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ग्रामीण एसईसीएल के खिलाफ लाभ से वचिंत मांगों को ले कर पुनः बड़ी आन्दोलन की रणनीति में …. प्रभावित अपनी जायज मांगों को लेकर सड़क से संसद तक की तैयारी में …ग्राम सभा कर बनी ये रणनीति …. 2 एकड़ पर एक नौकरी देने की बनी थी सहमति उस पर भी मुकर गए 

 

ग्रामवासी अपने वंचित मांग एवं अधिकारों को ले कर रोड से ले कर उच्च न्यायालय बिलासपुर तथा दिल्ली सांसद भवन तक जाने की बात कही गई

रायगढ़।

ग्राम बरौद मे ग्रामीण समस्याओं को ले कर विशाल आम सभा एवं मिलन समारोह का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सैकड़ों जनसंख्या मे ग्रामीण एवं पंचायत पदाधिकारी उपस्थित रहे कार्यक्रम मे एसईसीएल से वंचित लाभ के खिलाफ बिगुल फुक दिया है और जनआंदोलन की रणनीति तैयार कर रहें है। प्रभावितों ग्रामीण अपनी मांग को लेकर शासन प्रशासन एवं एसईसीएल से कई बैठक तथा समझौता हो चुके है लेकिन समस्या वही के वही है प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों को केवल आश्वासन / भ्रमित समझौता का झुनझुना पकड़ा दिया जाता है ।

 

ग्रामीणों ने सभा मे संबोधित करते हुऐ बताया की एसईसीएल द्वारा पुनर्वास निति का सही तरीके से पालन नही हो रहा है कोरबा जिले के एसईसीएल के संचालित खदानों मे विस्थापन लाभ 10 लाख से अधिक दिया जा रहा है ।और बरौद के विस्थापित परिवार का मात्र 3 लाख तथा बरौद खदान एवं बिजारी खदान के किसानों की निजि भूमि का दर छत्तीसगढ़ शासन के वाणिज्यिक एवं औघोगिक परियोजना हेतु जारी अधिसूचना 19 मार्च 2010 के तहत् दोनों गांव के किसानों को एसईसीएल प्रबंधन द्वारा मुआवजा भुगतान किया जा रहा है । जिसमें बरौद के किसानों की निति भूमि में टीकरा भूमि समिलित है जिस टीकरा भूमि पर ग्रामीण द्वारा एक फसल के रूप मौशमी बारिशों मे तिल ,उडद ,मुग ,मुगफली तिलहन फसल लेते आ रहें है । तथा अर्जन के समय राजस्व रिकॉर्ड पांचसलाह मे फसल लेते किसानों की भूमि पर अंकित है लेकिन ग्रामीणों की टीकरा भूमि को पडत भूमि मानकर प्रति एकड़ 6 लाख रुपए मुआवजा भुगतान किया जा रहां है एवं बिजारी की टीकरा भूमि को टीकरा असिंचित एक फसली मानकर 8 लाख मुआवजा भुगतान किया जा रहा बरौद के किसानों को राजस्व अधिकारी एवं एसईसीएल प्रबंधन द्वारा भ्रमित जानकारी दे कर लाभ से वंचित किया गया है ।

प्रभावितों द्वारा वन भूमि 1286 को पुनर्वास हेतु कब्जा /अतिक्रमण किया गया और 04 सालों से जिला पुनर्वास समिति कलेक्टर रायगढ़ को पुनर्वास हेतु प्रति परिवार को 10 डिस्मील वन भूमि आबंटित करने की मांग की जा रही है वन भूमि आबंटित करने की अनुशंसा क्षेत्रीय विधायक एवं क्षेत्रीय सांसद द्वारा कई आवेदन कलेक्टर रायगढ़ को पत्र व्यवहार किया गया है लेकिन किसी प्रकार की पुर्नबसाहट की गंभीर समस्या को गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं दिया जा रहा है । एवं ग्राम के बडे़ किसानों ने बताया की नौकरी के बदले अतिरिक्त मुआवजा को एसईसीएल प्रबंधन द्वारा रोककर रखा गया है मकान तोड़ो फिर आप का नौकरी के बदले अतिरिक्त मुआवजा को भुगतना किया जावेगा ।

जब की प्रबंधन द्वारा सही तरिके से पुनर्वास निति का पालन नहीं किया गया है । बिना विस्थापन लाभ दिये मकान तोडऩे के लिए दबाव डाला जा रहा जो बड़ी दु:ख की बात है । तथा गांव में 50 से 60 भूमिहीन परिवार और उनका जीविका का आधार रोजीमजूरी तथा वनभूमि से आश्रित है ।

प्रबंधन द्वारा इनका भी जीवन यापन की किसी प्रकार की सुविधा नही किया गया है उक्त सभा मे सभी अपनी बात को खुल कर रखे ग्रामीण ने कहा की राजस्व अधिकारी द्वारा आबादी भूमि का भू- स्वामी अधिकार पट्टा को रोककर रखने तथा गलत तरिके से किसी निजि आदमी को ठेका दे कर एसईसीएल एवं राजस्व अधिकारी द्वारा मकान सव्रे व मुआवजा में धाधली की गई हैं ।

कोटवार की भूमि स्वामी अधिकार प्रदान किया गया था उक्त भूमि पर कलेक्टर रायगढ़ ने एसईसीएल को 02 एकड़ पर 1 नौकरी (रोजगार ) देने का दिनांक 20.06.2022 को आदेश जारी किया गया था लेकिन प्रबंधन द्वारा आज पर्यन्त तक रोजगार नहीं दिया गया है ।ग्रामीणों ने एसईसीएल के खिलाफ आरोप लागते हुये कहा की भू-अर्जन से पहले जो हमे बेहतर लाभ देने की जो मीठे मीठे आश्वासन दिये ये आज अपने आप को ठगे पा रहें ।

भूमि दर की बात कहें या पुनर्वास निति ,मकान दर व वन अधिकार पत्र ,भूमिहीनों की जीवन यापन की बात करें या नौकरी पुनर्वास सभी मे ग्रामीण आपने आप को ठगे महसूस कर रहें है । ग्रामीण एसईसीएल के खिलाफ बड़ी आन्दोलन ,पैदल यात्रा , नाकाबंदी ,तालाबंदी , अपने अधिकारों को ले कर रोड़ से लेकर उच्च न्यायालय बिलासपुर , सांसद भवन दिल्ली तक जाने की बात कहीं तथा ग्रामीण बहुत आक्रोश मे रहें ।

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