राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन रायगढ़ के लिए गौरव ……मुखिया भूपेश बघेल के दिल में राम और रायगढ़वासी …..राम सिर्फ भाजपा के नहीं ….उस जमाने में भी कहीं न कहीं कोई किसी तरह की सोसल मीडिया रही होगी
रायगढ़ । शहर में रामायण महोत्सव को लेकर जहां आम जन मानस बड़ी बेसब्री से इंतजार में है और मुख्यमंत्री ने तो रायगढ़ को सदा ही तवज्जो दी है जो इन दिनों चर्चाओं के दौर में पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में रामायण प्रतियोगिता से संबंधित कार्यक्रम को रायगढ़ में कराना मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने सुनिश्चित कर जिले वासियों को गौरांवित किया है। इस पर गौर किया जाए तो यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ने की ओर है। खास बात ये है राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन कर भूपेश दाऊ की सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राम सिर्फ भाजपा के नहीं है, पहली बार छत्तीसगढ़ के संस्कार धानी रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का होना इसका साक्षात उदाहरण है।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह भी जरूरी हो गया था की इस तरह के धार्मिक आयोजन निश्चित रूप होना चाहिए था जो की सभ्यताओं के साथ संस्कार भी नई पीढ़ी के लिए दृश्यलोकन के साथ संदेश रहेगा जो देश के विभिन्न कोनों से पहुंचेंगे और अपने तरीके से प्रस्तुत करेंगे। जिसका शहरवासियों को बड़ी बेसब्री से इंतजार है।
कला एवं साहित्य जो कि रायगढ़ अंचल के कण कण में विद्यमान है जिसे लिखने में सरल जरूर लगता है पर शताब्दियों से जब रामायण जैसे ग्रंथ लोगों के सामने आए और तब से इसका वाचन वचन होता रहा है। यही वजह है की इस अंचल के गांव गांव में रामायण का पाठ पठन और रामलीला का मंचन आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी निरंतर चल रही है। जिसे हम देखते सुनते चले आ रहे हैं।
रायगढ़ जिले के आसपास के प्राचीन गुफाओं में शैल चित्र के तहत रामलीला और रामायण काल का लिखा होना अपने आप में महत्वपूर्ण है। सुखद अवसर तब आता है जब प्राचीनतम हिंदू वेदों पुराणों उप निषदों में लिखी प्रसंगों का आदि अनादिकाल से ये प्रसंग चट्टानों गुफाओं में मिलते हैं उस जमाने में भी कहीं न कहीं कोई किसी तरह की सोसल मीडिया रही होगी जो आपस में एक दूसरे को इस बात को पहुंचाने में कामयाब हुए कि रामायण काल में क्या हुआ था।
राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के आयोजन भले ही शासकीय हो पर वर्तमान में पार्टी और धर्म से उठकर सभी रायगढ़ सहित प्रदेशवासी इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दिनरात एक किए हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इतने बड़े आयोजन का प्रयोजन जिस रायगढ़ को मिला है उसके नागरिक निश्चित तौर पर दाऊ भूपेश बघेल के आभारी रहेंगे और साथ ही साथ संस्कारिक रूप से रायगढ़ में हमेशा यह देखा गया है की अतिथि देवो भव की परंपरा को निभाने के लिए हमेशा आतुर रहा है।