
कोरिया कांग्रेस की आन, बान और शान…कांग्रेस के कोहिनूर योगेश शुक्ला के जन्मदिन पर विशेष…✍️अनूप बड़ेरिया PAGE-11
योगेश शुक्ला यह नाम जहन में आते ही कांग्रेस का ध्यान अपने आप ही आ जाता है। या कांग्रेस जहन में आते ही योगेश ध्यान में आते हैं…इससे साफ है कि दोनों ही एक दूसरे के पर्यायवाची हैं…

उधर ही ले चलो कश्ती जहाँ तूफान आया है।
शुक्ला अपने कार्यकर्ताओं की कमजोरी को ताकत में तब्दील करते हैं और संभावित हार को जीत में तब्दील करने की योग्यता रखते है जो इनकी लीडरशिप को सार्थक बनाती है। आपको बता दें कि चरचा- शिवपुर क्षेत्र पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े व भाजपा का गढ़ माना जाता था। जहां विधानसभा चुनाव हो या नगरी निकाय चुनाव कांग्रेस कभी भी नहीं जीती रही है। लेकिन पिछले नगरीय निकाय चुनाव में जब कांग्रेस पार्टी ने शिवपुर- चरचा नगरपालिका की कमान योगेश शुक्ला को दी, तो उन्होंने संभावित मानी जाने वाली हार को अपनी शानदार रणनीति, बूथ मैनेजमेंट और अपनी टीम की बदौलत जीत में तब्दील करते हुए कांग्रेस के अजीत लकड़ा को अच्छे मतों से विजय दिलाने में अपना भरपूर योगदान दिया था। यही नहीं जिला पंचायत का चुनाव हो या जनपद पंचायत का कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत में उनका शानदार योगदान रहा है यही नेतृत्व क्षमता उन्हें कामयाब लीडर बनाती है। उनकी क्षमता को इन शब्दों में बयां किया जा सकता है कि…सुना है आज समंदर को खुद पे गुमान आया है,
उधर ही ले चलो कश्ती जहाँ तूफान आया है।
यह भी सर्वविदित है पिछले 3 पंचवर्षीय से योगेश शुक्ला लगातार बैकुंठपुर सीट से दावेदार रहे हैं। सरगुजा महाराजा व वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन के सबसे कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव और विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत का काफी करीबी होने के बावजूद पार्टी ने उन्हें एक बार भी मौका नहीं दिया, बावजूद इसके वह कांग्रेस प्रत्याशी के लिए समर्पित रूप से काम करते रहें । योगेश शुक्ला के लिए यह भी सर्व प्रचारित है कि वह केवल और केवल कांग्रेस पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह पंजा ही देखते हैं। व्यक्ति कोई भी हो , प्रत्याशी कोई भी हो वह केवल पार्टी के लिए काम करते हैं। हर विपरीत परिस्थितियों में पार्टी के साथ खड़े रहे हैं और पार्टी को मजबूत ही किया है। उनके लिए कहा जा सकता है कि..
कमजोर और बुजदिलो के हाथ में राज नहीं होते..जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत दोस्तों…उनके सिर पर ताज नहीं होते।।
हर मोर्चे पर विरोधियों से लोहा लेने वाले योगेश शुक्ला ने लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती ज्योत्सना महन्त के लिए दिन-रात एक कर अपनी पूरी टीम के साथ तन,मन और धन के साथ मेहनत की थी। कोरिया कांग्रेस में इस समय योगेश शुक्ला का जो कद है उसे देखते हुए यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद जब भी छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा निगम-मंडल अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। उसमें योगेश शुक्ला का नाम जरूर होगा और इतने सालों की मेहनत का इनाम उन्हें लाल बत्ती के रूप में मिलेगा। हालांकि इतनी मेहनत करने के बाद भी योगेश शुक्ला ने कभी भी अपने लिए पार्टी या पार्टी आलाकमान से कुछ भी नहीं मांगा है। इस मामले में अक्सर खामोश रहने वाले योगेश शुक्ला के लिए कहा जा सकता है कि..
परिंदों को मिलेगी मंजिल एक दिन..यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं..और वही लोग रहते हैं खामोश अक्सर..जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं।।
वाकई बैकुंठपुर में आज कांग्रेस जिस मजबूत और कामयाब स्थिति में खड़ी है। इससे पीछे योगेश शुक्ला और उनकी टीम के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष के साथ कांग्रेस की नींव योगेश ने इतनी गहरी कर दी है की अब बड़ा से बड़ा तूफ़ान भी अब कांग्रेस को हिला नहीं सकता है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस से पीसीसी सचिव योगेश शुक्ला के जन्मदिवस पर PAGE-11 परिवार उनके उज्जवल भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य की कामना इन पंक्तियों के साथ करता है…




