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कांग्रेस में इन दो नेताओं को उनकी भूमिका से नजर अंदाज नहीं किया जा सकता ….. होनी चाहिए इनकी भी चर्चा ……दो प्रत्याशियों को लाया जीता कर … राजनीतिक वाकपटुता और कौशल में नहीं कोई सानी …

 

रायगढ़।
इन दिनो नगरीय निकाय चुनाव की खूब चर्चा चल रही है ऐसे में दो चेहरों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं इनके राजनीतिक कौशल और वाकपटुता का कोई सानी नहीं है। नगर पालिक निगम के वार्ड क्रमांक 6 और 7 में कांग्रेस की जबरदस्त तरीके से जीत हासिल हुई है। इसके पीछे कई चेहरों ने काम किया है। इन चेहरों में संजय देवांगन और दयाराम ध्रुवे की भी अहम भूमिका रही है। वार्ड क्रमांक 7 में आरिफ हुसैन और 6 में रेखा देवी की जीत के पीछे इनकी अहम भूमिका रही है।

वार्ड क्रमांक 6 और 7 में भाजपा प्रत्याशी के पीछे प्रदेश का बड़ा चेहरा रहा और ओपी चौधरी ने भाजपा प्रत्याशियों को जीत दिलाने में अपनी कोई कसर नहीं छोड़ा लेकिन इन वार्डों में कांग्रेस के दिग्गज और नामी चेहरों की भूमिका अहम रही और उनकी रणनीति ने भाजपा के हर तोड़ का हल निकाला और कांग्रेस प्रत्याशी की जीत में मिल का पत्थर साबित हुआ।

वार्ड क्रमांक 7 में कांग्रेस प्रत्याशी आरिफ हुसैन के सामने भाजपा की रोहिणी पटनायक रही और 6 में रेखा देवी के सामने भाजपा की रोशनी धीवर के द्वारा कड़ी टक्कर दी गई। वार्ड में कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी को जीत दिलाने की रणनीति में राकेश पांडेय का अहम योगदान रहा है किंतु संजय देवांगन और दयाराम ध्रुवे की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

जैसा की विदित है कि पूरे शहर में ओपी चौधरी का ही जादू चला और अधिकतम वार्डो में भाजपा का जादू चला, लेकिन वार्ड क्रमांक 6 और 7 में दयाराम ध्रुवे और संजय देवांगन की जोड़ी की अहम भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। संजय देवांगन और दयाराम ध्रुवे इन दोनो वार्डों के जाने पहचाने और धाकड़ नेताओं में गिनती आती है इनकी राजनीति कुशलता और वाकपटुता का कोई सानी नहीं है। इनकी जोड़ी ने रेखा देवी और आरिफ हुसैन को जीत दिलाने में एक एक कड़ी को जोड़ा जिसका परिणाम चौंकाने वाला रहा और दोनों वार्डो में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई और वह भी भारी मतों के अंतर से जीत हुई। इतना ही नहीं महापौर प्रत्याशी जानकी काटजू को भी इस वार्ड से बढ़त मिला, इसके पीछे राकेश पांडेय सहित संजय और दया की भी जुगलबंदी कारगर रही और बेहद काम आई। जिसका नतीजा यह रहा कि उक्त दोनों वार्डो में कांग्रेस प्रत्याशी की भारी मतों से जीत हासिल हुई।

दयाराम ध्रुवे भले ही राजनीतिक समीकरण की वजह से अपने वार्ड से चुनाव नहीं लड़ पाए और पड़ोस के वार्ड से चुनाव लडा और भले ही जीत हासिल नहीं कर यह बात अलग है। उन्होंने वार्ड क्रमांक 5 के खुलू सारथी से थी जहां से वे अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा था और उन्हें दयाराम ने कड़ी चुनौती भी दिया और लगभग 326 मतों में अंतर से सुमित्रा खुलु सारथी विजय हुई। दयाराम के नहीं जीतने से उनके प्रभाव और राजनीति दशा और दिशा में कोई फर्क नहीं पड़ता है। संजय देवांगन और दयाराम ध्रुवे फिल्मी हीरो की तरह कांग्रेस के सदाबहार नेताओं में माने नाते है।

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