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चुनावी दंगल …रायगढ़ विधानसभा में कोलता समाज की भूमिका और सामाजिक बंधुओं की जोर आजमाइश ……. कोलता समाज की अनदेखी पड़ेगी महंगी ….कांग्रेस या बीजेपी को

 

रायगढ़ ।

अब जैसे जैसे विधान सभा चुनाव नजदीक आते जा रही है चुनावी समीकरण का जोड़ तोड़ भी शुरू हो चुका है। आज हम रायगढ़ विधान सभा में सामाजिक जोड़ तोड़ की बात कर रहे है। रायगढ़ विधान सभा में कोलता बाहुल्य क्षेत्र है जहां इनकी बड़ी पूछ परख है और किसी भी प्रत्याशी के जीत हार निर्णायक भूमिका होती है। और इस समाज से कई भावी प्रत्याशी भी समय समय हुंकार भरते रहे हैं और इस चुनावी दौर में भी कई नाम भी है। अब जानते है कोलता समाज की अब तक की भूमिका और संभावित उम्मीदवार ।

 

कांग्रेस से मुकेश, सफेद और मनोरंजन बीजेपी से बृजेश,जगन्नाथ,रत्थु और विलिस तैयारी में चुनावी मंदिरों के घंटे के घन-घनाने में भले ही देर है पर अब चहलकदमी से आगे बढ़कर मोशन का दौर में आ गया है।  प्रत्याशी बनने के लिए हर संभव प्रयास जारी है पर सामाजिक दृष्टिकोण से नया जोड़-तोड़ करने के लिए नए शिगूफे के साथ जनता को रिझाने में पार्टियां लगी हुई है।

छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में होना है। पिछले चुनाव 2018 में हुए थे 5 वर्ष के कार्यकाल का समापन 2023 के नवंबर में होना है पर केंद्रीय चुनाव आयोग की घोषणा होना ही तिथि को निर्धारित करती है। आश्वानवित उम्मीदवारों का प्रयास निरंतर रहता है।  रायगढ़ विधानसभा में कांग्रेसी या भाजपा दोनों पार्टी समाज की उपस्थिति को नकार नहीं सकती,इसमें भी गौरतलब है कि कोलता समाज मूलतः पिछड़े वर्ग में आते है इस समाज के लोग माता रामचंडी देवी के मानने वाले रहते हैं इनकी फिजा में शांत और संस्कारिक रूप से रहना पसंद करते हैं इनका पेशा कृषि हैं और जागरूक रहते है।इतिहास को समझा जाये तो प्रत्याशी की विश्वसनीयता और जागरूकता को महत्व देकर अपना विश्वास व्यक्त करते रहे हैं इतिहास के अनुसार सन 1972 रामकुमार अग्रवाल के कांग्रेस प्रवेश पर इस समाज के लोगों ने जननायक रामकुमार के कारण कांग्रेस को वोट दिया था। जोकि कांग्रेस और इस समाज का साथ 2003 तक चलता रहा फिर 2003 विधानसभा सभा के चुनाव में कांग्रेस से छूट कर बीजेपी के संग हो गया।
कोलता समाज ने सन 2003 के विधानसभा चुनाव में सरिया विधानसभा से अपने प्रत्याशी को उतारने की रणनीति बनाई और कांग्रेस प्रत्याशी डॉ शक्रजीत नायक के विरूद् विधानसभा चुनावी अखाड़े में विराजेश्वर प्रधान को निर्दलीय उतारा जो दूसरे स्थान पर रहे भाजपा और अन्य पार्टी का इसके बाद ही स्थान रहा।इसी समाज के लोगों में अब रायगढ़ विधानसभा से प्रत्याशी बनने की आस में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी से लोग प्रयास कर रहे हैं जिनमे महापल्ली क्षेत्र के कांग्रेस जिला पंचायत सदस्य श्रीमती गुप्ता के देवर मुकेश गुप्ता जो कि पेशे से स्वास्थ्य सेवाएं देकर ग्रामीणों के मध्य भारी लोकप्रिय भी है,पुसौर ब्लॉक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व जिला पंचायत सदस्य सफेद गुप्ता जो कि पुसौर क्षेत्र में में आज भी कोलता समाज के धाकड़ नेता के रूप में फिर परिचित हैं।पूर्वांचल के मनोरंजन नायक भी इस दौड़ में अपने आप को मानते हैं।पिछले चुनाव में हारी भाजपा में अब नए प्रत्याशी की खोज हो तो कोलता समाज अपने जमाने के धाकड़ किसान व कोलता समाज के नेता विष्णुचरण गुप्ता के पुत्र पूर्व जिला पंचायत सदस्य बृजेश गुप्ता,पुसौर के जगन्नाथ प्रधान, तमनार से रायगढ़ के वाशिंदे बने रत्थु गुप्ता जो कि इन दिनों रायगढ़ विधानसभा में अपने जनसंपर्क में लगे हुए हैं फिर भाजपा के जमीनी स्तर पर कार्यक्रम करने वाले युवा चेहरे विलिस गुप्ता जिले के प्रतिष्ठित कोलता परिवार से और इंजीनियर स्नातक भी के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह परिवार के करीबी भी है। इनके द्वारा सामाजिक रूप से पुसौर ब्लॉक के गौतमा में कोलता समाज का वृहद कार्यक्रम करवा कर उपस्थिति दर्ज करवाई थी जो कि इस क्षेत्र के युवाओं में लोकप्रिय है।

रायगढ़ विधानसभा के जनसंख्या के अनुसार यदि आकलन किया जाए तो कोलता समाज की पिछड़ा वर्ग बाहुल्यता की उपस्थिति को कोई नकार नहीं सकता और यह समाज पिछले 2018 के चुनाव में जैसा रायगढ़ विधानसभा के गांव में हुए मतदान के अनुसार आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि इस समाज के लोगों ने कांग्रेस के विरोध में अपना विश्वास व्यक्त किया था। चुनाव 2023 को लेकर सामाजिक बैठकों का दौर गुपचुप है पर सूत्रों के अनुसार पिछले कई बैठकों में समाज के लोगों ने कुछ कर गुजरने के रास्ते पर चलने का मापदंड अपनाने के लिए निर्णय लेने को बल दिया है जो कि निर्णय के अंतिम दौर में है।अब आने वाला समय इसके इंतजार में है कि कोलता समाज के लोगों को सत्ता में बैठी कांग्रेस पार्टी या विपक्षी भाजपा पार्टी दोनों में से कौन रिझाएगी और जो सफल होगी उसको लाभ रायगढ़ ही नहीं खरसिया,लैलूंगा,धर्मजयगढ़ और सारंगढ़ विधानसभा में निश्चित ही होगा।

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