भारत की रक्षा जरूरतें पूरी करने को तैयार, उनकी रूस के साथ डील से सहयोग सीमित होगा: अमेरिका
- विदेश विभाग की अफसर एलिस वेल्स बोलीं- भारत को तय करना होगा कि उसे रूस पर निर्भर रहना है या फिर अमेरिका से दोस्ती बढ़ानी है
- ‘पिछले 10 सालों में अमेरिका-भारत के बीच 18 अरब डॉलर (1.25 लाख करोड़ रुपए) के रक्षा समझौते हुए’
- वॉशिंगटन. अमेरिका के विदेश मंत्रालय की अधिकारी एलिस जी वेल्स ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश भारत की रक्षा जरूरतें पूरा करने को तैयार है, लेकिन रूसी एस-400 सिस्टम इसमें बाधा बन रहा है। भारत-रूस डील से अमेरिका का सहयोग सीमित हो जाएगा।
- एशिया से जुड़ी विदेश मामलों की उपसमिति को उन्होंने बताया कि पिछले दस सालों में अमेरिका-भारत के बीच 18 अरब डॉलर (1.25 लाख करोड़ रुपए) के रक्षा समझौते हुए हैं, जबकि इससे पहले दोनों देशों के बीच रक्षा मामलों में कारोबार लगभग शून्य था। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने हाल ही में धमकी देते हुए कहा था कि भारत का यह फैसला (एस-400 डील) अमेरिका और भारत के रिश्तों पर गंभीर असर डालेगा।
- ‘भारत को तय करनी होगी प्राथमिकता’
- एलिस का कहना है कि अभी भी भारत के 70% मिल्ट्री हार्डवेयर रूसी हैं। ऐसे में भारत को तय करना होगा कि उसे केवल रूस पर निर्भर रहना है या फिर अमेरिका से दोस्ती बढ़ानी है। भारत को अब अपनी प्राथमिकता तय करनी होगी।
एलिस उपसमिति को बता रही थीं कि अमेरिका-भारत के बीच रक्षा मामलों में संबंध किस तरह से बेहतर किए जा सकते हैं। उनका कहना था कि हाल के वर्षों में अमेरिका भारत के साथ किसी अन्य देश की अपेक्षा ज्यादा युद्धाभ्यास कर रहा है। 10 साल पहले अमेरिका भारत को हथियार बेचने में ज्यादा रुचि नहीं लेता था, लेकिन अब इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। भारत से रिश्ते सुधारने के मामले में अमेरिका अब हर मुमकिन पहल कर रहा है।
एलिस के मुताबिक- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोजगार सृजन को गंभीरता से ले रहे हैं। इसमें अमेरिका उनकी मदद कर सकता है, क्योंकि एफडीआई (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट) के जरिए ही बेरोजगारी की समस्या से निपटा जा सकता है। भारत के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है। भारत का 20% सामान अमेरिका में आता है। अमेरिका की कंपनियों के लिए भी भारत एक समृद्ध बाजार है। भारत से संबंध बेहतर बनाने में कारोबार ही मददगार बन सकता है।
पिछले साल हुआ था एस-400 मिसाइल सिस्टम समझौता
इस मिसाइल सिस्टम का पूरा नाम एस-400 ट्रायम्फ है। इसे नाटो देशों में एसए-21 ग्रोलर के नाम से पुकारा जाता है। यह जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है। इसे रूस ने बनाया है। पिछले साल अक्टूबर में भारत और रूस के बीच डील हुई थी। इसकी मारक क्षमता अचूक है। यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है। 400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर यह हमला कर सकता है। यह एक साथ 100 हवाई खतरों को भांप सकता है।