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औद्योगिक विस्तार के लिए मानव जीवन की बलि ….. सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स का विस्तार भी बंटेगा मौत …… अधिकारियों को भी नहीं कोई प्रवाह … उन्हें तो सिर्फ करनी है नौकरी … प्रबंधन प्रभावितों से इस तरह सच को झूठ बुलवाकर जन सुनवाई बनाते हैं सफल 

रायगढ़।

तमनार में सारडा एनर्जी अपने कोल वॉशरी की क्षमता को दो चरणों में बढ़ा रहा है। कोल वाशरी की वर्तमान क्षमता 0.96 MTPA से 5.2 एमटीपीए करने जा रही है। अब सवाल उठता है कोल वाशरी के 0.96 एमटीपीए से प्रभावित ग्रामीण मानव जीवन सहित जैव विविधता की बलि दी गई है और क्षमता का विस्तार जब 6 गुना से अधिक हो जायेगा तो स्थिति क्या होगी।

यह क्षेत्र और आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर देखा जाए तो स्पष्ट होता है की यह सब जीवन की बलि देकर विकास की राह बनाई जा रही है। एक जानकारी के अनुसार कोल वॉशरी के लिए प्रतिदिन 851 किलो लीटर पानी की आवश्यकता है। खास बात ये है क्षेत्र का भूजल स्तर साल दर साल नीचे गिरता जा रहा है यह भी अध्ययन आधारित सत्य है परंतु जिस तरह से लगातार जन सुनवाई कराई जा रही है इससे मानव जीवन और जैव विविधता की बलि देकर यह विकास विनाश की राह पर बढ़ चला है।

अधिकारियों को इससे कोई परवाह भी नहीं है क्योंकि वे नौकरी करने आए है और अपनी कागजी कारवाई कर चलते बनेंगे साल दो साल पांच साल इसके बाद आगे इसका दुष्परिणाम अनततः क्षेत्रवासियों को ही भुगतना है। सारडा के विस्तार से भी क्षेत्रवासियों को बलि चढ़ा कर वाशरी की विस्तार कराई जा रही है।

किसी भी कंपनी की जनसुनवाई महज खाना पूर्ति एक कागजी कारवाई मात्र बनकर रह गई है। जितने लोग विरोध में बोलते है उसका एक निश्चित प्रतिशत वहीं काम करने वाले प्रभावितों से समर्थन में बुलवाया जाता है यदि वे समर्थन में बोलने से इंकार करने की बात अगर कर दें तो उन्हें जो काम मिला है उससे भी हाथ धो बैठेंगे। इस तरह डर और भय के माहौल में ही जन सुनवाई सफलता पूर्वक संपन्न हो जाती है। यह डर और भय ऐसा हिता है जो दिखाई नहीं देता लेकिन परिवार की खातिर वह झूठ को भी हंसकर बोल आता है। क्योंकि सच कम या ज्यादा नहीं नही हो सकता और झूठ की कोई इंतिहा नहीं होती जैसा चाहो झूठ को तरोड़ा मरोड़ा जा सकता है किंतु जो सच है वह दिखाई दे कर भी नजरों से ओझल रहता है।

क्या तमनार के बजरमुडा, ढोलनारा, कुंजेमुरा, गारे सारसमाल आदि प्रभावित गांव की जीवन और जैव विविधता की बलि दिया जाना तय है या फिर प्रशासन निरस्त कर ग्रामीणों और जैव विविधता को अभयदान देंगे।

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