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कोरिया कांग्रेस की आन, बान और शान…कांग्रेस के कोहिनूर योगेश शुक्ला के जन्मदिन पर विशेष…✍️अनूप बड़ेरिया PAGE-11

योगेश शुक्ला यह नाम जहन में आते ही कांग्रेस का ध्यान अपने आप ही आ जाता है। या कांग्रेस जहन में आते ही योगेश ध्यान में आते हैं…इससे साफ है कि दोनों ही एक दूसरे के पर्यायवाची हैं…

मेहनत ही मेरी पहचान है.. कहने वाले कांग्रेस के पीसीसी सचिव योगेश शुक्ला ने अपनी लाख रुपए प्रति माह की सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद फिर पीछे पलट कर नहीं देखा और अपना सर्वत्र कांग्रेस पार्टी के लिए समर्पित कर दिया। विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में मे भी टाइगर ऑफ कोरिया कांग्रेस कहे जाने वाले योगेश ने पार्टी की पतवार इतनी मजबूत हाथों से थामे में रखी की बड़ी सी बड़ी लहर भी कांग्रेस की नाव को छू भी नहीं सकी। पिछले के 2 पंचवर्षीय  से बैकुंठपुर का विधायक ना होने के बावजूद यहां के कांग्रेसियों को योगेश शुक्ला के होने की वजह से तनिक भी नहीं लगा कि वह विपक्ष में है। किसी भी छोटे-बड़े कांग्रेसियों का काम विपक्ष में होने के बावजूद कभी भी नहीं रुकता था। कांग्रेस के लिए लगातार अपनी आवाज बुलन्द तथा संघर्ष करने वाले योगेश शुक्ला ने समुचित छत्तीसगढ़ में कोरिया कांग्रेस को एक अलग ही पहचान दिला दी है। उनकी संघर्ष व कांग्रेस के लिए समर्पण की गाथा को इन शब्दों में बयां किया जा सकता है कि..
सुना है आज समंदर को खुद पे गुमान आया है,
उधर ही ले चलो कश्ती जहाँ तूफान आया है।
पीसीसी सचिव योगेश शुक्ला के दादा व रनई जमींदार स्वर्गीय हनुमान प्रसाद शुक्ला कांग्रेस के लगातार 30 वर्षों तक बैकुंठपुर ब्लॉक के अध्यक्ष रहे हैं । जो अपने आप में एक कीर्तिमान रहा है योगेश शुक्ला ने अपने दादा के सानिध्य में ही राजनीति का ककहरा सीखा है। इसके बाद क्षेत्र में कांग्रेस को कमजोर पड़ता देख अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर योगेश राजनीति में कूद पड़े और ब्लॉक अध्यक्ष के रूप में इन्होंने बैकुंठपुर की राजनीति में कांग्रेस को एक नई गति दी। कुशल नेतृत्व सबको साथ लेकर चलने की क्षमता एवं अपने शानदार व्यवहार से योगेश ने ब्लॉक अध्यक्ष रहते हैं सैकड़ों की तादात में अपने समर्थकों की फौज खड़ा कर ली। आज कोरिया कांग्रेस में किसी भी लीडर के पास इतनी बड़ी तादाद में समर्थक नहीं होंगे।
योगेश शुक्ला काफी ओजस्वी वक्ता भी हैं जब वह आम सभा में माइक संभालते हैं ऐसे बरसते हैं मानो कोई शेर गरज रहा हो। शायद यही वजह है कि उनके समर्थक उन्हें टाइगर ऑफ कोरिया कांग्रेस भी कहते हैं। शुक्ला जब भाषण देते हैं तो लोग दिल थाम कर केवल उनकी बातें सुनते हैं उनकी गर्जना सुनकर विपक्षी भी सहम जाते हैं। आम जनता तो केवल उनका भाषण सुनने के लिए ही कांग्रेस की आम सभा में जाती है ।उनके ओजस्वी वक्ता होने को इस रुप में कह सकते हैं कि..
खुशबू बनकर  गुलों  से  उड़ा  करते  हैं..  
धुआं  बनकर  पर्वतों  से  उड़ा  करते हैं…ये  कैंचियाँ  खाक  हमें  उड़ने  से  रोकेगी…
हम  परों  से  नहीं  हौसलों  से  उड़ा  करते  हैं….
बूथ मैनेजमेंट के मामले में योगेश शुक्ला से बेहतर कोई नेता हो ही नहीं सकता । आजादी के बाद से योगेश शुक्ला के गृह क्षेत्र रनई में जो भी जनपद पंचायत, जिला पंचायत ,विधानसभा या लोकसभा के चुनाव हुए हैं, और हाल ही में पंचायती चुनाव हो उसमें कांग्रेस को 90 फ़ीसदी से अधिक मत प्राप्त हुए हैं। अब इससे बेहतर बूथ मैनेजमेंट और क्या हो सकता है।
यही नहीं उनके गृह क्षेत्र के ग्राम पंचायत रनई में आजादी के बाद से आज तक पंचायत चुनाव की नौबत नहीं आई । शुक्ला परिवार की लोकप्रियता व लोगो की मदद करने की वजह से लोग इतनी बात मानते हैं कि यहां हमेशा निर्विरोध सरपंच ही चुना जाता है। आजादी के बाद से से रनई ग्राम पंचायत में सरपंच का चुनाव नहीं हुआ है। शुक्ला परिवार शुरू से ही कट्टर कांग्रेसी परिवार रहा है। उनके दादा स्वर्गीय हनुमान प्रसाद शुक्ल ने भी अपने कार्यकाल को चिर स्मृति योग्य बनाया था।
शुक्ला अपने कार्यकर्ताओं की कमजोरी को ताकत में तब्दील करते हैं और संभावित हार को जीत में तब्दील करने की योग्यता रखते है जो इनकी लीडरशिप को सार्थक बनाती है। आपको बता दें कि चरचा- शिवपुर क्षेत्र पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े व भाजपा का गढ़ माना जाता था। जहां विधानसभा चुनाव हो या नगरी निकाय चुनाव कांग्रेस कभी भी नहीं जीती रही है। लेकिन पिछले नगरीय निकाय चुनाव में जब कांग्रेस पार्टी ने शिवपुर- चरचा नगरपालिका की कमान योगेश शुक्ला को दी, तो उन्होंने संभावित मानी जाने वाली हार को अपनी शानदार रणनीति, बूथ मैनेजमेंट और अपनी टीम की बदौलत जीत में तब्दील करते हुए कांग्रेस के अजीत लकड़ा को अच्छे मतों से विजय दिलाने में अपना भरपूर योगदान दिया था। यही नहीं जिला पंचायत का चुनाव हो या जनपद पंचायत का कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत में उनका शानदार योगदान रहा है यही नेतृत्व क्षमता उन्हें कामयाब लीडर बनाती है। उनकी क्षमता को इन शब्दों में बयां किया जा सकता है कि…

सुना है आज समंदर को खुद पे गुमान आया है,
उधर ही ले चलो कश्ती जहाँ तूफान आया है।

यह भी सर्वविदित है पिछले 3 पंचवर्षीय से योगेश शुक्ला लगातार बैकुंठपुर सीट से दावेदार रहे हैं। सरगुजा महाराजा व वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन के सबसे कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव और विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत का काफी करीबी होने के बावजूद पार्टी ने उन्हें एक बार भी मौका नहीं दिया, बावजूद इसके वह कांग्रेस प्रत्याशी के लिए समर्पित रूप से काम करते रहें । योगेश शुक्ला के लिए यह भी सर्व प्रचारित है कि वह केवल और केवल कांग्रेस पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह पंजा ही देखते हैं। व्यक्ति कोई भी हो , प्रत्याशी कोई भी हो वह केवल पार्टी के लिए काम करते हैं। हर विपरीत परिस्थितियों में पार्टी के साथ खड़े रहे हैं और पार्टी को मजबूत ही किया है। उनके लिए कहा जा सकता है कि..

कमजोर और बुजदिलो के हाथ में राज नहीं होते..जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत दोस्तों…उनके सिर पर ताज नहीं होते।।

हर मोर्चे पर विरोधियों से लोहा लेने वाले योगेश शुक्ला ने लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती ज्योत्सना महन्त के लिए दिन-रात एक कर अपनी पूरी टीम के साथ तन,मन और धन के साथ मेहनत की थी। कोरिया कांग्रेस में इस समय योगेश शुक्ला का जो कद है उसे देखते हुए यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद जब भी छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा निगम-मंडल अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। उसमें योगेश शुक्ला का नाम जरूर होगा और इतने सालों की मेहनत का इनाम उन्हें लाल बत्ती के रूप में मिलेगा। हालांकि इतनी मेहनत करने के बाद भी योगेश शुक्ला ने कभी भी अपने लिए पार्टी या पार्टी आलाकमान से कुछ भी नहीं मांगा है। इस मामले में अक्सर खामोश रहने वाले योगेश शुक्ला के लिए कहा जा सकता है कि..

परिंदों को मिलेगी मंजिल एक दिन..यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं..और वही लोग रहते हैं खामोश अक्सर..जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं।।

वाकई बैकुंठपुर में आज कांग्रेस जिस मजबूत और कामयाब स्थिति में खड़ी है। इससे पीछे योगेश शुक्ला और उनकी टीम के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष के साथ कांग्रेस की नींव योगेश ने इतनी गहरी कर दी है की अब बड़ा से बड़ा तूफ़ान भी अब कांग्रेस को हिला नहीं सकता है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस से पीसीसी सचिव योगेश शुक्ला के जन्मदिवस पर PAGE-11 परिवार उनके उज्जवल भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य की कामना इन पंक्तियों के साथ करता है…

मेरे हौसलों में अभी जान बाकी है
ये तो दौड़ भर थी अभी उड़ान बाकी है,
मेरी सादगी से मेरे बारे में अंदाजा मत लगाना
ये तो शुरुआत भर थी अंजाम अभी बाकी है

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