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एम्स के डॉक्टरों को सैल्यूट…जटिल सर्जरी कर  हाथ की अंगुली का पैर की अंगुली से ज्वाइंट बदला…दो माह की प्रक्रिया…

प्रो. आलोक अग्रवाल ने हाथ की अंगुली के ज्वाइंट को पैर की अंगुली से तैयार किया

दो महीने की प्रक्रिया के बाद अब रोगी का हाथ हो रहा है पूरी तरह से सामान्य

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर के अस्थि रोग विभाग ने एक जटिल सर्जरी करके एक युवक के हाथ की अंगुली को सामान्य बनाने में उल्लेखनीय सफलता हासिल कर ली है। इस जटिल सर्जरी प्रक्रिया में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हाथ की अंगुली के ज्वाइंट को सामान्य रूप से प्रतिस्थापित किया गया है जिसमें इसी रोगी के पैर की अंगुली की अस्थि का प्रयोग किया। अस्थि रोग के चिकित्सकों के लिए यह स्वयं में काफी जटिल प्रक्रिया मानी जाती है जिसमें एम्स के चिकित्सकों ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।
अस्थि रोग विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल के निर्देशन में इस पूरी प्रक्रिया में दो माह का समय लग गया। उरला की एक फैक्ट्री में कार्यरत 34 वर्षीय अजय सिंह (नाम बदला हुआ) का हाथ एक दिसंबर 2019 को भट्टी में आ जाने की वजह से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। इसमें एक अंगुली तो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके अंदर की अस्थियां भी मशीन में कुचल गई थी। अजय ने काफी चिकित्सकों से इसके बारे में परामर्श लिया परंतु सभी इसे ठीक करने में असमर्थता जता रहे थे। चिकित्सकों ने उससे अंगुली काटने तक की सलाह दे दी। हारकर उसने एम्स के अस्थि रोग विभाग में संपर्क किया। यहां उसे 16 जनवरी को एडमिट कर इलाज शुरू किया गया।
विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल ने रोगी की सारी रिपोर्ट जांचने के बाद फ्री फंक्शनल प्रोक्सीमल इंटर पेलेजिंयल ज्वाइंट टो टू हैंड फिंगर सर्जरी करने का फैसला लिया। चार मार्च को उसका ऑपरेशन किया गया जिसके बाद से वह काफी सामान्य हो चुका है। इस प्रक्रिया के तहत रोगी के पैर की अंगुली से उसके हाथ की अंगुली का ज्वाइंट तैयार किया गया। यह काफी जटिल प्रक्रिया थी जिसमें दो माह का समय लग गया।
सर्जरी के बाद अब रोगी का हाथ काफी हद तक सामान्य हो चुका है। ज्वाइंट भी कार्य कर रहा है। उसे हफ्ते में दो बार हाथ की एक्सरसाइज करने के लिए कहा गया है। चिकित्सकों को उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में वह अपनी अंगुली को पूर्व की भांति पूरी तरह से सामान्य रूप में प्रयोग कर सकेगा। पूर्व में इस प्रकार की सर्जरी के लिए आर्टिफिशियल ज्वाइंट प्रयोग किए जाते रहे हैं। एम्स के अस्थि रोग विभाग में पहली बार प्राकृतिक ज्वाइंट को प्रतिस्थापित किया गया है।
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि औद्योगिक इकाइयां होने की वजह से इस प्रकार के कई केस एम्स के अस्थि रोग विभाग में आते हैं। पहली सर्जरी करने के बाद अब चिकित्सकों का मनोबल काफी बढ़ गया है। अन्य रोगियों को भी इस प्रकार की चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा सकेगी। ऑपरेशन में डॉ. जितेंद्र मिश्रा, डॉ. संदीप कुमार यादव, डॉ. नीरज, डॉ. आलोक राय ने भी भाग लिया।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने प्रो. अग्रवाल और अस्थि रोग विभाग के चिकित्सकों को इस जटिल सर्जरी प्रक्रिया के लिए बधाई दी है और आशा व्यक्त की है कि इससे कम आय वर्ग के दुर्घटनाग्रस्त रोगियों को भविष्य में भी इस प्रकार की जटिल सर्जरी प्रक्रिया से ठीक किया जा सकेगा। (रोगी की पहचान छुपाने के लिए नाम बदल दिया गया है।)

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