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ट्रेलर वाहन मालिक और ट्रांसपोर्टरों के बीच विगत एक माह से भाड़ा को लेकर बना गतिरोध हुआ समाप्त …..खदानों से उद्योगों तक के लिए तय हुआ ये बेस प्राइज …..जाने आप भी …..स्थानीय वाहन मालिकों के सामने आ गई थी फांके की स्थिति ….सभी पक्षो की सहमति से …

 

*दोनों पक्षों की सहमति से तय हुआ खदानों से उद्योग तक मिनिमम भाड़ा*

रायगढ़।

विगत 25 फरवरी से लगातार रायगढ़ ट्रेलर मलिक संघ द्वारा अपने हित की लड़ाई को आंदोलन के माध्यम से लड़ा जा रहा था उसी कड़ी में 25 फरवरी से 1 मार्च तक वाहन मालिकों द्वारा अपनी वाहनो को खड़ा करके आर्थिक नाकेबंदी भी की गई थी। तत्पश्चात ट्रांसपोर्टरों के साथ बैठक हुई जिसमें भाड़ा तय करने के आश्वासन पर उनके डीओ की अंतिम तिथि होने के कारण वाहन मालिको द्वारा डीओ ना डूबने देंगे की शर्तों पर दोनों पक्षों के मध्य लगातार बातचीत का दौर शुरू हुआ और विगत 21 मार्च से रायगढ़ की कोल माइंस छाल, बरौद, जामपाली एवं अन्य जगहों से उद्योग तक कोल परिवहन का भाड़ा तय किया गया है। दोनों पक्षों के मध्य सहमति बनी है कि इससे न्यूनतम भाड़ा पर वाहन मालिक अपने वाहन को कॉल परिवहन में नहीं लगाएंगे और ना ही कोई ट्रांसपोर्टर इससे कम में लिफ्टिंग का काम करेगा और यदि कोई भी ट्रांसपोर्टर इससे कम भाड़ा पर किसी भी प्रकार का लिफ्टिंग का कार्य करता है तो उसे यूनियन का तय मिनिमम भाड़ा वाहन मालिक को देना होगा। और गाड़ी लगाने की बात पर 70 प्रतिशत गाड़ी यूनियन की और 30 परसेंट गाड़ी ट्रांसपोर्ट र्की लगाने पर सहमति हुई है
भाड़ा सूची पर ट्रांसपोर्टर और वाहन मालिक के मध्य किसी भी प्रकार का हस्ताक्षर युक्त समझौता नहीं हुआ है। उसकी कार्यवाही जारी है। वाहन मालिक ट्रांसपोर्टरों से यह मांग भी कर रहे हैं कि जिस प्रकार बिल्टी में ट्रांसपोर्टर द्वारा बिल्टी कमिशन, ड्राइवर द्वारा ली जाने वाली खर्चे की राशि एवं डीजल का उल्लेख किया जाता है उसी प्रकार वाहन मालिक उसमें प्रति टन भाड़ा का जो मूल्य है वह भी अंकित करे पर कूछ ट्रांसपोर्टर के द्वारा लिखा जा रहा है वही कुछ ट्रांसपोर्टर के द्वारा बिल्टी में भाड़ा नहीं लिखा जा रहा है इससे कहीं न कहीं पर यह सवालिया निशान उठता है कि आखिर यह समझौता कब तक ठहर पाएगा। पिछले सात-आठ वर्षों के दौरान देखा गया है किकई बार वाहन मालिक और ट्रांसपोर्टरों के मध्य भाड़ा तय हो चुका और फिर तीन- चार महीने में ही यह भाड़ा गिर जाता रहा है इसलिए ही वाहन मालिकों द्वारा इस बार इतना बडा आंदोलन किया गया था क्योंकि आज रायगढ़ में ट्रेलर वाहन व्यवसाय वाहन मालिकों की हालत को बद से बदतर कर दिया है। वहीं वाहन मालिकों का कहना है कि अब इससे कम भाड़े में गाड़ी चलाना मतलब बद से बदतर स्थिति में चले जाना बराबर हो जाएगा क्योंकि आज की स्थिति में जिस प्रकार से विगत 5 वर्षों के भाड़ा की स्थिति रही हैं उससे हर वाहन मालिक कर्ज के बोझ तले लगा हुआ है और वह ट्रांसपोर्टरों से भी कहना चाहते हैं कि यह भाड़ा जो दोनों पक्षों की सहमति से तय हुआ है इसका सम्मान करते हुए लोकल वाहन मालिकों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय ना हो और आप अपनी बात पर अडिग रहते हुए कम से कम आज वर्तमान से भविष्य तक इस भाड़ा पर हमारी वाहनों को चलाएंगे और भविष्य में डीजल के घटते बढ़ते मूल्यों के हिसाब से भाड़ा घटाने बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।

बेस प्राइज मिनिमम भाड़ा- सूची

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