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कांग्रेस का अब तक का शर्मनाक प्रदर्शन::गोंडवाना से भी कम सीट::कांग्रेस संगठन बिखरा..बिहारी राजवाड़े बने अभिमन्यु.. वेदान्ती को अपनों ने लूटा…एक सीट वो भी कमरों..

 

अनूप बड़ेरिया
कोरिया जिला के जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस का अब तक का सबसे शर्मनाक प्रदर्शन रहा है। 2025 के जिपं चुनाव में कांग्रेस महज एक सीट पर सिमट गई। वह भी सोनहत क्षेत्र में भरतपुर-सोनहत के पूर्व विधायक गुलाब कमरों की बदौलत मिली। कांग्रेस से ज्यादा तो गोंगपा की 2 सीट है। जिपं चुनाव में कांग्रेस संगठन किस चिड़िया का नाम है लोगो को पता ही नही चला। हालात यह रहा कि कांग्रेस एक-दो सीट पर DDC और BDC के लिए पार्टी प्रत्याशी की घोषणा भी नही कर पाई। जिला व जनपद चुनाव में रात के 3-4 बजे तक जहां भाजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र तिवारी और पूरा भाजपा संगठन हर पोलिंग में दस्तक देता नजर आया। वहीं कांग्रेस में हालात यह रहे कि पोलिंग में काउंटिंग के वक्त प्रत्याशियों के चांद समर्थन के अलावा संगठन के जिम्मेदार लोग नजर नहीं आए।
क्या कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता दवाब में-
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता लोकसभा चुनाव में एक अलग अंदाज में नजर आए थे, जिसकी वजह से कांग्रेस को कामयाबी भी मिली थी। लेकिन उसके बाद निरंतर उनके ग्राफ गिरता गया। स्थिति यह है कि कई कांग्रेसियों ने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस के जिला अध्यक्ष दबाव में काम करते हैं इससे बेहतर निर्णय तो पूर्व के जिला अध्यक्ष नजीर अजहर बिना दवाब सहजता से किया करते थे। कांग्रेसियों के मुताबिक पहले जिलाध्यक्ष पूर्व विधायक के दवाव में रहा करते थे। पटना नगर पंचायत चुनाव में वह वरिष्ठ कांग्रेसी नेता यवत सिंह के इतने भारी दबाव में आए की पटना पटना नगर पंचायत के लिए उन्हें इतना फ्री हैंड दिया गया कि अध्यक्ष से लेकर पार्षद प्रत्याशी का चयन भी उनकी मर्जी से ही हुआ। जिसका परिणाम सामने है। जिलाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता यह नही भांप सके कि पटना क्षेत्र में यवत सिंह की तूती बोलने का जमाना लद चुका है। फिर कांग्रेस के बागी निर्दलीय होकर अध्यक्ष का चुनाव लड़े, उन्हें भी हल्के में लेकर मनाने की कोशिश नही की, नतीजन कांग्रेस के गढ़ पटना में भाजपा ने ऐसी सेंधमारी की, कांग्रेस तीसरे स्थान पर नजर आई। यही गलती जिला व जनपद चुनाव में दोहराई गई। प्रत्याशियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया और कांग्रेस संगठन घर में सोता रहा नतीजा फिर वही कांग्रेस की शर्मनाक हार… अप कांग्रेसी खुलकर कहने लगे हैं कि कोरिया कांग्रेस को यदि फिर से पटरी पर लगाना है तो ऊर्जावान और तेजतर्रार जिला अध्यक्ष होना चाहिए नहीं तो पार्टी का हाल किसी से छिपा नहीं है..और हां कांग्रेस की हार के बाद समीक्षा कैसे होती है वह कांग्रेसी से बेहतर और कोई नही बता सकता।
बिहारी बने अभिमन्यु.. कांग्रेसियों ने ही घेर कर हराया..?
कांग्रेस के एक बड़ा चेहरा बिहारी राजावड़े महज 21 वोट से एकदम आखिरी राउंड में हारे। दरअसल राजनीतिक गलियारों खासकर कांग्रेस में ही चर्चा है कि बिहारी राजवाडे को महाभारत के अभिमन्यु को उनकी पार्टी के लोगो ने घेर कर हरा दिया। सबसे पहले तो जिपं क्रमांक 04 से कांग्रेस की पूर्व जनपद अध्यक्ष माला सिंह को उतारा गया, पार्टी संगठन से उसे बैठाने का तनिक भी प्रयास नही हुआ। इतना ही नहीं जहां-जहां कांग्रेस के BDC प्रत्याशी एकतरफा वोट पाए, वहां भी कई पोलिंग में  जिपं में बिहारी राजवाडे को हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नही बिहारी राजवाडे के ऊपर नेता विशेष की छाप होना इतना भारी पड़ा, की कांग्रेसी तो एकदम से उनके ऊपर पिल पड़े।
वेदान्ती तिवारी को अपनों ने लूटा गैरो में कहां दम था..
कांग्रेस के कद्दावर नेता और दो बार विधायक का चुनाव लड़ चुके व जिपं के उपाध्यक्ष रह चुके वेदान्ती तिवारी को भी आखिरी ओवर के रोमांचक  चुनाव में महज़ लभग 200 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा। आगामी विस चुनाव में उनकी दावेदारी न रहे इसलिए वेदान्ती तिवारी से भी दावेदारों ने जमकर भीतरघात किया। वैसे वेदान्ती तिवारी की कमजोरी यह भी वह न आक्रमक नेता हैं और न राजनीतिक पिच पर वह फ्रंट फुट पर आकर खेलते हैं।

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