♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

विकलांग माँ और बुजुर्ग बाप को बेटों ने किया घर से बेदखल..15 साल बाद बाप ने ऐसे सिखाया सबक… अक्ल आयी ठिकाने..

 

माता-पिता अपनी कई संतानों को एक साथ रखकर उनका पालन-पोषण कर लेते हैं लेकिन कई बच्चे अपने माता पिता को नहीं रख पाते.  चिखली  में पांच कलयुगी बेटों ने अपने बुजुर्ग मां और 86 साल के पिता को झोपड़ी में रहने पर मजबूर कर दिया. उसके माता-पिता पिछले 15 सालों से झोपड़ी में गुजारा कर रहे थे. पिता का नाम हीरालाल साहू है और उन्होंने बताया कि खरीदी जमीन पर उनके पांच बेटे सुमरन लाल, हुकूम साहू, प्रमोद साहू, उमांशकर और कीर्तन साहू ने मिलकर एक मकान बना लिया है और विकलांग माँ और बुजुर्ग बाप को बेटों ने किया घर से बेदखल, इस केस के सात ही हीरालाल साहू ने ऐसा कदम उठाया जो हर माता-पिता और बच्चों के लिए सबक है.
86 साल के हीरालाल अपनी पत्नी के साथ पिछले 15 सालों से एक झोपड़ी में रह रहे हैं. उन्होंने कई बार अपने बेटों से मिन्नतें कीं कि वो उन्हें उस घर में रखें लेकिन बेटे नहीं माने. मानना तो दूर कोई भी बेटा बात करने को भी तैयार नहीं था और जैसे-तैसे हीरालाल ने हिम्मत जुटाकर अपने बेटों के खिलाफ चिखली थाने में अपने पांचों बेटों के साथ मामला दर्ज कराया है. चिखली पुलिस ने वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2007 की धारा 24 के अंतर्गत पांचों बेटों पर मामला दर्ज कर लिया और कार्यवाही शुरु कर दी है. हीरालाल पहले शासकीय प्रेस के कर्मचारी थे और उन्होंने नौकरी के दौरान ही अपने नाम जमीन ये सोचकर खरीदा कि भविष्य में बेटों और पोतों के साथ जिंदगी फिर से बिताएंगे. मगर इसी जमीन पर बेटों ने उनकी असहमति से मकान बनवा लिया और परिवार के बुजुर्ग माता-पिता को घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. कार्यवाही होने के बाद अब हीरालाल अपने जमीन पर बने मकान में जीवन बिता पाएंगे जबकि पिछले 15 साल से बेटों की वजह से झोपड़ी में रह रहे थे.
पुलिस में शिकायत के बाद उनके चारों बेटों को गिरफ्तार कर लिया गया है. हीरालाल का एक बेटा भोपाल में रहता है जिसके चलते पुलिस नहीं पहुंच पाई लेकिन बाकी बेटों को गिरफ्तार किया गया और इन सबमें अहम बात ये है कि बेटों को अब जमानत भी मिल गई है. जमानत के बाद चारों बेटे ने अपने माता को घर ले जाने की बात में हामी भरी है.
15 सालों से झोपड़ी में रहने वाले हीरालाल ने भी कई अच्छे काम किए हैं लेकिन उनका सबसे बड़ा परोपकार का काम तब हुआ जब उन्होंने केरल बाढ़ पीड़ितों को 70 हजार रुपये का दान किया था. जिला प्रशासन के माध्मय से उन्होंने अपने नौकरी के दौरान जुटाई रकम को बाढ़ पीड़ितो को दान दिया. माता-पिता इंसान की सबसे बड़ी प्रॉपर्टी होते हैं और उन्हें किसी भी हाल में खुश रखना चाहिए. इस खबर में आज के नौजवानों को कुछ सीखना चाहिए और इसके अलावा ऐसे बुजुर्गों से खुलकर सामने आने की अपील करते हुए उन दंपत्ति को ये नसीहत दी गई कि अगर आप भी अपने बच्चों के सताए हुए हैं तो उन्हें कानून के मुताबकि हक मिलेगा.

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close