संतान संतति के दीर्घायु, बल, बुद्धि, विद्या और कल्याण के लिये ……संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु की कामना का व्रत आज से बताया …. श्री धर्म चेतना मंच ज्योतिष केन्द्र के आचार्य महेन्द्र मिश्रा ने बताया की ….पढ़े इस व्रत से जुड़ी बातें ..
पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत को माताएं संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु की कामना के लिए रखती हैं। यह व्रत पूरे दिन दिन तक चलता है। इसे सभी व्रतों में कठिन माना जाता है। माताएं अपने संतान की खुशहाली के लिए जितिया व्रत निराहार और निर्जला रखती हैं। इस साल यह पर्व 28 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगा।खासकर उड़िआ संस्कृति का यह व्रत उड़िसा के साथ छ.ग.,बंगाल, म.प्र. और जहाँ उड़िआ संस्कृति के अनुयायी हैं, अपने संतान संतति के दीर्घायु, बल,बुद्धि, विद्या और कल्याण के लिये पालन किया जाता है ।
*जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व* –
जीवित्पुत्रिका व्रत संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुण्य कर्मों को अर्जित करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को जीवनदान दिया था, इसलिए यह व्रत संतान की रक्षा की कामना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के फलस्वरुप भगवान श्रीकृष्ण संतान की रक्षा करते हैं।व्रत पर्व निर्णय:–
🔹जीवित्पुत्रिका (पुत्रजिउतिया) व्रत🔹
माता अपने पुत्र-पुत्री की मंगल कामना लेकर चौबीस घंटे का निर्जला व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष “अष्टमी” को रखकर नवमी मे पारणा करती है । आश्विन मास के कृष्ण अष्टमी को दुतिवाहन पूजा (पुत्र जिऊतिया) और आश्विन शुक्ल पक्ष अष्टमी को भाई के लिये भाई जिऊतिया व्रत रखा जाता है । दोनो ही व्रत अष्टमी को रखकर नवमी मे पारणा (व्रत खोलना ) करते हैं ।नवमी के दिन पारणा मे माँ अपने सन्तान को आरती उतारकर माँ दुर्गा (अपनी इष्टदेवी) मे चढ़े हुये दुर्वा/फूल/चावल/तिलक/वन्दन को सन्तान को लगाती है,फिर जल,फल,प्रसाद ग्रहण करती है । यही प्रक्रिया भाई दूज (भाई जिऊतिया)मे बहनें अपने भाई के लिये करती हैं।
▪आश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी इस बार 28 सितम्बर 2021 मंगलवार को सायं 6 बजकर 16 मिनट तक है,मंगलवार को पितृपक्ष का सप्तमी महालया श्राद्ध भी है । 28 ता. मंगलवार शाम से अष्टमी तिथि प्रारंभ होकर बुधवार 29-09-2021 को रात 8/19 बजे तक है, और गुरूवार 30 ता. को नवमी है । अतः अष्टमी को प्राथमिकता देते हुये बुधवार 29 तारीख ही व्रत के लिये प्रशस्त है, ताकि माँ नवमी को पारणा करेगी ।
🔹उड़िसा से प्रकाशित विभिन्न पंचांगों मे भिन्नता के कारण सबमे असमंजस की स्थिति बनी हुयी है । जैसे :- राधारमण प्रेस की पंजिका मे पुत्र जिऊतिया 28 ता. मंगलवार को दिया है, जबकि अरूणोदय प्रेस,श्रीखेत्र पांजी, भाग्यदीप प्रेस पंजिका मे 29 तारीख बुधवार ही दिया गया है । ◆आने वाले भाई जिऊंतिया व्रत(आश्विन शुक्ल पक्ष अष्टमी) को लेकर समस्त पंचांग एकमत से 12 अक्टूबर 2021 मंगलवार लिखे हैं ।इस दिन रात्रिकालीन अष्टमी पूजा है जो नवरात्रि में पड़ी है ।
आचार्य महेन्द्र मिश्रा
(श्री धर्म चेतना मंच ज्योतिष केन्द्र)