
वीजा पावर प्लांट का सीना छलनी कर कबाड़ में कर दिया तब्दील ….. सिर्फ छुटभईया कबाड़ियों पर हुई कार्रवाई …. ठीक उसी तरह जैसे सट्टा बाजार के सट्टा पट्टी लिखने वाले …. खाईवालों तक नहीं पहुंच पाती पुलिस के लंबे हाथ …. यहां भी कमीशन के खेल में चलते फिरते पुर्जों को कर दिया कबाड़ में तब्दील … बड़ी मछली सफेदपोश तक पहुंचने पुलिस नाकाम
वीजा औद्योगिक समूह जिसका किसी जमाने में पूरे भारत के कोयला बाजार में तूती बोलती थी इस समूह के द्वारा रायगढ़ जिले में कोयला ऊर्जा आधारित उद्योग की स्थापना की गई थी। कालांतर में जब इस उद्योग के चालू होने के लिय बस प्रयास हुआ तो इसको बंद करवाने के लिए परदे के पीछे से सफेदपोश लोगों ने इसको बंद करवाने के लिय अपना षड्यंत्र रच डाला और सफल भी हो गए।
अब इस उद्योग समूह के बंद पड़े प्लांट से लगातार स्क्रैप की चोरी की घटनाएं सामने आते रही और जिस भरे – पूरे इस उद्योग को लोगों ने इन बीते वर्षों में देखा उसमे सफेद पोश नेताओं की सरपरस्ती में कुछ नही बचा, क्योंकि डॉन के अंडर के कबाड़ चोर नुमा लोगों ने इसे छलनी – छलनी कर दिया और चलता प्लांट के मशीनों को चोरी करवाकर इस कबाड़ वाला प्लांट बना दिया।
अब रोज हो रहे इस प्लांट में चोरी के सिलसिले में बीते दिवस भी प्लांट से भारी मात्रा में स्क्रैप चोरी कर भाग रहे पांच व्यक्तियों को धर दबोचा गया लेकिन आज पर्यंत तक इसके पीछे छुपे सफेद पोश जिनको आज तक कमीशन मिलता रहा है के गिरेबान तक पुलिस नहीं पहुंच सकी। और चोरी कर स्क्रैप खपाने वालों तक पुलिस के लंबे हाथ आज तक नहीं पहुंच पाए हैं।जबकि बंद पड़े प्लांट ज्यादातर कबाड़ के तौर पर बिक चुका है और खरीददार पुलिस की पकड़ से कोसो दूर है।
बीते दिवस एक बार फिर से करीब 285 किलो का स्क्रैप पकड़ा है। वीजा पावर के बंद पड़े प्लांट से अब तक करोड़ों रुपए के स्क्रैप की चोरी हो चुकी होगी किंतु पुलिस के लंबे हाथ सफेद पोश तक नहीं पहुंच सकी है। जानकारों की माने तक बंद पड़े प्लांट से लगातार चोरी की घटनाएं सामने आते रही हैं और इसमें चोरी की वारदात बिना किसी के संरक्षण के संभव नहीं प्रतीत नहीं होता है। जानकारों कि माने लंबे समय से वीजा पावर से चोरी का स्क्रैप कहीं न कहीं आस पास में खपाया जाता होगा और जाहिर सी बात है कि इसमें किसी बड़े रसूखदार का संरक्षण भी प्राप्त होगा। लेकिन पुलिस आज तक इसके असल गुनहगार तक आज तक नहीं पहुंच पाई।बताया जाता है
ठीक उसी तरह जैसे सट्टा बाजार में सट्टा लिखने वाले तो पुलिस की गिरेबां में चढ़ जाते है किंतु सट्टा लिखवाने और खिलवाने वाले पुलिस की पहुंच से हमेशा ही दूर रहते हैं। ठीक उसी तरह वीजा पावर से अब तक करोड़ों के स्क्रैप चोरी हो गए लेकिन उसके असल गुनहगार तक पुलिस पहुंच नहीं सकी है।
अक्सर देखा जाता है की पुलिस मगरमच्छ तक पहुंचने के बजाय छोटी मोटी मछलियों पर करवाई कर अपनी पीठ थपथपाते नजर आती है। पुलिस से अकसर यह सवाल भी किया जाता है की उनके लंबे हाथ मुख्य आरोपियों तक कब पहुंचेगी या फिर छोटी छोटी मछलियां ही उनके निशाने पर रहेगी। कुछ ऐसा ही वीजा पावर को लेकर कहानी किस्से बाजार में चर्चा का विषय बना हुआ है लगभग पूरा प्लांट कबाड़ के तौर पर बिक चुका लेकिन आज तक पुलिस इसके असल गुनहगार यानी खरीददार और संरक्षक तक नहीं पहुंच सकी है।