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आरटीआई कार्यकर्ता बजरंग ने किया बड़ा खुलासा ….. डीएमएफ से मिली करोड़ों रुपए का किया बंदरबाट ….आर्थिक अपराध ब्यूरो से लेकर इन तमाम जिम्मेदारों को भेजा …. नल कूप खनन विभाग से जुड़े कर्मचारी और एसडीओ पर लगाया गंभीर आरोप

 

रायगढ़ । जिले में गर्मी के मौसम में भीषण पेयजल की संकट से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नलकूप विभाग को खनिज न्यास मद से 12 करोड़ रुपए की भारी भरकम बजट प्रदान किया गया था। नल कूप खनन विभाग द्वारा प्राप्त भारी भरकम राशि का जमकर बंदरबाट कर घटिया सामग्री दोगुने तीगुने दाम पर नियम विरुद्ध क्रय कर उपयोग किया गया । इस मामले को आरटीआई कार्यकर्ता बजरंग अग्रवाल ने खुलासा करते हुए जांच और कार्रवाई की मांग की गई है।
जिले में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नल कूप खनन के लिए जिला खनिज न्यास मद से 12 करोड़ रुपए प्रदान किया गया था। जिसे ग्रीष्म काल में भीषण पेयजल की होने वाली संकट से निपटा जा सके किंतु जिला प्रशासन की मंशा पर नल कूप विभाग के अधिकारियों द्वारा सप्लायर और ठेकेदार के साथ मिली भगत कर जनता के पैसों को खुलकर दुरुपयोग कर अपनी जेब भरने का काम किया है।
आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा उपलब्ध कराई गई दस्तावेजों से स्पष्ट पता चलता है की किस तरह से नल विभाग के अधिकारी ठेकेदार और सप्लायर के साथ मिलकर नियम विरुद्ध जाकर काम किया। नियनुसार 20 लाख से ऊपर के कार्य के लिए बकायदा निविदा निकाली जाती है। नल कूप में लगाए जाने वाली सामग्री क्रय के लिए महज कोटेशन पर करोड़ों की सामग्री क्रय की गई। खास बात ये है सामग्री का क्रय दो से तीन गुना अधिक दर पर क्रय किया गया। केसिंग मोटर पंप बाजार मूल्य से तीन गुने दाम पर क्रय किया गया इतना ही नहीं क्रय की सामग्री घटिया स्तर की ली गई। नल कूप में लगाई गए उपकरण और सामग्री घटिया होने से ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगा। नल कूप विभाग के एसडीओ के द्वारा 12 करोड़ के नल कूप खनन का काम भी बाजार मूल्य और निर्धारित एस ओ आर से दोगुने दर पर खनन करवाया।

नल कूप खनन विभाग द्वारा तय राशि से 50 प्रतिशत से अधिक दर पर न सिर्फ खनन करवाया बल्कि दोगुने तीगुने दर पर घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता और आम आदमी के सेवक के नाम से जाने जाने वाले बजरंग अग्रवाल ने इस घोटाले का पर्दा फाश करते हुए इस मामले करते हुए प्रदेश के राज्यपाल से लेकर आर्थिक अपराध ब्यूरो, मुख्य मंत्री, सचिव और मंत्री जल संसाधन, महालेखाकार सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दस्तावेजों की कॉपी भेज कर कार्रवाई की मांग की गई है।

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