
“करणमयवाधिका रस्ते माँ फलेशू कदाचंम्”” इस लाइन की महत्ता को चरितार्थ करते भूपेश बघेल ….. राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन कराकर फिर दिया मात ….. न आरोप न प्रत्यारोप सीधा जवाब ..राम के नाम पर नहीं चलेगी राजनीति ….ये छत्तीसगढ़ है और राम हमर भाँचा….विदेशी कलाकारों ने भी कहा धन्य हुए इस धरती पर आकर …
रायगढ़ ।
करणमयवाधिका रस्ते माँ फलेशू कदाचंम्”” इस लाइन की महत्ता को चरितार्थ करते भूपेश बघेल पर फिट बैठती है। जिस तरह से देश भर में भाजपा यानि राम कांग्रेस यानि हिंदू विरोधी पार्टी का बताने काम किया । भूपेश बघेल ने इस अवधारणा को समझा और पूरे राम और भगवा को ही हाइजेक कर पूरे शहर को राममयी बना दिया जिसकी गूंज जिले में ही नहीं पूरे प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी है। जिस तीव्र गति से भूपेश बघेल ने जनता की आकांक्षाओं और जरूरतों को पूर्ण करने का कर्म किया और इस कर्म को पूरा करने के दौरान यह नहीं सोचा कि इसका फल किसको मिलेगा और राजनीतिक फितरतें झंडे और विरोध की ओर भले ही रही हो पर हर मुद्दे पर दाऊ ने छत्तीसगढ़ में अपने चेहरे को जन जन के दिलों में बसाने का काम किया है।
सत्ता में आते ही जिस तिव्रगति से राम वन गमन पथ पर काम शुरू करवाया। यह उनकी दूरदर्शी सोच ही थी जनता की इस आकांक्षा को पूरा करने अपने कर्म को आगे बढ़ाया । हमर भांचा राम जो कि छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में चलकर राम से मर्यादा पुरुष कहलाए। और 14 वर्ष वनवास के सर्वाधिक 10 वर्ष ननिहाल छत्तीसगढ़ में बिताए। इस बात को पूरे विश्व में प्रदर्शित किया कि छत्तीसगढ़ अपने भांचा के चरण स्पर्श क्यों करते हैं ..? और जय जोहार से स्वागत अभिवादन क्यों करते हैं…?
इसी क्रम में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव को रायगढ़ में करवाकर इस बात को स्थापित किया जिसका पूर्ववर्ती छत्तीसगढ़ की सरकारें छत्तीसगढ़ की परंपराओं सभ्यताओं को दर किनार सा कर दिया था। आम तौर पर देखा जाए तो जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ी जनता दाऊ के इस कार्य से प्रसन्न और अभिभूत है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम जिनकी माता कौशल्या जी का मईका राजिम रहा पर पूरे छत्तीसगढ़ियों ने माना की “हमर भांचा राम”। आज यह पूरे देश भर में जाना और माना जाने लगा है।
रायगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय रामायण महोत्सव की जिसकी धूम अब पूरे प्रदेश ही नहीं देश में मची हुई है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में ही राष्ट्रीय रामायण महोत्सव क्यों आयोजित किया जा रहा है. रायगढ़ ही क्यों आखिर इसके पीछे की वजह क्या है ….आदि आदि कुछ सवाल भी उठ रहे हैं …लेकिन आम आदमी को इससे सरोकार नहीं वे तो राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का संस्कार धानी रायगढ़ में होने स्वयं को गौरांवित महसूस कर रहे हैं। यह बात अलग है कि महोत्सव के दौरान पुलिस का रवईया कई जगहों पर आम जन मानस के प्रति अच्छा छाप नहीं छोड़ पाया है।
रायगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के आयोजन से समूचा शहर राममई हो गया है उससे इंकार नहीं किया जा सकता है। पहली बार है की कांग्रेस ने भाजपा से पूरा भगवा ही हाइजेक कर लिया है । भूपेश बघेल का एक टर्निंग प्वाइंट पूरे सिस्टम को हिला कर रख दिया है। राजनीति के सियासत दां भूपेश बघेल की रणनीति के कायल हो गए हैं। राजनीतिक गलियारों में भूपेश बघेल को अब राज्य नहीं बल्कि राष्ट्रीय नेता के तौर पर देखने लगे है यह भी कहने लगे हैं कि वे ही एक ऐसी नेता हैं जो भाजपा की पूरी रणनीति को हाइजेक कर उसे वास्तविकता की धरातल पर लाने की कूवत रखता है। रायगढ़ में आयोजित रामायण महोत्सव इसका साक्षात उदारहण है । राष्ट्रीय रामायण महोत्सव और रामवन गमन पथ की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है और इसका पूरा श्रेय भूपेश बघेल यानि दाऊ अर्थात कका को जाता है।