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कोरोना संकट की बेला में रोशन भैया का मास्क वितरण अविस्मरणीय– पल्लू बेरीवाल … भैया आप हमेशा याद आओगे

पिछले वर्ष मार्च में कोरोना महामारी की जैसे ही आहट सुनाई पड़ी वैसे ही हमारे संवेदनशील प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को संपूर्ण भारत में लॉक डाउन की घोषणा कर दी। मोदी जी ने नारा दिया दो गज दूरी- मास्क है जरूरी।

उस समय हम मास्क की उपयोगिता को इतना समझ नहीं पा रहे थे की वह कितना जरूरी है और न ही लोगो को मास्क सहज उपलब्ध हो पा रहा था क्योकि लॉकडाउन लग गया था।मुझे अच्छे से याद है लगभग एक हफ्ते बाद मेरे पास सुबह सुबह 6:00 बजे रोशन भैया का फोन आया और उन्होंने मुझे कहा पल्लू एक बार घर आना और जब में घर पहुंचा तो मुझे एक थैला दिया जिसमें 50-50 नग के 20 बंडल मास्क थे। मैंने उनसे पूछ लिया इतने मास्क का क्या करेंगे तो  उन्होंने कहा कि जैसे ही लॉकडाउन लगा मै एक हफ्ते से इन्हें तैयार कराने के लिए लग गया था। क्योंकि मुझे पता है कि इस लॉकडाउन में लोगों को सहज ही मास्क उपलब्ध नहीं हो पाएगा और रायगढ़ वासियों को इसकी सख्त जरूरत है। उन्होंने मुझे 20 लोगों के नाम की एक सूची दी और कहा 50 – 50 के बंडल इन लोगों को तू कॉल करके वितरित कर दे और उन्हें कहना कि वह अपने वार्ड में लोगों को तत्काल इस मास्क को वितरित करें और खत्म हो जाए तो फिर मेरे से जितनी जरूरत हो मांग ले मैं और तैयार करवा रहा हूं फिर दूंगा। इसके साथ ही उन्होंने मुझे कहा था कि तेरे को जितना मास्क लगेगा तू ले जा और हर किसी को जो भी रास्ते में मिले मास्क देना और उसके साथ उन्होंने मुझे सख्त हिदायत दी कि मास्क देते समय यह मत देखना कि तू मास्क किसको दे रहा है। इसके साथ ही रोशन भैया स्वयं सुबह से घूम घूम कर लोगो को मास्क वितरित करना प्रारंभ कर दिये।  रोशन भैया ने मास्क के लिए एक अभियान छेड़ दीया।  पिछले वर्ष के लॉक डाउन मैं मुझे याद है कि भैया के द्वारा दिलवाए गए मास्क पूरे रायगढ़ विधानसभा के साथ ही साथ जिले भर में जहां भी संभव हो सका वहां भिजवाया गया और लगभग पचास हजार से ज्यादा मास्क उनके द्वारा इन 4 महीनों में तैयार करवा कर स्वयं अपने हाथों से वितरित गया।

आज जब कोरोना की दूसरी लहर पुनः लौट आईं है तब मैं रोशन भैया के मास्क वितरण को याद कर रहा हूं और बरबस ही मोबाइल की तरफ देखता हूँ कि कब मोबाईल की घंटी बज जाए और रोशन भैया का आदेश आ जाए कि पल्लू घर आ जा और मास्क के थैलों को ले जा। मुझे पता है कि वो घंटी कभी नही बजेगी परन्तु दिल को कौन समझाए।

मन से रह रहकर एक ही बात निकलती है कि हे ईश्वर ऐसी पुण्य आत्मा की आपके श्री चरणों मे नही इस समय इस भूलोक को हमारे रायगढ़ कोजरूरत थी पर आपके इंसाफ के सामने हम सब नतमस्तक हैं।

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