और शालीनता से राजनीति करने वाले नेता लल्लू सिंह ने खुद को कभी बड़ा नेता नही माना,,उलट आप पार्टी के साथ सीधे जमीन से ही जुड़े रहे। वही। लोगों का यह भी कहना है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने बीते पांच वर्ष में आपको यथोचित सम्मान नहीं दिया। जिसके वो हकदार रहे हैं। पार्टी के जिम्मेदार नेता आगामी विधान सभा चुनाव तक उन्हे स_सम्मान
साधने में सफल नहीं हुए और आपने अगर सम्मान के अभाव में कांग्रेस पार्टी की सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली तो इसका दुष्परिणाम पार्टी प्रत्याशी को आने वाले विधान चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। नेत नागर नहर आंदोलन के दौरान आपने इस बात का बेहतर प्रमाण दे दिया था।

मतलब रायगढ़ विधानसभा में पार्टी के वर्तमान विधायक प्रकाश नायक के अलावा किसी भी संभावित कांग्रेस पार्टी प्रत्यासी के लिए विधानसभा 2023 के मद्दे नजर  किसान नेता लल्लू सिंह ही “किंगमेकर” की भूमिका निभा पाएंगे. उन्हे नजरंदाज कर पार्टी प्रत्यासी के लिए विधानसभा रायगढ़ से आगामी चुनाव जीतना कतई आसान नही होगा।

 

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