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शहर के इस वरिष्ठ नागरिक ने बेकाबू होते पर्यावरण प्रदूषण को लेकर चीफ जस्टिस हाई कोर्ट को लिखा पत्र …कहा जनता की ओर से माननीय न्यायालय पत्र को जनहित याचिका के तौर पर करें स्वीकार 

 

रायगढ़।
जिले लगातार उद्योगों की स्थापना और पुराने उद्योगों के विस्तार की जा रही है जिले पहले ही अंधाधुंध तरीके से उद्योग स्थापना की वजह से पर्यावरण प्रदूषण अनियंत्रित हो चुका है। चारों तरफ फ्लाई ऐश और काले डस्ट से जिले वासी त्रस्त हैं। इसे लेकर बजरंग अग्रवाल द्वारा चीफ जस्टिस छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को पत्र लिखकर जनता की तरफ से इसे जनहित याचिका मानने और जांच करवा कर कार्रवाई की मांग की गई है।

आम जनता के सेवक पर्यावरण मित्र संस्था के बजरंग अग्रवाल के द्वारा चीफ जस्टिस छत्तीसगढ़ ‌ हाई कोर्ट को पत्र लिखकर जिले में भयावह होते पर्यावरण प्रदूषण और अनियंत्रित तरीके से उद्योगों के स्थापना और विस्तार से वातावरण को होने वाली क्षति और आम जनता पर प्रदूषण की मार को लेकर अवगत कराया है।
चीफ जस्टिस छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को पत्र लिखकर बताया है कि रायगढ़ जिले में कोयला आधारित लगभग 40 उद्योग है एवं बिजली आधारित 50 फर्नेस प्लांट है एवं 25 रोलिंग मिल स्थापित है। कोल वाशरी और कोयला खदान स्थित है एवं एवं छोटे बड़े करीब 25 ऐसे उद्योग एवं पावर प्लांट जिसमें 10,000 मेगावाट प्रतिदिन बिजली बनती है। रायगढ़ के 20 किलोमीटर के अंदर यह सभी उद्योग स्थापित है यहां पर लगभग 4 करोड़ टन कोयला प्रतिवर्ष जलता है एवं फ्लाई ऐश प्रति वर्ष एक करोड़ 53 लाख टन निकलती है। रायगढ़ शहर एवं शहर से 20 किलोमीटर के अंदर प्रतिदिन कोयले की बरसात होती है। लोग अपने घर में बिना जूता चप्पल नहीं घूम सकते। जूते चप्पल नहीं पहनने पर पैर के नीचे कोयल जैसे काले हो जाते हैं, और इस फ्लाई ऐश और काले डस्ट से विभिन्न तरह के कैंसर, दमा खांसी, चर्म रोग जैसे अनेक बीमारियां मनुष्य के शरीर में लग रही है। हमने सैकड़ो आवेदन पर्यावरण विभाग दिल्ली भोपाल रायपुर रायगढ़ जिला कलेक्टर को दिए फिर भी उद्योगों के ऊपर कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हो रही है। उद्योगों के द्वारा पर्यावरण के बने नियमों का 95% उल्लंघन उद्योगों में हो रहा है। घरघोड़ा तमनार विकासखंड में पर्यावरण विभाग के द्वारा केयरिंग कैपेसिटी की एक जांच भिलाई इंजीनियरिंग कॉलेज से हाल ही में करवाई गई थी उसमें स्पष्ट था की घरघोड़ा तमनार में अब और कोयला डंफर एवं ट्रक नहीं चल सकते। कोयला एवं रॉ मैटेरियल कन्वर्ट बेल्ट या रेलवे से ले जाना चाहिए। नई केयरिंग कैपेसिटी रिपोर्ट ने अधिकारियों से मिलकर यह स्पष्ट नहीं किया घरघोड़ा विकासखंड एवं तमनार विकासखंड में नए उद्योग की स्थापना एवं विस्तार से पर्यावरण प्रदूषण कारण नहीं हो सकता, इन दोनों विकासखंड में इतना अधिक पॉल्यूशन हो चुका है कि वहां काम करने वाले एवं उस मार्ग से होकर आने जाने वाले लोगों को यह लगता है की कहां कोयला की खदान में घुस गए हैं। रायगढ़ जिले में अभी स्पंज आयरन, फर्निश रोलिंग मिल और अनेक सामग्री लोहा से संबंधी आठ उद्योगो के विस्तार और नए प्लांट लग रहे हैं। जिनकी जनसुनवाई जनवरी-फरवरी और मार्च में करवाने का नोटिफिकेशन जारी हुआ है। इन उद्योगों में सभी उद्योगों को मिलाकर प्रतिदिन 50000 टन से ज्यादा लोहा बनेगा जिससे ट्रांसपोर्टिंग में 100 गाड़ियां कोयला ढोने के लिए लगेंगे। फिनिश मॉल एवं कच्चा माल को इधर से उधर ले जाने के लिए=लगभग 100 ट्रक अलग से लगेंगे। जिससे पॉल्यूशन पूरे देश में रायगढ़ प्रथम में आएगा।
सर हमारी संस्था पर्यावरण मित्र है हम जनित याचिका कोर्ट में वकील के मार्फत 25000 रु खर्च करने की कैपेसिटी हमारी संस्था के पास नहीं है। इसीलिए हम आपसे रायगढ़ की जनता की तरफ से माननीय न्यायालय से निवेदन करते हैं इस पत्र को जनहित याचिका मानकर इसमें निर्णय लेकर प्रशासन और शासन को निर्देशित करने की कृपा करें कि पर्यावरण नियमों के तहत उद्योगों की एक-एक बिंदु पर जांच कर हाई कोर्ट को अवगत कराकर पर्यावरण के नियमों के अनुसार जुर्माना एवं ताला बंदी की कार्रवाई जनहित में होनी चाहिए।

 

शमशाद अहमद/-

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