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कोरिया की जेलों में मिले टीबी के 34 संभावित मरीज…जिला जेल और उप जेल मनेन्द्रगढ में टीबी स्क्रीनिंग शिविर आयोजित…

कोरिया जिले में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी की उच्च जोखिम समूहों में सघन खोज अभियान के तहत “टीबी हारेगा देश जीतेगा” स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। कैदियों में क्षय रोग एवं उसका संक्रमण सामान्य लोगों की अपेक्षा कई गुना अधिक होता है। उप जेल मनेन्द्रगढ में आयोजित टीबी चिकित्सा शिविर में 222 बंदियों में 14 संभावित टीवी मरीज मिले जिनकी जांच उच्चतम तकनीक सीबीनाट एवं एक्सरे के आधार पर निशुल्क की गई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डां रामेश्वर शर्मा ने बताया: “राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जेलों में टीबी की जांच एवं उपचार के लिये शिविरो का आयोजन समय-समय पर होता रहता है| टीबी खोज अभियान के लिये जेल में बंदियो की जांच की जाती है एवं आवश्यकतानुसार दवा व निदान होता रहता है।“
जिला क्षय नोडल अधिकारी डा अशोक सिंह ने बताया: “टीबी चिकित्सा शिविर का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के मार्गदर्शन एवं जिला जेल अधीक्षक के समन्वय से आयोजित करवाया गया। टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो भीड़भाड़ वाले स्थान, अपर्याप्त वेंटीलेशन होने पर या निदान व उपचार के अभाव में तेजी से एक व्यक्ति से अन्य व्यक्ति में फैलता है।‘’

कैसे होता है टीबी
टी.बी. के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं। एक मरीज 15-20 लोगों को संक्रमित कर सकता हैद्य
इसके प्रमुख लक्षण हैं−
तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी होना,खांसी के साथ बलगम आना,कभी−कभी थूक से खून आना,वजन कम होना,भूख में कमी होना,सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत,शाम या रात के समय बुखार आना।
ट्यूबरक्लोसिस एक नोटीफयाबेल रोग है जिसकी जानकारी सरकारी स्वास्थ केन्द्रों से, प्राइवेट डॉक्टरों से या फिर केमिस्टको भी देना अनिवार्य है।

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