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मानसिक विकार के कारण लोग कर रहे हैं आत्महत्या…जीवन से पलायन का डरावना सच..-सुजाता हुमाने

सुजाता हुमाने (काउंसलर)
आत्महत्या शब्द जीवन से पलायन का एक डरावना सत्य है जो हर रोज टेलीविजन व अखबारों की सुर्खियां बनकर समाज की विडंबना पूर्ण एवं त्रासदीपूर्ण तस्वीर को बयां करती है। उक्त विचार एम.एस.धोनी फिल्म के नायक सुशांत राजपूत के आत्महत्या की खबर आने के पश्चात मनोचिकित्सक सुजाता हुमाने ने व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार पटना के रहने वाले सुशांत ने एक छोटे से नाटक में अभिनय से अपने जीवन में अभिनय की शुरुआत की उसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में शानदार अभिनय किया किंतु पिछले कई महीनों से वह डिप्रेशन का शिकार थे और एक दुखद अंत सबके सामने है। आज आत्महत्या की समस्या दिन प्रतिदिन विकराल होती जा रही है यदि वर्तमान की महामारी से होने वाली मौतों को छोड़ दें तो पिछले तीन-चार दशकों में विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ जहां बीमारियों से होने वाली मृत्यु संख्या में कमी हुई है वहीं इस वैज्ञानिक प्रगति एवं तथाकथित विकास के बीच आत्महत्याओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रति वर्ष आठ लाख लोग आत्महत्या करते हैं जिसमें से लगभग 21 प्रतिशत आत्महत्या भारत में होती है जो दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा है इसका मतलब यह हुआ कि प्रति 40 सेकंड में एक व्यक्ति खुद की जान ले लेता है। मनोचिकित्सक सुजाता ने बताया कि भारत में आत्महत्या का मुख्य कारण बेरोजगारी, प्रतिस्पर्धा में असफलता, दांपत्य जीवन में संघर्ष, प्रेम में असफलता आर्थिक विवाद ,पारिवारिक कलह से उत्पन्न परिस्थितियां होती है जिससे मानसिक विकार के कारण हीन भावना, अस्थिरता, अत्यधिक तनाव, अत्यधिक भावुक होकर देश का युवा आत्महत्या जैसे मार्ग का चयन कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता है। आत्महत्या का विचार आना एक मानसिक विकार है इसका उपचार दवाओं के अलावा साइकोथेरेपी से भी किया जा सकता है, खुदकुशी करने के जोखिम को कम करने के लिए यह एक संभव उपचार विधि है।इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव, शराब व अन्य नशे से दूर रहकर, नियमित व्यायाम एवं गहरी नींद लेकर भी ऐसे विकारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। लोग डिप्रेशन का शिकार होकर इससे लड़ने का साहस भी नहीं जुटा पाते और इस दलदल में फंसते चले जाते हैं लेकिन जिसने भी डिप्रेशन से लड़कर इसे जीत लिया उसके लिए जिंदगी में इससे बड़ी दौलत कुछ भी नहीं है।

मनोवैज्ञानिक सुजाता ने अपील की है कि यदि आपके आसपास भी कोई व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है तो उसकी मदद कीजिए ताकि आत्महत्या की सूची में उसका नाम अंकित ना हो सके।

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