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राजनीति के पवित्र औऱ ईमानदार शख्सियत कोरिया कुमार की 90 वीं जयंती पर विशेष…न जाओ, लौट आओ फिर इस जमाने मे..सदियों लगेगीं फिर से एक नया कुमार बनाने में…PAGE-11 की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि..

राजनीति के पवित्र औऱ ईमानदार शख्सियत कोरिया कुमार की 90 वीं जयंती पर विशेष…न जाओ, लौट आओ फिर इस जमाने मे..सदियों लगेगीं फिर से एक नया कुमार बनाने में…PAGE-11 की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि..

 अनूप बड़ेरिया

ईमानदारी और सादगी की मिशाल और कोरिया के भाग्य विधाता छत्तीसगढ़ के पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय रामचंद्र सिंहदेव का आज 91 वांजन्म दिवस है.. दुखद संयोग यह है कि आज वह हम सबके बीच में नहीं है इसलिए हम उनकी लंबी उम्र की कामना तो नहीं कर सकते हैं लेकिन इतना तो तय है कि वह आजीवन लोगों के दिलों में जीवंत है। छत्तीसगढ़ के प्रथम वित्त मंत्री स्वर्गीय डॉ. रामचंद्र  सिंहदेव जिन्हें कोरिया की जनता प्यार से कोरिया कुमार व कुमार साहब भी कहती है। कुमार साहब को कोरिया जिले का जन्मदाता भी कहा जाता है जिन्होंने जिले को बनाने सजाने और संवारने का बखूबी कार्य किया।

 कुमार याने ईमानदारी का पर्यायवाची। अविभाजित मध्यप्रदेश में 14 विभाग के एक साथ मंत्री, दिग्विजय सिंह सरकार में जलसंसाधन मंत्री व छग बनने के बाद वित्त मंत्री व आबकारी मिनिस्टर। मतलब काजल की कोठरी में रह कर भी बेदाग। यही ईमानदारी उनकी ऐसी शैली थी जो लोगो को उनका कायल बनाती थी। सीएम कोई भी रहा हो दिग्विजय सिंह, अजित जोगी या रमन सिंह..सब ने कुमार साहब को आदर सम्मान दिया।
जिस पद पर कुमार साहब रहे , उस पद की गरिमा अपने आप ही बढ़ गयी। आज कुमार साहब के नही रहने का गम सभी को सता रहा है। लेकिन उनके आदर्शों को शहर अपना रहा है। बीते विधानसभा चुनाव में उनकी भतीजी श्रीमती अंबिका सिंहदेव को क्षेत्र की जनता ने आशीर्वाद देकर स्वर्गीय डॉ रामचंद्र सिंह देव को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। आज उनकी समाधि स्थल पर विशेष कार्यक्रम भी रखा गया है।

 

एक वाक्या है कि छग के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी कोरिया उत्सव के दौरान जब वह कोरिया महल गए। वहाँ चाय में चीनी डालते वक्त चीनी के कुछ दाने ट्रे में गिर गए तो उस समय के छग वित्तमंत्री रहे सिंहदेव ने चीनी के दाने उठा कर प्याली में वापस डाल दिया था। तब जोगी को लगा की छग का खजाना सही हाथों में है। जनता फिक्र व उनकी भलाई में पैसों का दुरुपयोग रोकते हुए उन्होंने अपनी सरकार की कुर्बानी तक दे दी और लोगो की परवाह भी नही की।
आबकारी मिनिस्टर होने के बाद भी किसी शराब माफिया की हिम्मत नही थी कि वह कुमार से बात कर सके। कोरिया के लोग यूं ही नही कहते..राजा नही फकीर है, कोरिया की तकदीर है…।

महलों में रहने, मंत्री पद, योजना आयोग के उपाध्यक्ष सहित कई पदों की गरिमा बढ़ाने के बावजूद भी कुमार लालबत्ती या प्रोटोकॉल को दरकिनार ही किया। जल संसाधन मामलों के ऐसे विशेषज्ञ की हिंदुस्तान के कई राज्यो की पानी की समस्या को सुलझाया। आर्थिक मामलों के इतने जानकार की अनेक राज्य के मुख्यमंत्री कुमार से सलाह ले कर उसे अमलीजामा पहनाते।

कुमार लगातार कोरिया के लिए चिंतन व मनन करते रहते थे। पद में रहे या न रहे उन्होंने क्षेत्र की जनता के लिए अपना जीवन तक पूरा और पूरा ही समर्पित कर दिया। यहां तक कि उन्होंने विवाह कर अपना परिवार तक नही बसाया। इतना त्याग कोई महापुरुष ही कर सकता है। इनके लिए कहा जा सकता है ..

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है।
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।।

कमाल के फोटोग्राफर भी थे कुमार साहब रायपुर के बंगले में उनकी खींची अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री नरगिस दत्त व मधुबाला की तस्वीर आज भी शोभा बढ़ा रही है। इसकी जानकारी मिलने पर नरगिस की पुत्री व फ़िल्म अभिनेता संजय दत्त की बहन व पूर्व सांसद प्रिया दत्त कुमार से मिलने रायपुर उनके बंगले भी आयीं थी। कुमार की अंगुलियां कैमरे पर मानो नाचती सी थी। उनकी खींची हर तस्वीर सजीव सी लगती थी।

स्व. डॉ. रामचन्द्र सिंहदेव का राजनीतिक जीवन ऐसा की युवावस्था में ही 1967 में चुनाव लड़े व कीर्तिमान मतों से जीते। बैकुंठपुर विधानसभा सीट से 6 बार विधायक रहे। 1992 में कांग्रेस से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ कर जीते।1998 के चुनाव मे पूरे मध्यप्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीतने के मामले में वह दिग्विजयसिंह के बाद दूसरे स्थान पर रहे। उस वक्त कुमार ने लगभग 34 हजार के मतों से चुनाव जीता था। 2003 का चुनाव जीतने के बाद 2008 का चुनाव उन्होंने यह कह कर लड़ने से मना कर दिया कि अब चुनाव मे शराब, साड़ी, पैसा और कम्बल बंटने लगा। जो मैं कर नही सकता। राजनीति में इतना पवित्र औऱ ईमानदार शख्स मिलना मुश्किल ही नही बल्कि नामुनकिन है।

समूचे कोरिया वासियों के लिए जहां वह एक और वटवृक्ष थे वहीं दूसरी ओर अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के लिए एक अभिभावक के रूप में भी नजर आते थे जब भी वह किसी कार्यकर्ता को डांटते या झिड़कते थे तो लोग उनकी बातों का बुरा नहीं मानते थे।

कोरिया कुमार हिंदुस्तान की राजनीति का सशक्त हस्ताक्षर थे। उनको नमन है, वंदन है। कुमार के बारे मे कुछ भी सूरज को दीपक दिखाने जैसा है…PAGE-11 परिवार की ओर से स्वर्गीय कोरिया कुमार सादर वंदन…

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा..

आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा..

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