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राष्ट्रीयकृत संस्थाओं, नवरत्न पब्लिक सेक्टर , वित्तीय संस्थाओं बैंक, बीमा के निजीकरण की नीति के खिलाफ ……आंदोलन का शंखनाद …..पढ़े पूरी खबर..
राष्ट्रीयकृत संस्थाओं, नवरत्न पब्लिक सेक्टर , वित्तीय संस्थाओं बैंक, बीमा के निजीकरण की नीति का देश के अर्थशास्त्रियों, समाजशास्त्रियों एवम ट्रेड यूनियनो ने कड़ा विरोध करते हुए इसे राष्ट्र हित के खिलाफ देश को पूंजीपतियों एवं कॉर्पोरेट्स घरानों के हाथों नीलाम करने तथा देश को आर्थिक गुलाम बनाने वाला देश विरोधी कदम बतलाया है। 15,16 मार्च को बैंकों ,17 मार्च को जनरल इंश्योरेंस तथा 18 मार्च 2021 को जीवन बीमा निगम में देश व्यापी हड़ताल की घोषणा की गई है।
केन्द्र सरकार द्वारा बजट में जीवन बीमा उद्योग में 74%एफ डी आई लाने और शेयर मार्केट में आई पी ओ जारी करने प्रस्ताव रखा है। तथा भारतीय जीवन बीमा निगम में 2017 से वेतन पुनर्निधारण देय है। ऐतिहासिक उपलब्धियों के बावजूद अन्यायपूर्ण विलंब किया जा रहा है। जिससे जीवन बीमा निगम के अधिकारियों एवम् कर्मचारियों में काफी आक्रोश व्याप्त है।
जीवन बीमा निगम के अधिकारियों एवम् कर्मचारियों का संयुक्त मंच ज्वाइंट फ्रंट ने बैंकों के निजीकरण का भी जबरदस्त विरोध करते हुए 15 मार्च को भोजन अवकाश पर कार्यालय मुख्यद्वार पर सभा व प्रर्दशन किया।
आज 15 मार्च 2021 को भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय रायगढ़ के मुख्य द्वार पर ज्वाइंट फ्रंट के राष्ट्रीय आव्हान पर सभा एवम् जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया। सभा को क्लास वन ऑफिसर्स एसोसिएशन के मंडलीय अध्यक्ष आई पी चंद्राकर,विकास अधिकारी संघ के मंडलीय महासचिव प्रशांत सिंह ठाकुर, सेंट्रल जोन इंश्योरेंस एम्पलाइज एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य एवं ट्रेड यूनियन कौंसिल के संयोजक गणेश कछवाहा एवम् बिलासपुर डिविजन इंश्योरेंस एम्पलाइज एसोसिएशन यूनिट रायगढ़ के सचिव प्रवीण तंबोली ने संबोधित किया।ज्वाइंट फ्रंट ने बैंक के निजीकरण का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सरकार राष्ट्रीयकृत एवम सार्वजनिक उपक्रमों को कॉरपोरेट घरानों के हाथों कौड़ी के दाम बेचकर देश को आर्थिक गुलामी की ओर धकेल रही है। यह राष्ट्र हित के खिलाफ है।
सभा को संबोधित करते हुए साथियों ने मांग की कि लगातार एतिहासिक उपलब्धियों को हासिल करने के बावजूद वेतन पुनर्निधारण में विलंब करना अन्यायपूर्ण है अतिशीघ्र वेतन पुनर्निधारण किया जाना चाहिए। तथा केन्द्र सरकार द्वारा जीवन बीमा उद्योग में 74% एफ डी आई लाने तथा शेयर मार्केट में आई पी ओ जारी करना औचित्य हीन बताया और कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय जनहित में कदापि उचित नहीं है। इससे जहां हमारी छोटी बडी बचतों पर विदेशी पूंजी पतियों का कब्जा होगा तथा हमारे देश की अर्थ व्यवस्था कमजोर होगी। आर्थिक गुलामी के शिकंजे में कसने का खतरा बढ़ जाएगा। अतः जनहित एवं राष्ट्र हित में सरकार को उक्त प्रस्ताव पर पुनर्विचार करते हुए निजीकरण की नीति को तत्काल वापस लेना चाहिये।