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रायगढ़ कांग्रेस में कद्दावर नेता कौन …… भाजपा में ये दो चेहरे कहलाते हैं कद्दावर नेता ….. कांग्रेस के लिए साफ सुथरी छवि हो सकते थे रामबाड़ इलाज….एक निगम की राजनीति से बाहर निकलना चाहते तो दूसरे भी सेफ जोन से बाहर नहीं आना चाहते … डॉ राजू बनाम जयंत ……. प्रकाश नहीं तो कौन पर छा जाती है खामोशी ….

 

रायगढ़ । रायगढ़ में कद्दावर कांग्रेसी नेताओं की कमी यह अब लोग भी स्वीकारने लगे हैं। कांग्रेस में कद्दावर नेताओं का अभाव है भले ही कई कांग्रेसी आपने आप को कद्दावर नेता मानते हों किंतु एक आम जनमानस में यह धारणा बन चुकी है की कांग्रेस में कदावर नेता अब कोई नहीं है। भाजपा में दो ऐसे नाम है जिनके आगे कद्दावर भाजपा नेता अवश्य लगता है और लोग उन्हें भाजपा के कद्दावर नेता के रूप में मनाते और स्वीकारते हैं।

रायगढ़ में डॉ राजू अग्रवाल को कुछ वर्षो तक लोग उन्हें एक बेहतरीन चिकित्सक के साथ एक कद्दावर कांग्रेसी नेता मानने लगी थी किंतु पिछले विधान सभा चुनाव में लगभग अंतिम समय में उनका नाम प्रत्याशी से कट जाने के बाद से वे लगभग पूरी तरह से राजनीत से दूरी बना लिया और पूरी तरह से सेफ जोन में चले गए। डॉ राजू अग्रवाल यदि पार्टी से जुड़े रहते तो राजनीत में आज भी आम जन मानस सर आंखों पर बिठाए रखती और एक कद्दावर कांग्रेसी नेता का उनके आगे तमगा लगा होता। वही दूसरी ओर निगम की राजनीत में सक्रिय सभापति जयंत ठेठवार भले ही निगम की राजनीत के कद्दावर नेता माने जाते हों लेकिन जन चुनावी समीकरण पर बात चलती है तो कांग्रेस में कद्दावर नेताओं में उनकी गिनती लोग नहीं करते हैं।

कांग्रेस में आज भी जयंत ठेठवार को कांग्रेस का संभावित प्रत्याशी माना जाता है लेकिन वे सेफ जोन से बाहर आने से कतराते हैं। भले ही वे कांग्रेस के एक चर्चित चेहरों में हो लेकिन निकाय की राजनीत के चेहरे बन कर रह गए हैं। डॉ राजू अग्रवाल पिछली बार टिकट नहीं मिलने से इस कदर छुब्ध हुए की इसके बाद दुबारा कभी कांग्रेस कार्यालय और न ही कांग्रेस के किसी कार्यक्रम की ओर रुख किया। इस तरह से वे न तो सक्रिय राजनीत में भी नहीं हैं और लोग उन्हें एक अच्छे साफ सुथरी वाली छवि के नेता के रूप में गिने जाने वाली गिनती को भूलने लगे हैं। तो फिर रायगढ़ कांग्रेस की धुरी में दिग्गज कद्दावर कांग्रेसी नेता कौन …? यदि ये दो नेता सेफ जोन से बाहर रहकर जनता के बीच रहते तो रायगढ़ कांग्रेस की राजनीति इन्ही दो नेताओं के बीच धुरी बनकर घूमती और ये कद्दावर कांग्रेसी नेता के तौर पर सर्वमान्य होते।हालांकि dr राजू अग्रवाल के राजनैतिक समर्थकों की संख्या आज भी बहुतायत में है जो चाहते हैं की डॉ राजु अग्रवाल सक्रिय राजनीत में पदार्पण करें ताकि वे सब उनके लिए खुल कर काम कर सकें।

यूं तो कांग्रेस में वासुदेव यादव अनिल अग्रवाल (चीकू) सहित और भी कांग्रेस के चेहरे है जो संभावित प्रत्याशी माने जाते हैं लेकिन क्या कांग्रेस की ओर से उन्हें प्रत्याशी बनाया जा सकता है इसके सवाल पर ये चर्चा भी शुरू हो जाती है कि क्या कांग्रेस के कद्दावर नेता में आते हैं। वासुदेव यादव जिला पंचायत चुनाव में हार के बाद से गुम से हो गए थे भले ही अब वे पुनः सक्रिय हो गए हैं और टिकट की दौड़ में क्या शामिल है। वही जिला कांग्रेस में अनिल अग्रवाल की कार्यशैली कांग्रेस के ही नेताओं को हजम नहीं होती है। इसके बावजूद इनकी अपनी अलग पहचान है इनकी अपनी मजबूत पकड़ है। अनिल चीकू की राजनीत भले ही लोगों को हजम नहीं होती है परंतु ये एक मजबूत पकड़ वाले नेता जरूर है लेकिन कद्दावर नेता के रूप में नहीं।

 

कद्दावर नेता ऐसा जो सर्वमान्य हो जैसे भाजपा में विजय अग्रवाल और गुरुपाल भल्ला हैं। कांग्रेस में ऐसा कोई नेता नहीं जो कद्दावर कहलाए।

प्रकाश नायक को टिकट नहीं तो फिर टिकट किसे मिलना चाहिए के सवाल पर लोगों में सांप सूंघ जाता है मानों जुबान में आवाज ही न हो। वर्तमान राजनीत परिवेश में यदि जयंत ठेठवार को संभावित प्रत्याशी के तौर पर देखा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए क्योंकि एक कहावत भी है नहीं मामा में काड़ा मामा।

शहर की राजनीत में शहरियों द्वारा स्वीकार किया जाने वाले दो लोग ऐसे हैं जिन्हें आम जनता सर आंखों पर बिठा सकती है लेकिन एक पूरी तरह से सेफ जोन में चले गए हैं दूसरे राजनीत में है पर उन्हें थोड़ा बाहर निकलने की जरूरत है जो समय की मांग है।

चर्चा में डॉ राजू अग्रवाल का भी नाम लिया जाता है लेकिन उनके अब सक्रिय राजनीत में न रहने की वजह से इसकी संभावना भी कम ही आंकी जा रही है। चर्चाओं की माने तो डॉ राजू अग्रवाल यदि टिकट न मिलने के बाद भी राजनीत से दूरी न बनाते तो आज वे कांग्रेस के साफ सुथरी छवि वाले एक कद्दावर नेता के रूप में स्थापित होते और आज टिकट की दौड़ में प्रत्याशियों की पंक्ति में सबसे आगे होते। अब सवाल यह है की क्या डॉ राजू अग्रवाल सक्रिय रूप से राजनीत के क्रियाकलाप में शामिल होंगे और जन मानस में जो उनकी छवि एक कांग्रेसी नेता की बनी हुई थी उसे वापस लाएंगे या सेफ जोन में रहकर टिकट की उम्मीद में रहेंगे।
किंतु रायगढ़ की राजनीत में कांग्रेस में एक मात्र नेता जयंत ठेठवार ही राजनीत की उस दूरी पर घूम रही है जिसे एक संभावित प्रत्याशी माना जा रहा हैं। अगर जयंत ठेठवार भी सेफ जोन से बाहर नहीं तो फिर कौन …?

क्रमश :

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