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छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुप्ता ने कहा, अन्य प्रांतों की संस्कृतियां छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचानों को तेजी से निगल रही है

दक्षिणापथ, दुर्ग। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच द्वारा दुर्ग में छत्तीसगढ़ राज्य के पहले स्वप्नदृष्टा स्व. डा. खूबचंद बघेल की 120 वीं जयंती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित मंच के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एड. राजकुमार गुप्त ने कहा कि सिर्फ चुनाव लडऩा ही काफी नहीं है मंच पर छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास, सभ्यता, संस्कृति जिनसे छत्तीसगढ़ की पहचान है की रक्षा करने की अहम जिम्मेदारी है, उन्होनें मंच के कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि अन्य प्रांतो की संस्कृतियां छत्तीसगढिय़ा संस्कृति को तेजी से निगलते जा रही है, छत्तीसगढ़ बमलेश्वरी और दंतेश्वरी की धरती है यदि छत्तीसगढिय़ा अभी सचेत नहीं हुए तब दो-तीन हजार साल बाद जब पुरातात्विक खोज के लिये खुदाई होगी तब सब जगह अन्य प्रांतो की सांस्कृतिक पहचान ही नजर आयेंगे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान नहीं इस प्रकार छत्तीसगढ़ की संस्कृति का इतिहास में विलोपित हो जाने का खतरा है।
मंच के अध्यक्ष ने कहा कि राज्स में आबादी का संतुलन गंभीर रूप से गड़बड़ा गया है राज्य की 2.5 करोड़ की आबादी में 25 से 30 प्रतिशत जनसंख्या उन लोगों की हो गई है जो 1951 की जनगणना के बाद अन्य प्रांतों से आकर छत्तीसगढ़ में बस गये हैं, ऐसे लोग अपने साथ अपने प्रांतों की सांस्कृतिक पहचान भी अपने साथ लेकर आये हैं, छत्तीसगढ़ के जल, जंगल, जमीन, रोजगार, कारोबार आदि पर पर प्रांतीय मूल के लोगों का कब्जा हो गया है अब छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को खतरा पैदा हो गया है। इस अवसर पर पूरन साहू, तामेशदास सोनवानी, रऊफ खान, बल्देव साहू, रजा अहमद, बीजू, सुधेन्दु, असीम डहरे आदि उपस्थित थे।

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