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झीरम घाटी:: कांग्रेस नेताओं के गम्भीर आरोप…भाजपा नेताओं के हैं माओवादियों से संबंध..भाजपा नेता क्यों बचना चाहते हैं झीरम के षड़यंत्र की जांच से…

 
कोरिया कांग्रेस कमेटी ने एक प्रेस वार्ता आयोजित कर कहा कि  आखिर क्यों बचना चाहते हैं भाजपा नेता झीरम के षडयंत्र की जांच से…प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष नजीर अजहर, विधायक श्रीमती अम्बिका सिंहदेव, पीसीसी सचिव योगेश शुक्ला ने कहा कि  इतिहास बताता है कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के माओवादियों या नक्सलियों से गाढ़े संबंध रहे हैं। कांग्रेस के नेताओ ने यह भी कहा कि

-भाजपा के लोग  लगातार माओवादी के सम्पर्क में रहे हैं और उनके साथ मिलकर राजनीतिक लाभ उठाते रहे हैं.
-हाल ही में दंतेवाड़ा में भाजपा के ज़़िला उपाध्यक्ष जगत पुजारी को पुलिस ने गिरफ़्तार किया हैं.उन पर आरोप है कि उन्होंने नक्सलियों को ट्रैक्टर दिलवाया और अन्य मदद की.
-वर्ष 2013 में दंतेवाड़ा में ही भाजपा के एक और उपाध्यक्ष शिव दयाल सिंह तोमर की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी।
– मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बाद में जब माओवादी नेता पोडियाम लिंगा गिरफ़्तार हुआ तो पता चला कि तोमर ने नक्सलियों को पैसे देने का बादा किया था लेकिन बाद में मुकर गया इसलिए  ने हत्या कर दी गई.
-वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले नक्सखी नेवा पोडियाम लिंगा को सीआरपीएफ़ ने गिरफ्तार किया था. मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि उसने पुलिस के सामने बयान दिया था। कि वह भाजपा विधायक रहे भीमा मंडावी के गांव तोयलंका का रहने वाला है और रिश्ते में मंडावी का भरतीजा है और उनकी मदद करता रहा हैं।
-रिपोर्ट के अनुसार उसने स्वीकार किया कि वह तोमर से लगातार मिलता रहा और चुनावों में
उनकी मदद की. उसने पुलिस को यह भी बताया था कि वर्ष 2011 के लोकसभा उपचुनाव नक्सलियों ने दिनेश कश्यप की भी मदद की थी.
-वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दो दिन पहले एक नक्सली हमले में भीमा मंडावी की मृत्यु हो गई थी.
-वर्ष 2014 में रायपुर विमानतल पर एक भाजपा सांसद के वाहन में सवार एक ठेकेदार धर्मेंद्र चोपड़ा को गिरफ़्तार किया गया था, उसने पुलिस को बयान दिया था कि वह सांसद और नक्सलियों के बीच तालमेल का काम करता था.

कांग्रेस कमेटी ने कहा कि इसीलिए नहीं हो रही झीरम के षडयंत्र की जांच क्योंकि…

-भाजपा के नक्सलियों के संबंध का ही परिणाम था कि वर्ष 2008 के समय जब नक्मलियों के खिलाफ कार्रवाई सबसे तेज़ थी और सलवा जुड़म चल रहा था तब भी बस्तर की 12 में से 11 सीटें भाजपा ने जीती थीं.
-यही गठजोड़ बस्तर टाइगर कहलाने वाले महेंद्र कर्मा की हार के लिए भी ज़िम्मेदार था.
-लगातार मिल रहे सबूत के आधार पर लगता है कि वर्ष 2013 के चुनाव से पहले कांग्रेस की
परिवर्तन रैली पर जो कथित नक्सली हमला हुआ वह भी सामान्य नक्सली हमला नहीं था.
-अब तक जो तथ्य सामने आए हैं उससे साफ़ लगता है कि जानबूझकर कांग्रेस की रैली को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवाई गई और रोड ओपनिंग पार्टी तक नहीं लगाई गई,
-दस्तावेज़ बताते हैं कि एनआईए ने पहले नक्सलियों के दो बड़े नेता गणपति और रमन्ना को अभियुक्त बनाया था लेकिन पूरक चार्जशीट दाखिल करते समय उनको अभियुक्तों की सूची से हटा दिया.
-वर्ष 2016 में कांग्रेस के दबाव पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्वीकार कर लिया था कि इीरम नरसंहार की सीबीआई जांच करवाई जाएगी लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया.
-डॉ रमन सिंह वर्ष दिसंबर 2016 से 2018 के चुनाव तक यह जानकारी छिपाए रखी कि केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया है.

कांग्रेस ने किया सवाल..

-क्यों भाजपा के नेताओं से ही नक्सलियों के संबंध उजागर होते रहे हैं? क्या बस्तर में भाजपा नक्सलियों के भरोसे ही राजनीति नहीं करती रही है?
-क्यों भाजपा के प्रदेश नेतृत्व यानी मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ज़िला स्तर के नेताओं और विधायकों-सांसदों को नक्सलियों से सांठगांठ की स्वीकृति देते रहे.
-नक्सलियों के शीर्ष नेताओं गणपति और रमन्ना के नाम किसके कहने से हटाए गए, डॉ रमन सिंह के या भाजपा के केंद्रीय नेताओं के?
केंद्र की भाजपा सरकार ने किसके कहने से सीबीआई जांच से इनकार किया? डॉ रमन सिंह की इसमें क्या भूमिका थी?
-डॉ रमन सिंह की भूमिका अगर नहीं थी तो उन्होंने दो वर्ष तक यह जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की?
-झीरम के षडयंत्र की जांच से भाजपा के नेता क्यों बचना चाहते हैं?
इस दौरान सांसद प्रतिनिधि प्रदीप गुप्ता, ब्रजवासी तिवारी, ब्लॉक अध्यक्ष अजय सिंह, प्रवीर भट्टाचार्य, आशीष डबरे, दीपक गुप्ता, संजीव सिंह काजू , प्रशांत सिंह सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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