दोहा अंताक्षरी प्रतियोगिता के ऑनलाइन आयोजन में विजयी प्रतिभागियों को मिला इनाम..
दोहों का जीवन में विशेष योगदान है। दोहे हमें जिंदगी का फलसफा सिखाते हैं. तुलसीदास, कबीर दास, रहीम जी आज दुनिया में नहीं है परंतु उनके द्वारा लिखे गए दोहे हमारे जीवन के लिए अंधेरे में मसाल की तरह काम करते हैं ।जात-पात से ऊपर उठकर लिखे गए दोहे से जीने की सही राह समझ में आती है और हर मुश्किल समय आसान लगने लगती है वर्तमान शिक्षा पद्धति से निश्चित तौर पर दोनों का महत्व कम हुआ है जिसके अभाव से बच्चों में विपरीत परिस्थितियों से लड़ने एवं सही निर्णय लेने की क्षमता घटी है.
के. डी. बी. एम. कॉलेज सिरोंज ( भोपाल) के द्वारा प्रायोजित दोहा अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में संयोजक संध्या रामावत के द्वारा दोहा अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।
स्कूली शिक्षा बंद होने से बच्चों माता- पिता, दादा-दादी, नाना-नानी में दोहा अंताक्षरी के प्रति विशेष आकर्षण दिखाई दे रहा है साथ ही दोहे अंताक्षरी से परिवार में बुजुर्गों का महत्व भी बढ़ रहा है तथा यह दो पीढ़ी के मध्य एक सेतु की तरह भी कार्य कर रहा है और बच्चे ज्यादा समय अपने बुजुर्गों के साथ समय बिता रहे हैं जिससे बुजुर्गों में भी प्रसन्नता बनी हुई है.
बैकुंठपुर में श्वेता त्यागी के मार्गदर्शन एवं समाजसेवी संध्या रामावत के सहयोग से दोहा अंताक्षरी प्रतियोगिता का सफलतापूर्वक online आयोजन किया गया. जिसमें जूनियर ग्रुप में प्रथम स्थान त्रिशा अग्रवाल एवं तेजल शर्मा द्वितीय स्थान आयुष श्रीवास्तव एवं प्रणव श्रीवास्तव तथा तृतीय स्थान पूर्णिमा यादव भावेश यादव को प्राप्त हुआ .
सीनियर ग्रुप में प्रथम स्थान अनवेषा शर्मा एवं कृतिका शर्मा एवम द्वितीय स्थान अमोल विश्वकर्मा एवं कीर्ति विश्वकर्मा को प्राप्त हुआ.
शीतल प्रकाश एवं रीता कुमारी को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ.
शिक्षा विद. श्वेता आंनद त्यागी भोपाल तथा समाज सेविका संध्या रामावत द्वारा विजेताओं को ई सर्टिफिकेट प्रदान कर इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए दोहों का उपयोग जीवन में सदा कर जीवन को सरल बनाने हेतु कहा है ।