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अस्थमा दिवस पर विशेष* *सावधानी बरतें और प्रदूषण से बचने का प्रयास करें* *भ्रांतियो को छोड़ समय रहते अस्थमा की कराएं जांच : डॉ गणेश पटेल*

रायगढ़ 02 मई 2022.  मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। लोगों तक अस्थमा से जुड़ी सही जानकारी पहुंचाने एवं इस बीमारी के प्रति उन्हें जागरूक करने के लिए संपूर्ण विश्व में इस दिन का आयोजन होता है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो कि फेफड़ों पर आक्रमण कर श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों की सहायता करना भी इस दिन का मकसद है।

अस्थमा हर उम्र के लोगों को होता है। इससे बच्चे भी अछूते नहीं लेकिन उनके पालक उन्हें जबरन एंटीबॉयोटिक खिला देते हैं पर इन्हेलर नहीं देते। रायगढ़ जैसी जगह में जब प्रदूषण इतना है तो लोगों को खुद से समझना चाहिए और अस्थमा के लक्षण जैसे बच्चों के सीने में घर-घराहट, दौड़ने में रूक जाता है, हमेशा सर्दी खांसी, दौड़ने में थकान ऐसे पालकों को तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसएन केसरी बताते हैं: “विश्व अस्थमा दिवस की शुरुआत 1993 में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से की गई थी। 1998 में इस दिन का आयोजन 35 से अधिक देशों में किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य दिवसों में से एक माना जाता है। विश्व अस्थमा दिवस के लिए इस वर्ष की थीम जो तय की गई है वह ‘क्लोजिंग गैप्स इन अस्थमा केअर यानी अस्थमा देखभाल में होने वाली दिक्कतों को दूर करना। कई लोगों के बीच अस्थमा से जुड़ी गलत बातें फैली हुई हैं। बस इन्हीं लोगों तक भ्रांतियां खत्म कर सही समय पर उपचार यही मकसद है।”

जिले के स्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. गणेश पटेल कहते हैं: “अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें सांस में सिकुड़न आती है और यह एलर्जी से भी संबंधित होता है। एलर्जी का संबंध उन चीजों से होता है जो उत्प्रेरक होता है जिसमें धूल, धुआं, बदलता मौसम, पेड़ पौधे या कोई भी किसी भी चीज हो सकती है। रायगढ़ जिला सबसे प्रदूषित जिलों में से एक है तो यहां एलर्जी एक सामान्य सी बात है। यहां एलर्जी और अस्थमा के मरीज ज्यादा मिलते हैं। बच्चों में भी अस्थमा की दर राष्ट्रीय दर 3-7 प्रतिशत से अधिक है जो यहां इससे अधिक है क्योंकि यहां के बच्चे दूर-दूर यात्रा करते हैं और वह सभी जगह प्रदूषित है। पिछले महीने मेर पास आए मरीजों में से हर दूसरा मरीज मुझे अस्थमा का ही मिला है। बात बीते चार पांच सालों की करें तो मेरे पास आने वाला हर तीसरा मरीज अस्थमा का है। हालांकि बीच में कोरोना के कारण लोगों ने मास्क पहनना और बाहर निकलना कम कर दिया था तो अस्थमा नियंत्रित हुआ। औद्योगिक नगरी होने के कारण आपके घर में धूल का जमना आम बात है लेकिन यही धूल आपके लिए अस्थमा कारक है। दो दिन घर की सफाई न करें तो धूल की परत जम जाती है जो सांस के साथ फेफड़े में पहुंचती है और अस्थमा का कारक होती है।“

*उज्जवला ने कम तो ट्रैफिक ने बढ़ाया*
डॉ. गणेश पटेल बताते हैं: “बीते कुछ सालों में महिलाओं और लकड़ियों से खाना बनाने वालों की तादाद में कमी आई है यानी इनमें अस्थमा का खतरा कम हो गया है लेकिन सड़क पर चलने वाहनों के धुएं और सड़क की धूल ने एलर्जी और अस्थमा को बढ़ा दिया है। रायगढ़ की तंग सड़कों में जाम फंसे लोग और बड़ी सड़कों में ट्रकों से निकलने वालों धुएं और धूल ने अस्थमा के मरीजों की तादाद में इजाफा किया है। अस्थमा के बहुत सारे मरीज हैं पर उनकी पहचान नहीं हो पाती इसलिए ऐसे मरीजों की पहचान करना है जो इस साल का थीम भी है। लोगों में यह भ्रम है कि जो भी एक बार पंप लेता है उसे जीवन भर लेना पड़ता है।“

*अस्थमा के लक्षण*
अस्थमा के लक्षणों में मुख्य रूप से सांस लेने में कठिनाई होने लगती है क्योंकि श्वास नलियों में सूजन आने के कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। इसके अलावा खांसी, घबघराहट तथा सीने में जकड़न व भारीपन होना, फेफड़ों में लंबे समय तक कफ जमे रहना, नाड़ी गति का बढ़ जाना, सांस लेते समय सीटी की आवाज का आना आदि भी अस्थमा के लक्षण हैं।

*अस्थमा के मरीज खानपान का रखें ध्यान*
अस्थमा गैर संचारी रोगों में आता है। गैर संचारी रोगों के जिला नोडल अधिकारी डॉ योगेश पटेल ने बताया: “कोरोना काल में लॉकडाउन से प्रदूषण और संक्रमण कम हो गया था और सांस रोगियों में भी कमी हो गई थी। लेकिन फिर से सबकुछ शुरू होने के बाद सांस रोगियों में फिर से तेजी से इजाफा होने लगा है। हवा में कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैसें और धूल के सूक्ष्म कण बढ़ रहे हैं। फिर एलर्जी से अस्थमा होती है तो जिन चीजों से लोगों को एलर्जी है उससे दूर रहें। अस्थमा के मरीज गरिष्ठ भोजन, तले हुए पदार्थ न खाएँ। अधिक मीठा, ठण्डा पानी, दही का सेवन भी न करें। अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए। कोल्ड ड्रिंक के सेवन से भी परहेज करें।“

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