लॉक डाउन:: बुरे फंसे ये बाराती… बारात में छकने आए थे छप्पन भोग…अब 39 दिन से गूंथ रहे आटा..
आसनसोल, पश्चिम बंगाल से दूल्हा बरात लेकर रामगढ़ के अरगड़ा आया… धूमधाम से शादी की हसरत पूरी हुई… लेकिन दूसरे दिन लॉकडाउन लग गया… ऐसे में दुल्हन को विदा कर घर ले जाने की दूल्हे की हसरत पिछले 39 दिनों से पूरी नहीं हो पाई। और तो और दूल्हे के साथ आए बाराती भी फंस गए। ये बाराती आए तो थे छप्पन भोग छकने लेकिन अब खुद आटा गूंथ कर रोटियां बेलने को मजबूर हैं….
अरगड़ा स्थित पंचायत भवन में 70 बाराती और घराती मिलकर सुबह, दोपहर व शाम का खाना बना रहे हैं। शुरू में तो खाने-पीने का सामान था और कुक भी… लेकिन दो-तीन दिनों बाद खाद्य सामग्री खत्म हो गई, कुक भी चला गया। इसके बाद प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं लगातार इनके खाने-पीने के इंतजाम में लगी हुई हैं। कुक के जाने के बाद कुछ दिनों तक घरातियों ने तो सारा इंतजाम खुद अपने हाथ में रखा, पूड़ी-सब्जी बनाकर बारातियों को ससम्मान खिलाते रहे। लेकिन कुछ दिनों बाद बारातियों ने हाथ बंटाना शुरू कर दिया।
ओडिशा के संबलपुर, राउरकेला व टिटलागढ़ तथा छत्तीसगढ़ के रायपुर से शादी में शरीक होने के लिए पहुंचे दूल्हे के रिश्तेदारों ने कहा कि पता नहीं कब घर पहुंच पाएंगे। इस शादी ने तो हमारी ही बैंड बजा दी। दुल्हन के भाई और रिश्तेदार सेवा में लगे रहते हैं लेकिन अच्छा नहीं लगता। अब हम भी हाथ बंटाते हैं कामों में। यहां ठहरे लोग शारीरिक दूरी का पालन कर रहे। पंचायत भवन में टेंट भी लगा है। स्वच्छता का पूरा ख्याल रखा जाता है।
रामगढ़ के सीसीएल कर्मी रहे माइनस क्वार्टर निवासी स्व. राजकपुर जगदल्ला की पुत्री मानिका उर्फ मोनी की शादी गत 22 मार्च को आसनसोल (बंगाल) के नीचुपोड़ा निवासी दासू दीप के पुत्र राकेश दीप की साथ होना तय हुआ था। उस दिन कोरोना वायरस को लेकर देश भर में जनता कफ्र्यू लग जाने के कारण शादी नहीं हो पाई थी। मेहमान पहुंच गए, 23 मार्च की रात को शादी हुई। 24 मार्च को मंगलवार होने के कारण उस दिन लड़की की विदाई नहीं हो सकी। लेकिन उसी दिन कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा हो गई।
लड़का के पिता सहित चार बराती 23 मार्च की रात को ही आसनसोल चले गए। बारातियों ने प्रशासन से अपील की कि उन्हे जाने दिया जाए। लेकिन प्रशासन तैयार नहीं हुआ। दुल्हन के बड़े भाई जयदेव ने कहा कि शादी व बरात में आए सभी लोगों को खिलाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन प्रशासन से लेकर कई लोगों ने सहयोग कर राशन आदि की व्यवस्था कराई, तो अब सभी लोग मिलकर खाना बनाकर खा रहे हैं।