कबीरपंथी समाज उतरा विरोध में, कांग्रेस सरकार को जमकर लगाया फटकार
आंगनबाड़ी, प्राथमिक व मिडिल स्कूल के बच्चों को मध्याह्न भोजन में अंडा परोसने के निर्णय का विरोध
दक्षिणापथ बालोद (आरके देवांगन)। आंगनबाड़ी, प्राथमिक व मिडिल स्कूल के मध्याह्न भोजन मीनू में सप्ताह में एक दिन बच्चों को अंडा देने के निर्णय के विरोध में कबीर समाज ने राज्य शासन के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर नाराजगी जाहिर की है। डिप्टी कलेक्टर ने उनकी बातों को शासन तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है। इसके बाद ही प्रदर्शनकारी शांत हुए। प्रदर्शनकारियों ने इसे तत्काल मीनू से हटाने की मांग रखी है। जल्द इस निर्णय को सरकार द्वारा वापस नहीं लिया जाता है, तो कबीर पंथ के आचार्य प्रकाश मुनी साहेब 17 जुलाई को दामाखेड़ा में रायपुर बिलासपुर राष्ट्रीय राजगार्म पर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठेंगे। कबीरपंथ समाज का कहना है कि स्कूल व आंगनबाड़ी में बच्चों को अंडा परोसा जाना कतई सही नहीं है। यह मांसाहार है। यह मानवीय आहार में शामिल नहीं है। इसे मध्याह्न भोजन के मीनू से अलग किया जाए, अहिल्या साहू ने कहा कि भले ही हम अपने बच्चे को स्कूल नही भेजेंगे, लेकिन मांसाहार से दूर रखेंगे। कबीरपंथ समाज के करीब सौ से अधिक की संख्या में लोग गंगा मईया प्रांगण पहुचे वहां से कलक्टोरेट पहुंचे। यहां डिप्टी कलेक्टर सिल्ली थामस ने उनकी बातों को सुना और ज्ञापन लेते हुए शासन तक बात पहुंचाने का आश्वासन दिया। ज्ञापन सौंपने वालों में समिति के अध्यक्ष कल्याण साहू, युवा प्रकोष्ट अध्यक्ष हेमंत कुमार साहू, महंत युगल किशोर साहू, महिला उपाध्यक्ष अहिल्या साहू, तहसील साहू समाज डौन्डी के अध्यक्ष किशोरी साहू, रमेश सोनवानी, गुंडरदेही कबीर समिति अध्य्क्ष सुबेदास साहू, योगेश साहू सहित अन्य मौजूद रहे।
समाज के सदस्यों ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को मांसाहारी देना उचित नहीं है। बच्चे नादान और मासूम होते हैं, अनजाने में बच्चे अंडे का सेवन कर सकते हैं। अगर स्कूल व आंगनबाडिय़ों अंडे देने के निर्णय को सरकार वापस नहीं लेती, तो आने वाले समय में कबीरपंथ और विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से प्रदेशभर में चक्काजाम कर उग्र प्रदर्शन किया जाएगा। कल्याण साहू ने कहा अभी स्कूल में अंडा परोस रहे है, कल दारू परोसेंगे, हम इसका पुरजोर विरोध करते है, शासन अब स्कूल जाबो पढ़े बर जिंदगी ला गढे बर ला बदलकर स्कूल जाबो-अंडा खाबो के नारा बना दिही।